अग्निवीर पासिंग आउट परेड: रामगढ़ में 962 युवा बने देश के सपूत
रामगढ़: पंजाब रेजिमेंटल सेंटर, रामगढ़ छावनी के ऐतिहासिक मैदान में बुधवार को एक गौरवशाली क्षण दर्ज हुआ। कुल 962 अग्निवीर रिक्रुट्स ने अपने 31 सप्ताह के कठोर सैन्य, मानसिक और शारीरिक प्रशिक्षण को पूर्ण करते हुए पासिंग आउट परेड में हिस्सा लिया। गर्व और देशभक्ति से भरे इस समारोह ने न केवल युवा सैनिकों की क्षमता और अनुशासन को प्रदर्शित किया, बल्कि उनके परिवारों के त्याग और समर्पण का भी सम्मान किया।
समारोह की भव्यता और सैन्य अनुशासन का अनोखा संगम
परेड की समीक्षा पंजाब रेजिमेंटल सेंटर के कार्यवाहक कमांडेंट कर्नल मानवेंद्र सिवाच, विशिष्ट सेवा मेडल द्वारा की गई। कर्नल सिवाच ने अग्निवीरों का निरीक्षण किया और पासिंग आउट के गौरवपूर्ण क्षण का साक्षी बने। मैदान में कदम ताल मिलाते हुए अग्निवीरों की टुकड़ियों ने जिस अनुशासन, आत्मविश्वास और देशभक्ति का परिचय दिया, वह उपस्थित सभी लोगों के लिए प्रेरणादायक क्षण बन गया।

कर्नल सिवाच ने अपने संबोधन में कहा कि यह अग्निवीर केवल सेना का हिस्सा नहीं, बल्कि देश की सुरक्षा, सम्मान और गौरव के प्रहरी हैं। उन्होंने परिवारों का विशेष रूप से आभार जताया, जिन्होंने अपने बच्चों को राष्ट्र की सेवा के लिए आगे बढ़ाया।
ट्रेनिंग स्टाफ की भूमिका को दी गई विशेष सराहना
कर्नल सिवाच ने ट्रेनिंग स्टाफ, सूबेदारों और प्रशिक्षकों के अथक परिश्रम की सराहना की। उन्होंने कहा कि कठिन प्रशिक्षण के इन 31 सप्ताह में प्रशिक्षकों ने युवाओं को न केवल शारीरिक रूप से मजबूत बनाया, बल्कि उनमें नेतृत्व क्षमता, अनुशासन, कर्तव्यनिष्ठा और भारतीय सेना की गौरवशाली परंपराओं का तत्व भी स्थापित किया।
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उन्होंने कहा—
“इन अग्निवीरों को जो प्रशिक्षण दिया गया है, वह उन्हें भविष्य में किसी भी परिस्थिति में देश की रक्षा करने के लिए सक्षम और दृढ़ बनाएगा।”
संविधान और राष्ट्र के प्रति शपथ, भावुक हुआ माहौल
समारोह के अंतिम चरण में अग्निवीरों ने राष्ट्र और संविधान की रक्षा करने, राष्ट्रीय सुरक्षा को सर्वोपरि रखने, भारतीय सेना की गौरवशाली परंपराओं को बनाए रखने तथा वर्दी के सम्मान को सर्वोच्च महत्व देने की शपथ ली। इस दौरान मैदान में गूंज रही शपथ के स्वर ने वातावरण को पूरी तरह देशभक्ति की ऊर्जा से भर दिया। परिवारों के बीच यह क्षण अत्यंत गर्व और भावुकता से भरा हुआ रहा। कई माताओं की आंखें नम थीं, लेकिन चेहरे पर गर्व की चमक साफ दिखाई दे रही थी।

माता-पिता को मिला ‘गौरव पदक’, भावुक हुईं आंखें
सेना परंपरा के अनुसार, सभी अग्निवीरों के माता-पिता को ‘गौरव पदक’ प्रदान किया गया। यह पदक उन परिवारों की देशभक्ति और त्याग का प्रतीक है जिन्होंने अपने पुत्रों को मातृभूमि की सेवा के लिए सौंपा है। गौरव पदक पाकर कई अभिभावक भावुक नजर आए। उन्होंने कहा कि यह सम्मान केवल एक पदक नहीं, बल्कि उनके परिवार के लिए जीवनभर की पहचान और गर्व की निशानी है।
देश के भविष्य की रक्षा करने वाले नए सपूत
इस पासिंग आउट परेड के साथ 962 अग्निवीर अब भारतीय सेना की सेवा में आगे बढ़ चुके हैं। वे देश की सीमाओं, संवेदनशील क्षेत्रों और महत्वपूर्ण सैन्य अभियानों में अपनी भूमिका निभाने के लिए तैयार हैं। यह आयोजन न केवल सेना के लिए, बल्कि पूरे झारखंड और विशेषकर रामगढ़ छावनी के लिए गौरव का दिन था—जहां से हर वर्ष सैकड़ों युवा देश की सेवा में आगे बढ़ते हैं।




