विश्व गठिया दिवस पर विशेषज्ञ की सलाह — मोटापा, तम्बाकू और शराब से दूर रहें, व्यायाम को दिनचर्या का हिस्सा बनाएं
मुनादी लाइव डिजिटल रिपोर्ट : विश्व गठिया दिवस (World Arthritis Day) की पूर्व संध्या पर मेदांता अब्दुर रज्जक अंसारी मेमोरियल वीवर्स हॉस्पिटल, रांची के प्रसिद्ध रुमेटोलॉजिस्ट डॉ. अवनीश झा ने लोगों से गठिया जैसी बढ़ती बीमारी के प्रति सतर्क रहने और स्वास्थ्यकर जीवनशैली अपनाने की अपील की है।
उन्होंने कहा कि “गठिया” (Arthritis) एक ऐसी बीमारी है जो धीरे-धीरे शरीर के जोड़ो की गतिशीलता को प्रभावित करती है। लेकिन अच्छी खबर यह है कि यदि समय रहते पहचान हो जाए और सही इलाज किया जाए, तो यह पूरी तरह नियंत्रित किया जा सकता है।

गठिया से बचने के लिए अपनाएं स्वस्थ दिनचर्या
डॉ. झा ने बताया कि गठिया से बचने के लिए शरीर को सक्रिय रखना और वजन नियंत्रित करना बेहद जरूरी है।
“शरीर पर मोटापा न चढ़ने दें, कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रण में रखें और तम्बाकू व शराब से परहेज करें। सुबह-शाम टहलने और हल्के व्यायाम से भी बड़ी राहत मिलती है,”
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संतुलित आहार में उन्होंने चावल, दाल, रोटी, दूध-दही, मछली और मौसमी फल शामिल करने की सलाह दी। इसके साथ ही, जंक फूड और अनियमित दिनचर्या से बचने को कहा।
गठिया के प्रकार और लक्षण
डॉ. झा के अनुसार गठिया कई प्रकार का होता है, जिनमें प्रमुख हैं:
- ऑस्टियो आर्थराइटिस (Osteoarthritis): यह सबसे आम प्रकार है जो पुरुषों में 60 वर्ष की उम्र के बाद और महिलाओं में मीनोपॉज के बाद शुरू होता है। इसमें जोड़ो में दर्द, सूजन, अकड़न और गतिशीलता में कमी महसूस होती है।
- ऑटोइम्यून आर्थराइटिस (Autoimmune Arthritis): यह महिलाओं में अधिक पाया जाता है। यदि समय पर इलाज न किया जाए तो हाथ-पैर टेढ़े हो सकते हैं, लेकिन दवा और व्यायाम से इसे नियंत्रित किया जा सकता है।
- गाउट आर्थराइटिस (Gout Arthritis): यह खून में यूरिक एसिड के बढ़ने से होता है। समय पर इलाज और आहार नियंत्रण से इसे पूरी तरह ठीक किया जा सकता है।
भारत में गठिया के बढ़ते मामले
डॉ. अवनीश झा ने बताया कि भारत में गठिया के सटीक आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं, लेकिन 2020 तक लगभग 6.23 करोड़ लोग गठिया से प्रभावित थे।
“यह भारत की दूसरी सबसे आम गंभीर बीमारी बन चुकी है,”
एक अध्ययन के अनुसार रूमेटोइड गठिया की दर 0.28 प्रतिशत से 0.7 प्रतिशत तक पाई गई है — जो तेजी से बढ़ रही है।
समय रहते इलाज ही है असली बचाव
डॉ. झा ने कहा कि गठिया को शुरुआती चरण में ही पहचान लिया जाए तो यह दवा और व्यायाम से पूरी तरह ठीक हो सकता है। देर करने से यह जोड़ों को स्थायी नुकसान पहुंचा सकता है।
उन्होंने यह भी कहा कि हर व्यक्ति को साल में कम से कम एक बार डॉक्टर से स्वास्थ्य जांच करवानी चाहिए, विशेषकर 40 वर्ष से अधिक आयु के लोगों को।
“गठिया का इलाज केवल दवाओं से नहीं, बल्कि नियमित व्यायाम, संतुलित आहार और अनुशासित जीवनशैली से संभव है,”
समाज में जागरूकता ही सबसे बड़ा उपचार
विश्व गठिया दिवस का उद्देश्य लोगों को इस बीमारी के प्रति जागरूक और सतर्क बनाना है।
डॉ. झा का मानना है कि अगर समाज में स्वास्थ्य जागरूकता बढ़ेगी, तो न केवल गठिया बल्कि कई जीवनशैली-जनित बीमारियों को भी आसानी से नियंत्रित किया जा सकता है।
संतुलित जीवनशैली, सही खानपान, नियमित व्यायाम और नशे से दूरी — यही गठिया से बचाव की सबसे बड़ी कुंजी है।
विश्व गठिया दिवस पर हमें यह संकल्प लेना चाहिए कि हम अपने शरीर को सक्रिय रखेंगे और स्वस्थ आदतों को अपनाएंगे।



