...

मुठभेड़ में ढेर हुआ मोस्ट वांटेड माओवादी हिडमा, देश के सबसे डरावने नक्सली नेटवर्क को भारी झटका

Dantewada Attack

नई दिल्ली/दंतेवाड़ा: देश की सुरक्षा एजेंसियों को बड़ी सफलता मिली है। सुरक्षा बलों ने एक बड़ी मुठभेड़ में देश के सबसे खतरनाक और हाई-प्रोफाइल माओवादी कमांडर हिडमा को मार गिराया है। पिछले डेढ़ दशक में जिन नक्सली हमलों ने पूरे देश को झकझोर दिया था, उन सभी का नाम एक ही व्यक्ति से जुड़ता था — हिडमा उर्फ़ देवजी उर्फ़ संतोष।

सूत्रों के अनुसार, हिडमा के मारे जाने की पुष्टि कई एजेंसियों ने कर दी है। उसका शव बरामद कर लिया गया है और पहचान प्रक्रिया पूरी कर ली गई है। माना जा रहा है कि उसकी मौत न सिर्फ़ छत्तीसगढ़ बल्कि पूरे नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में माओवादी नेटवर्क के लिए सबसे बड़ा झटका है।

WhatsApp Image 2025 11 18 at 12.02.21 1

कौन था हिडमा? माओवादी संगठन का सबसे घातक चेहरा
हिडमा दक्षिण बस्तर के जंगलों में सक्रिय पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी (PLGA) बटालियन–1 का कमांडर था। यही बटालियन छत्तीसगढ़ के सबसे घातक और रणनीति-आधारित हमलों के लिए कुख्यात रही है। उसका कद इतना बड़ा था कि वह सीधे सीपीआई (माओवादी) की सेंट्रल कमेटी को रिपोर्ट करता था।

whatsapp channel

Maa RamPyari Hospital

Telegram channel

हिडमा अपनी क्रूरता, जंगल युद्धकला, गुरिल्ला रणनीति और सुरक्षा बलों की गतिविधियों की सटीक जानकारी जुटाने की क्षमता के लिए कुख्यात था। सुरक्षा एजेंसियाँ उसे भारत का सबसे खतरनाक और ऑपरेशनल मास्टरमाइंड माओवादी कमांडर मानती थीं। उस पर करोड़ों रुपये का इनाम था।

WhatsApp Image 2025 11 18 at 12.02.21
The-habitat-final-ad-scaled.jpg
the-habitat-ad

देश को दहला देने वाले हमलों का मास्टरमाइंड था हिडमा
पिछले 15 वर्षों में जितने भी बड़े और घातक नक्सली हमले हुए, उनमें हिडमा की भूमिका निर्णायक रही। उसकी सबसे खतरनाक कार्रवाइयाँ थीं—

दंतेवाड़ा 2010 हमला — 76 जवान शहीद
6 अप्रैल 2010 को हुए इस घातक हमले ने पूरे देश को झकझोर दिया था। 300 से अधिक माओवादियों के घात लगाकर किए हमले में 76 सीआरपीएफ जवान शहीद हुए। इस ऑपरेशन का मुख्य प्लानर हिडमा ही था।

झीरम घाटी हमला 2013 — कांग्रेस के शीर्ष नेताओं की हत्या
25 मई 2013 को बस्तर की झीरम घाटी में काफिले पर हमला कर माओवादियों ने छत्तीसगढ़ कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व की हत्या कर दी। इस हमले में 27 लोग मारे गए, जिनमें महेंद्र कर्मा नंदकुमार पटेल विद्या चरण शुक्ल जैसे बड़े नेता शामिल थे। हिडमा इस नरसंहार का भी मुख्य कमांडर माना जाता है।

सुकमा–बीजापुर हमला 2021 — 22 जवान शहीद
3 अप्रैल 2021 को सुकमा और बीजापुर की सीमा पर हुए घातक हमले में 22 सुरक्षाकर्मी शहीद हुए और 30 से अधिक घायल हुए। यह हमला भी हिडमा की बैटालियन-1 ने ही अंजाम दिया था।

क्यों था इतना खतरनाक?
हिडमा की खतरनाक छवि के पीछे कई कारण थे—

  • वह जंगल युद्धकला और गुरिल्ला रणनीति में माहिर था।
  • हमेशा 250–400 माओवादियों के ग्रुप के साथ मूव करता था।
  • स्थानीय भूगोल, आदिवासी क्षेत्र और इलाके के हर रास्ते की जानकारी उसे अचूक रूप से थी।
  • सुरक्षा बलों की मूवमेंट की जानकारी जुटाने में माहिर था।
  • जवानों पर हमला करने से पहले महीनों निगरानी करता था।

उसकी वजह से बस्तर की कई सड़कें और गांव वर्षों तक ‘रेड ज़ोन’ में थे। हिडमा का नाम सुनकर ही कई इलाकों में दहशत फैल जाती थी।

कैसे मारा गया? मुठभेड़ में खत्म हुआ आतंक
सुरक्षा बलों ने हाल के महीनों में हिडमा को पकड़ने के लिए विशेष रणनीति पर काम किया।
सूत्रों के अनुसार—

  • हिडमा एक गुप्त बैठक के लिए अपने कोर ग्रुप के साथ जंगल में मौजूद था।
  • CRPF, CoBRA और राज्य पुलिस की इस संयुक्त टीम ने इलाके को घेर लिया।
  • लगभग एक घंटे तक चले भीषण मुठभेड़ में हिडमा ढेर हो गया।
  • कई अन्य माओवादी भी घायल या मारे गए हैं।

अधिकारियों के मुताबिक, उसकी पहचान प्राथमिक स्तर पर की जा चुकी है और फाइनल पुष्टि भी हो चुकी है।

माओवादी संगठन को सबसे बड़ा नुकसान
हिडमा की मौत से—

  • माओवादी संगठन का दक्षिण बस्तर नेटवर्क कमजोर पड़ेगा
  • PLGA बटालियन-1 नेतृत्वविहीन होगी
  • बड़े हमलों की क्षमता कम हो जाएगी
  • नए कैडर की भर्ती पर असर पड़ेगा
  • माओवादी नेतृत्व में भ्रम और मनोबल गिरावट आएगी

विशेषज्ञ मानते हैं कि “हिडमा की मौत, नक्सलवाद के खिलाफ लड़ाई में पिछले 20 वर्षों की सबसे बड़ी सफलता है।”

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *