राज्य निर्माण, आदिवासी अधिकार और संघर्ष की राजनीति का एक युग हुआ समाप्त
रांची, 04,अगस्त , 2025 : झारखंड के इतिहास में आज का दिन अत्यंत शोकपूर्ण, ऐतिहासिक और भावनात्मक है। झारखंड के निर्माता, आदिवासी चेतना के अग्रदूत, झारखंड मुक्ति मोर्चा के संस्थापक और पूर्व केंद्रीय मंत्री दिशोम गुरु शिबू सोरेन का आज निधन हो गया। उनके निधन से राजनीति, समाज और सांस्कृतिक चेतना के एक बड़े अध्याय का अंत हो गया है।
परिवार और पार्टी सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, उनका निधन सोमवार की सुबह सर गंगाराम अस्पताल में हुआ। वे लंबे समय से अस्वस्थ चल रहे थे और हाल के दिनों में उनकी तबीयत और बिगड़ती जा रही थी।
झारखंड आंदोलन के शिखर पुरुष शिबू सोरेन केवल एक राजनेता नहीं थे, वे एक आंदोलन, एक विचार और एक प्रतीक थे। उन्होंने न केवल झारखंड के पृथक राज्य की लड़ाई लड़ी बल्कि आदिवासी अधिकार, जल-जंगल-जमीन के लिए दशकों तक संघर्ष किया।
उन्होंने 1970 के दशक में झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) की स्थापना की, और शोषण के विरुद्ध लड़ने वाले हजारों ग्रामीणों के प्रेरणास्रोत बने। उनके नेतृत्व में चले आदिवासी संघर्ष ने केंद्र सरकार को पृथक झारखंड राज्य की मांग को स्वीकार करने पर मजबूर कर दिया। 15 नवंबर 2000 को जब झारखंड बना, तो वह क्षण दिशोम गुरु के संघर्ष का प्रतीक था।
जनजातीय समाज के हक की आवाज शिबू सोरेन ने राजनीतिक मंच से परे जाकर आदिवासी समाज के पारंपरिक अधिकारों और संस्कृति की रक्षा की। वे लोकगीत, भाषा, और परंपरा को राजनीति के माध्यम से जीवित रखने वाले नेता थे। उन्होंने साहसिक रूप से कहा था—
“हम जंगल के बेटे हैं, जंगल की रक्षा करेंगे, जमीन हमारी मां है, उसका सौदा नहीं होगा।”
राजनीतिक सफर
7 बार लोकसभा सांसद रहे
तीन बार झारखंड के मुख्यमंत्री बने
UPA सरकार में कोयला मंत्री रहे
झारखंड में गठबंधन राजनीति के केंद्रबिंदु रहे
उनका राजनीतिक जीवन कई उतार-चढ़ाव से भरा रहा लेकिन उनकी छवि एक जननायक की बनी रही।
झारखंड में शोक की लहर उनके निधन की खबर फैलते ही पूरे झारखंड में शोक की लहर दौड़ गई है। रांची, दुमका, बोकारो, गिरिडीह, साराikela, गढ़वा, लोहरदगा समेत हर जिले में लोग भावुक हैं। सोशल मीडिया पर श्रद्धांजलि देने वालों का तांता लग गया है।
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, जो शिबू सोरेन के पुत्र हैं, ने एक मार्मिक ट्वीट में लिखा:
आदरणीय दिशोम गुरुजी हम सभी को छोड़कर चले गए हैं। आज मैं शून्य हो गया हूँ… :- हेमंत सोरेन
अंतिम यात्रा की तैयारी परिवार की ओर से जानकारी दी गई है कि रामगढ़ में उनके पैतृक गांव नेमरा में उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। अंतिम दर्शन के लिए उनका पार्थिव शरीर पार्टी कार्यालय या मोराबादी मैदान में रखा जा सकता है। सरकार द्वारा राजकीय सम्मान देने की संभावना जताई जा रही है।
श्रद्धांजलि दिशोम गुरु शिबू सोरेन ने झारखंड को आवाज, पहचान और आत्मा दी। उनके जाने से केवल एक नेता नहीं, एक पूरा युग चला गया।आज जब हम झारखंड की मिट्टी को छूते हैं, तो उसमें शिबू सोरेन की आहट महसूस होती है।
“शहीदों की धरती झारखंड” ने अपना सबसे बड़ा सपूत खो दिया है।