श्री कृष्ण विद्या मंदिर में जन्माष्टमी का भव्य आयोजन, बच्चों की राधा-कृष्ण झांकियों ने बांधा समां
बाल-वाटिका के नन्हे कलाकारों ने मुकुट, मोरपंख और बांसुरी से सजकर प्रस्तुत किए मनमोहक नृत्य; कृष्ण जन्म की कथा ने बढ़ाया कार्यक्रम का आकर्षण
रामगढ़ से मुकेश सिंह: भक्ति, उल्लास और रंग-बिरंगी सांस्कृतिक छटा के साथ श्री कृष्ण विद्या मंदिर में बुधवार को श्री कृष्ण जन्माष्टमी महोत्सव का आयोजन धूमधाम से किया गया। विद्यालय प्रांगण पूरे दिन कृष्ण भक्ति के गीतों, बांसुरी की मधुर धुनों और बच्चों के कदमों की थिरकन से गूंजता रहा।
कार्यक्रम की शुरुआत बाल-वाटिका के नन्हे-मुन्ने छात्र-छात्राओं की मनोहारी प्रस्तुतियों से हुई। बच्चों ने राधा-कृष्ण के स्वरूप में सजीव झांकियां और नृत्य प्रस्तुत कर दर्शकों का मन मोह लिया। बाल कलाकारों ने मुकुट, बांसुरी, पीले वस्त्र, मोरपंख और मोतियों की रंग-बिरंगी माला धारण कर कृष्ण के अनुपम रूप को जीवंत कर दिया। वहीं राधा रानी के रूप में सजी छात्राओं ने अपनी सुंदर छवि और नृत्य भंगिमा से सभी का दिल जीत लिया।

विद्यालय के प्राचार्य एम कृष्णा चंद्रा ने मंच से सभी विद्यार्थियों, अभिभावकों और शिक्षकों को जन्माष्टमी की बधाई दी। उन्होंने बच्चों के बीच भगवान श्री कृष्ण के उपदेश साझा करते हुए कहा कि जीवन में धर्म, सत्य, प्रेम और करुणा का पालन करना ही सच्ची भक्ति है। प्राचार्य ने यह भी बताया कि भगवान कृष्ण के जीवन से हमें कठिन परिस्थितियों में भी साहस और विवेक बनाए रखने की प्रेरणा मिलती है।
कार्यक्रम का औपचारिक शुभारंभ शिक्षिका उषा सिंह द्वारा किया गया, जिन्होंने सभी को कृष्ण जन्म की कथा का संक्षिप्त लेकिन भावपूर्ण विवरण सुनाया। उन्होंने कंस के अत्याचार, देवकी-वसुदेव की परीक्षा, और कृष्ण के बाल्यकाल की लीलाओं को इतने सहज ढंग से प्रस्तुत किया कि उपस्थित बच्चे मंत्रमुग्ध हो गए।

सांस्कृतिक कार्यक्रम में शामिल नृत्यों की श्रृंखला ने माहौल को भक्तिमय बना दिया। “नंद के आनंद भयो, जय कन्हैया लाल की” जैसे भजनों पर बच्चों ने लयबद्ध कदम बढ़ाए। मंच पर एक तरफ ग्वाल-बाल का हंसी-ठिठोली वाला दृश्य प्रस्तुत हुआ, तो दूसरी ओर गोपियों के संग मटकी-फोड़ की झलक भी देखने को मिली।
इस कार्यक्रम को सफल बनाने में शिक्षक विक्रम सिंह, उषा सिंह, शोभा सिंह, अंजना दास, रंजू सिंह, विजय तिवारी और मनोरंजन चौधरी ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। सभी ने बच्चों को तैयार करने, वेशभूषा सजाने और मंच सजावट में भरपूर योगदान दिया।

विद्यालय प्रबंध समिति के अध्यक्ष आनंद अग्रवाल (अधिवक्ता) और सचिव विमल किशोर जाजू ने भी मंच से बच्चों को आशीर्वाद देते हुए कहा कि ऐसे सांस्कृतिक आयोजन न केवल हमारी परंपराओं को जीवित रखते हैं बल्कि बच्चों में कला, संस्कृति और टीमवर्क की भावना भी विकसित करते हैं। उन्होंने पूरे विद्यालय परिवार को जन्माष्टमी की शुभकामनाएं दीं।
कार्यक्रम के दौरान विद्यालय प्रांगण को आकर्षक ढंग से सजाया गया था। रंग-बिरंगे फूलों, झंडियों, झालरों और कृष्ण-लीला के दृश्यों वाली चित्रकला से पूरा परिसर सजा हुआ था। मंच के पीछे “कृष्ण जन्म” की थीम पर तैयार की गई पृष्ठभूमि ने पूरे माहौल को मथुरा और वृंदावन की झलक दे दी।

समापन अवसर पर सभी बच्चों को माखन-मिश्री और प्रसाद वितरित किया गया। शिक्षक-शिक्षिकाओं ने बच्चों के उत्साह की प्रशंसा करते हुए कहा कि यह कार्यक्रम उनके लिए एक यादगार अनुभव रहेगा, जो जीवनभर उनके दिलों में बस जाएगा।
इस तरह श्री कृष्ण विद्या मंदिर का जन्माष्टमी महोत्सव न केवल धार्मिक आस्था का पर्व बना बल्कि यह बच्चों के लिए सीख, आनंद और सांस्कृतिक जुड़ाव का एक जीवंत अवसर साबित हुआ।



