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शारदीय नवरात्र 2025: मां दुर्गा हाथी पर करेंगी आगमन, जानें पूजन विधि, शुभ योग और महत्वपूर्ण तिथियां

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22 सितंबर से आरंभ हो रहा नवरात्र, इस बार 9 नहीं 10 दिन चलेगा पर्व, मां दुर्गा की सवारी बनेगा हाथी

मुनादी LIVE विशेष : सनातन धर्म में शारदीय नवरात्र का विशेष स्थान है। हर वर्ष आश्विन माह में आने वाला यह पर्व देवी दुर्गा की उपासना और शक्ति साधना का अवसर प्रदान करता है। इस दौरान श्रद्धालु माता रानी की विशेष पूजा-अर्चना, व्रत और हवन करते हैं।

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नवरात्रि की शुरुआत और घटस्थापना मुहूर्त
आचार्य श्री गोपी राम के अनुसार, शारदीय नवरात्र की शुरुआत 22 सितंबर से हो रही है। प्रतिपदा तिथि का समापन 23 सितंबर को देर रात 02:55 बजे होगा।

  • घटस्थापना मुहूर्त: 22 सितंबर सुबह 05:34 बजे से 07:29 बजे तक
  • अभिजीत मुहूर्त: 11:14 बजे से 12:02 बजे तक

विशेष योग का संयोग
इस बार नवरात्र शुक्ल योग और ब्रह्म योग के संयोग में प्रारंभ हो रहा है। शास्त्रों के अनुसार—

  • शुक्ल योग: सौभाग्य, सुख और समृद्धि का कारक
  • ब्रह्म योग: ध्यान और साधना में सफलता देने वाला
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इन दोनों योगों में मां दुर्गा की पूजा से साधक को विशेष पुण्य और मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।

क्यों 9 की बजाय 10 दिन है नवरात्र?
आमतौर पर नवरात्र 9 दिनों का होता है, लेकिन इस बार तृतीया तिथि में वृद्धि के कारण पर्व 10 दिन का रहेगा। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, तिथि वृद्धि शुभ मानी जाती है और यह संकेत देती है कि वर्ष का शेष समय आर्थिक उन्नति और पारिवारिक सुख-शांति के लिए अनुकूल रहेगा।

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मां दुर्गा के हाथी वाहन का महत्व
इस वर्ष नवरात्र का आरंभ रविवार को और समापन सोमवार को हो रहा है। नियम अनुसार, रविवार को आगमन और सोमवार को प्रस्थान का अर्थ है कि मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आएंगी और विदा होंगी।
भागवत पुराण में हाथी की सवारी को अत्यंत शुभ बताया गया है। इसका अर्थ है— देश में अच्छी वर्षा, कृषि उत्पादन में वृद्धि, सुख-समृद्धि और शांति .

विदाई का वाहन
जैसे मां दुर्गा का आगमन शुभ संदेश देता है, वैसे ही उनकी विदाई का वाहन भी विशेष महत्व रखता है। विजयादशमी के दिन किस वार को विसर्जन होता है, उसी आधार पर विदाई वाहन और उसका फल निर्धारित होता है।

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शारदीय नवरात्रि पूजन सामग्री लिस्ट
दूर्वा, 5 तरह के फल, इलायची, लौंग, फूल, नारियल, धूप, अक्षत, कपूर, माता की तस्वीर या अष्टधातु की मूर्ति, लाल चुनरी, लाल वस्त्र, सुपारी, श्रृंगार का सामान, कलावा, पान पत्ता, जौं, घी-दीपक, हवन कुंड, पंच पल्लव, पंचमेवा, जायफल आदि आवश्यक हैं।

मां दुर्गा श्रृंगार सामग्री
सिंदूर, लाल बिंदी, मेहंदी, चूड़ियां, मांग टीका, काजल, चुनरी, वस्त्र, हार, बाजूबंद, कमरबंद, नथ, इत्र, गजरा, बिछुआ और झुमकी से माता का श्रृंगार किया जाता है।

महत्वपूर्ण तिथियां और पूजन स्वरूप

  • 22 सितंबर – प्रतिपदा (मां शैलपुत्री)
  • 23 सितंबर – द्वितीया (मां ब्रह्मचारिणी)
  • 24-25 सितंबर – तृतीया (मां चंद्रघंटा)
  • 26 सितंबर – चतुर्थी (मां कूष्मांडा)
  • 27 सितंबर – पंचमी (मां स्कंदमाता)
  • 28 सितंबर – षष्ठी (मां कात्यायनी)
  • 29 सितंबर – सप्तमी (मां कालरात्रि)
  • 30 सितंबर – अष्टमी (मां महागौरी)
  • 1 अक्टूबर – नवमी (मां सिद्धिदात्री)
  • 2 अक्टूबर – विजयादशमी (दशहरा)

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