नवरात्र में झारखंड के राजरप्पा मंदिर में उमड़ा भक्तों का सैलाब
देश-विदेश से आ रहे श्रद्धालु, माता सती के सिर के गिरने की पौराणिक मान्यता; मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी नियमित दर्शनार्थी
रामगढ़: नवरात्र के अवसर पर झारखंड के प्रसिद्ध शक्ति स्थल राजरप्पा मंदिर में श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा है। झारखंड ही नहीं, देश के अलग-अलग हिस्सों और विदेशों से भी श्रद्धालु माता के दर्शन के लिए यहां पहुंच रहे हैं।
दामोदर और भैरवी नदी के संगम तट पर स्थित यह मंदिर झारखंड के रामगढ़ जिले की पहचान है। स्थानीय पुजारी बताते हैं कि मंदिर की पौराणिक मान्यता माता सती से जुड़ी है। माना जाता है कि यहीं माता सती का सिर गिरा था, इसलिए यह स्थल सिद्धपीठ कहलाता है।
सिद्धपीठ और आदिवासी आस्था
स्थानीय आदिवासी समुदाय राजरप्पा मंदिर को अपनी कुलदेवी मानता है। यहां शादी-ब्याह, उपनयन, मन्नत पूर्ति और हर शुभ कार्य की शुरुआत इसी मंदिर में दर्शन के बाद होती है। मंदिर के पुजारियों का कहना है कि यह स्थल इतना प्राचीन है कि इसका कोई लिखित इतिहास नहीं मिलता, लेकिन इसकी महिमा पीढ़ी-दर-पीढ़ी चली आ रही है।
देश-विदेश से आ रहे श्रद्धालु
नवरात्र में यह मंदिर आस्था का केंद्र बन गया है। दूर-दराज़ के श्रद्धालु ही नहीं, बल्कि अमेरिका, यूके, नेपाल और खाड़ी देशों से भी लोग यहां दर्शन के लिए आ रहे हैं। मंदिर परिसर में प्रशासन ने श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए सुरक्षा, पेयजल और कतार व्यवस्था की विशेष तैयारियां की हैं।
मुख्यमंत्री भी हैं दर्शनार्थी
मंदिर के नियमित दर्शनार्थियों में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी शामिल हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि मुख्यमंत्री समय-समय पर राजरप्पा मंदिर पहुंचकर माता का आशीर्वाद लेते हैं।
मनोकामना पूरी होने का अनुभव
श्रद्धालुओं का मानना है कि यहां आकर हर मन्नत पूरी होती है। बहुत से लोग नवरात्र या विशेष अवसरों पर यहां आकर पूजा-अर्चना करते हैं और फिर मनोकामना पूरी होने पर पुनः धन्यवाद अर्पित करने पहुंचते हैं।