ईडी समन मामले में हाईकोर्ट के निर्देश पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन सिविल कोर्ट में हुए पेश
12 दिसंबर को अगली सुनवाई
रांची: प्रवर्तन निदेशालय (ED) के समन अवहेलना मामले में शनिवार को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन रांची सिविल कोर्ट स्थित विशेष न्यायालय में पेश हुए। यह पेशी झारखंड हाईकोर्ट के निर्देश के अनुपालन में हुई, जिसमें मुख्यमंत्री को एक बार व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने को कहा गया था। भारी सुरक्षा व्यवस्था के बीच मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन एमपी-एमएलए कोर्ट में उपस्थित हुए, जहां इस मामले की सुनवाई कर रहे न्यायाधीश सार्थक शर्मा की अदालत में उन्होंने हाजिरी दी।
मुख्यमंत्री ने अदालत में निर्धारित प्रक्रिया के तहत सात–सात हजार रुपये के दो बेल बॉन्ड भी भरे। न्यायालयी कार्य पूरा होने के बाद मुख्यमंत्री सीधे अपने कांके रोड स्थित आवास के लिए रवाना हो गए। इस दौरान कोर्ट परिसर और उसके आसपास सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए गए थे, ताकि किसी भी तरह की अव्यवस्था न हो।
महाधिवक्ता व वरिष्ठ अधिवक्ताओं की मौजूदगी में हुई पेशी
जब मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन एमपी-एमएलए कोर्ट के समक्ष पेश हुए, उस समय उनके साथ राज्य के महाधिवक्ता राजीव रंजन सहित बड़ी संख्या में वरिष्ठ अधिवक्ता मौजूद थे। मुख्यमंत्री की ओर से इस मामले में पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता प्रदीप चंद्रा और अन्य अधिवक्ताओं ने अदालत में कानूनी प्रक्रिया पूरी की।
कोर्ट परिसर में वकीलों, मीडिया और सुरक्षा बलों की मौजूदगी के कारण विशेष सतर्कता बरती गई थी। हालांकि पूरे घटनाक्रम के दौरान स्थिति पूरी तरह नियंत्रित रही और कार्यवाही शांतिपूर्ण ढंग से पूरी हुई।
12 दिसंबर को अगली सुनवाई, मुख्यमंत्री को नहीं होना पड़ेगा उपस्थित
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की ओर से पक्ष रख रहे वरिष्ठ अधिवक्ता प्रदीप चंद्रा ने अदालत से बाहर निकलने के बाद मीडिया को जानकारी दी। उन्होंने स्पष्ट किया कि हाईकोर्ट के निर्देश के अनुसार अब आगे की सुनवाई के दौरान मुख्यमंत्री को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने की आवश्यकता नहीं होगी। प्रदीप चंद्रा के अनुसार, इस मामले में अगली सुनवाई 12 दिसंबर को निर्धारित की गई है, जिसमें मुख्यमंत्री की तरफ से अधिवक्ता के माध्यम से अदालत के समक्ष पक्ष रखा जा सकता है। इससे मुख्यमंत्री को बार-बार अदालत में पेश होने की बाध्यता से राहत मिली है।
हाईकोर्ट से पहले ही मिल चुकी है बड़ी राहत
इस मामले में बीते दिनों मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को झारखंड हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिल चुकी है। 3 दिसंबर 2024 को जस्टिस अनिल कुमार चौधरी की अदालत ने ईडी समन अवहेलना मामले में अहम आदेश दिया था। हाईकोर्ट ने मुख्यमंत्री को सिर्फ 6 दिसंबर (शनिवार) को ही एमपी-एमएलए कोर्ट में उपस्थित होने का निर्देश दिया था और ट्रायल के दौरान उनकी नियमित व्यक्तिगत पेशी की अनिवार्यता समाप्त कर दी थी। हाईकोर्ट के इस आदेश के बाद शनिवार की पेशी को कानूनी औपचारिकता के तौर पर देखा जा रहा है।
जरूरत पड़ने पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग या व्यक्तिगत पेशी का विकल्प
हालांकि हाईकोर्ट ने मुख्यमंत्री की नियमित पेशी से छूट दी है, लेकिन उसने यह भी स्पष्ट किया था कि यदि ट्रायल कोर्ट को किसी विशेष परिस्थिति में मुख्यमंत्री की उपस्थिति आवश्यक लगती है, तो कोर्ट निर्देश दे सकता है। ऐसी स्थिति में मुख्यमंत्री को या तो वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से या फिर व्यक्तिगत रूप से अदालत के समक्ष उपस्थित होना पड़ेगा। यह शर्त यह सुनिश्चित करती है कि न्यायिक प्रक्रिया में किसी तरह की बाधा न आए।
19 फरवरी 2024 को दर्ज हुआ था ईडी का शिकायत वाद
यह पूरा मामला 19 फरवरी 2024 को प्रवर्तन निदेशालय द्वारा दर्ज की गई शिकायत से जुड़ा है। ईडी ने आरोप लगाया है कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने आठ बार जारी किए गए समन की अवहेलना की, जिसके बाद यह शिकायत दर्ज की गई थी। ईडी की इस शिकायत के आधार पर विशेष अदालत में मामला दर्ज हुआ और उसके बाद सुनवाई की प्रक्रिया शुरू हुई। यह मामला राजनीतिक और कानूनी दृष्टि से काफी संवेदनशील माना जा रहा है।
राजनीतिक और कानूनी हलकों में बढ़ी चर्चा
मुख्यमंत्री की कोर्ट में पेशी को लेकर झारखंड के राजनीतिक और कानूनी हलकों में खासा चर्चा बनी हुई है। सत्तारूढ़ झामुमो और उसके सहयोगी इसे कानूनी प्रक्रिया का हिस्सा बता रहे हैं, जबकि विपक्ष इस मामले को लेकर लगातार सवाल उठा रहा है। वहीं कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि हाईकोर्ट द्वारा दी गई राहत से यह स्पष्ट होता है कि मुख्यमंत्री को ट्रायल के दौरान अनावश्यक रूप से परेशान नहीं किया जाना चाहिए, लेकिन साथ ही कानून के तहत जवाबदेही भी बनी रहती है।
कानूनी प्रक्रिया के तहत आगे बढ़ रहा मामला
ईडी समन अवहेलना मामले में शनिवार की पेशी के साथ ही मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने हाईकोर्ट के निर्देशों का अनुपालन कर दिया है। अब इस मामले में अगली सुनवाई 12 दिसंबर को होगी, जिसमें उनके अधिवक्ता कोर्ट के समक्ष पक्ष रखेंगे। फिलहाल यह मामला पूरी तरह न्यायिक प्रक्रिया के दायरे में है और आगे की दिशा अदालत के आदेशों पर निर्भर करेगी। राज्य की राजनीति और प्रशासन दोनों की निगाहें अब इस केस की आगामी सुनवाइयों पर टिकी हुई हैं।



