रांची में युवक की मौत के मामले में पुलिस पर गिरी गाज, थाना प्रभारी और मुंशी निलंबित; रिश्वत और उत्पीड़न के आरोप साबित
सुखदेव नगर थाना क्षेत्र की घटना ने हिलाया सिस्टम—परिजनों के गंभीर आरोपों के बाद हाई-लेवल जांच में रिश्वत और प्रताड़ना की पुष्टि, दोनों पुलिसकर्मी तुरंत निलंबित
रांची: रांची के सुखदेव नगर थाना क्षेत्र में एक युवक की संदिग्ध मौत के मामले ने पूरे शहर में सनसनी फैला दी है। मौत के तुरंत बाद ही परिजनों ने थाना प्रभारी अशोक कुमार और मुंशी परशुराम पर रिश्वत मांगने और लगातार प्रताड़ित करने जैसे गंभीर आरोप लगाए थे। परिवार का कहना था कि पुलिस न केवल मामले की निष्पक्ष जांच करने में विफल रही, बल्कि उल्टे दबाव, धमकी और पैसे की मांग करते हुए मानसिक उत्पीड़न करती रही। इन आरोपों ने पूरे पुलिस तंत्र को कठघरे में खड़ा कर दिया और मामला जल्द ही उच्च अधिकारियों के संज्ञान में पहुंच गया।
परिजनों की शिकायतों में यह भी कहा गया था कि युवक की मौत के बाद पुलिस व्यवहार और संदिग्ध हो गया। परिवार के अनुसार, जब वे न्याय की मांग लेकर थाना पहुंचे तो उनसे अभद्र भाषा में बात की गई और फिर उनसे पैसे की मांग की गई। यह आरोप सार्वजनिक होते ही इस घटना ने आग की तरह फैलना शुरू कर दिया और पुलिस की निष्ठा तथा संवेदनशीलता को लेकर गंभीर सवाल उठने लगे।
IG और SSP ने की हाई-लेवल जांच, आरोप पाए गए सही
मामले की संवेदनशीलता और बढ़ते विरोध को देखते हुए रांची रेंज के आईजी और एसएसपी ने स्वयं इस मामले की विस्तृत जांच का आदेश दिया। दोनों अधिकारियों ने अलग-अलग स्तर पर जांच की और सभी पक्षों की बात सुनी। परिजनों, चश्मदीदों और थाना परिसर में मौजूद कर्मचारियों से पूछताछ की गई।
जांच रिपोर्ट ने पूरे विभाग को हिला दिया। रिपोर्ट में साफ निष्कर्ष निकला कि परिजनों द्वारा लगाए गए आरोप सिर्फ आरोप नहीं थे, बल्कि वास्तविकता पर आधारित थे। थाना प्रभारी अशोक कुमार और मुंशी परशुराम द्वारा रिश्वत मांगना और परिवार को प्रताड़ित करना जांच में प्रमाणित हुआ। इसके बाद दोनों अधिकारियों की भूमिका को बेहद गंभीर मानते हुए तुरंत कार्रवाई करने का निर्णय लिया गया।
निलंबन की घोषणा के बाद पुलिस विभाग में हलचल
जांच रिपोर्ट आने के कुछ ही घंटों बाद दोनों पुलिसकर्मियों को तत्काल प्रभाव से निलंबित करने का आदेश जारी कर दिया गया। यह कार्रवाई स्पष्ट संदेश दे गई कि अब किसी भी स्तर पर रिश्वतखोरी और उत्पीड़न को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। रांची पुलिस विभाग के भीतर इस निलंबन ने हलचल मचा दी है और सभी थानों में इस घटना को लेकर कड़ी चर्चा चल रही है।
पुलिस सूत्रों के अनुसार, विभाग ने इस मामले को मिसाल के तौर पर लिया है। अधिकारी यह संदेश देना चाहते हैं कि यदि उनके अपने कर्मचारी गलत करेंगे तो उन पर वही कठोर कार्रवाई होगी जो किसी आम नागरिक से उम्मीद की जाती है। कई पुलिसकर्मियों का मानना है कि यह निर्णय विभाग की छवि सुधारने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
परिजनों को मिली राहत, न्याय की उम्मीद बढ़ी
निलंबन की खबर फैलते ही मृतक युवक के परिवार ने राहत की सांस ली। परिवार का कहना है कि उन्हें अब न्याय की उम्मीद दिखाई दे रही है। उनका कहना है कि यदि वे आवाज न उठाते तो शायद इस मामले की सच्चाई कभी सामने नहीं आती। परिजनों ने उच्च अधिकारियों को धन्यवाद देते हुए कहा कि उन्होंने उनकी बात सुनी और पूरी निष्पक्षता के साथ जांच कराई।
परिवार यह भी मांग कर रहा है कि निलंबन के बाद अब पूरे मामले की स्वतंत्र एजेंसी से जांच कराई जाए ताकि युवक की मौत के पीछे की असली वजह सामने आ सके। परिवार का मानना है कि मौत की परिस्थितियों में भी कई सवाल अनुत्तरित हैं, और यदि मामले को पूरी तरह से गंभीरता से जांचा जाए, तो कई और तथ्यों का खुलासा हो सकता है।
पुलिस विभाग की साख पर सवाल, लेकिन सुधार की कोशिशें जारी
रांची में हुई इस घटना ने पुलिस की साख पर एक बार फिर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। पिछले कुछ वर्षों में पुलिसकर्मियों पर लगे रिश्वत और प्रताड़ना के आरोपों में लगातार वृद्धि हुई है। इस घटना ने आम लोगों के बीच विश्वास को झटका दिया है।
हालांकि निलंबन की कार्रवाई यह संकेत भी देती है कि प्रशासन इस समस्या को गंभीरता से ले रहा है और सुधार के प्रयास कर रहा है। अधिकारी बताते हैं कि ऐसे मामलों में त्वरित कार्रवाई से पुलिस की छवि को सुधारने में मदद मिलती है और भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाया जा सकता है।
क्या आगे और भी कार्रवाई होगी?
निलंबन के बाद अब नजर इस बात पर टिकी है कि क्या आगे इन दोनों पुलिसकर्मियों पर विभागीय या कानूनी कार्रवाई भी होगी। सूत्रों के अनुसार, यदि जांच में मौत से जुड़े अन्य पहलुओं में भी इनकी भूमिका पाई गई तो मामला आपराधिक धाराओं के तहत भी दर्ज किया जा सकता है।
रांची पुलिस फिलहाल इस मामले को एक “हाई प्रायोरिटी केस” के रूप में देख रही है। विभागीय जांच के अगले चरण और मौत की परिस्थितियों की विस्तृत जांच से मामले के और पहलू जल्द ही सामने आ सकते हैं।



