एमिटी यूनिवर्सिटी झारखंड में “इनोवेशन एंड आईपीआर: बिल्डिंग ब्लॉक्स फॉर स्टार्ट-अप्स” विषय पर सेमिनार आयोजित

रांची: एमिटी यूनिवर्सिटी झारखंड ने 4 फरवरी 2025 को “इनोवेशन एंड आईपीआर: बिल्डिंग ब्लॉक्स फॉर स्टार्ट-अप्स” विषय पर एक महत्वपूर्ण सेमिनार का आयोजन किया। यह आयोजन इंस्टीट्यूशन इनोवेशन काउंसिल (IIC) के निर्देशों के तहत किया गया, जिसका उद्देश्य नवाचार (Innovation) और बौद्धिक संपदा अधिकार (IPR) से संबंधित जागरूकता को बढ़ावा देना था।

एमिटी यूनिवर्सिटी झारखंड के कुलपति डॉ. अशोक के. श्रीवास्तव ने इस आयोजन के लिए अपनी शुभकामनाएं दीं और विश्वविद्यालय की प्रतिबद्धता को दोहराया कि वह नवाचार और उद्यमशीलता को बढ़ावा देने के लिए निरंतर प्रयास करता रहेगा।
मुख्य अतिथि और उनके विचार

इस सेमिनार के विशिष्ट वक्ता डॉ. डी. उषा राव (उप नियंत्रक, पेटेंट एवं डिजाइन, आईपीआर कार्यालय, नई दिल्ली) थीं। उन्होंने उपस्थित छात्रों, स्टार्टअप उद्यमियों, शिक्षकों और शोधकर्ताओं को संबोधित किया और बौद्धिक संपदा अधिकारों (IPR) के व्यावहारिक अनुप्रयोगों और उससे जुड़ी चुनौतियों के बारे में जानकारी दी।
डॉ. उषा राव ने आईपीआर कानूनों और उनके महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि “नवाचार और स्टार्टअप्स के लिए बौद्धिक संपदा अधिकार (IPR) एक मजबूत रक्षा प्रणाली की तरह कार्य करते हैं। यह हमारे विचारों और आविष्कारों को कानूनी रूप से संरक्षित करता है, जिससे हमें प्रतिस्पर्धी बाजार में अपनी पहचान बनाए रखने में मदद मिलती है।”


उन्होंने DPIIT (Department for Promotion of Industry and Internal Trade) की पहलों पर भी चर्चा की, जो भारत में स्टार्टअप्स और उद्यमिता को प्रोत्साहित करने के लिए बनाई गई हैं।

तकनीकी सत्र और पेपर प्रेजेंटेशन
इस सेमिनार के तहत एक तकनीकी सत्र भी आयोजित किया गया, जिसकी अध्यक्षता एचएनबी गढ़वाल विश्वविद्यालय की सहायक प्रोफेसर डॉ. हिमानी बिष्ट ने की। इस दौरान पूरे भारत से कुल 12 शोध पत्र प्रस्तुत किए गए, जिनमें विभिन्न शोधकर्ताओं और छात्रों ने आईपीआर, नवाचार और स्टार्टअप्स के विकास से जुड़ी चुनौतियों पर अपने विचार रखे।
प्रस्तुत किए गए शोध पत्रों में निम्नलिखित विषय शामिल थे:
स्टार्टअप्स के लिए पेटेंट और कॉपीराइट का महत्व
भारतीय औद्योगिक नीतियों में नवाचार की भूमिका
बौद्धिक संपदा सुरक्षा और वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धा
भारतीय स्टार्टअप्स के लिए आईपीआर रणनीतियां
आईपीआर पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करने पर जोर
इस सेमिनार के दौरान वक्ताओं ने भारत में आईपीआर पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करने के लिए लाई गई विभिन्न योजनाओं पर चर्चा की। इन योजनाओं में स्टार्टअप इंडिया, मेक इन इंडिया, आत्मनिर्भर भारत और राष्ट्रीय आईपीआर नीति जैसी पहलें शामिल हैं।

वक्ताओं ने यह भी बताया कि बौद्धिक संपदा अधिकारों के प्रति जागरूकता बढ़ाने और इसे स्टार्टअप्स के व्यावसायिक मॉडल का हिस्सा बनाने की जरूरत है ताकि वे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धा कर सकें।
एमिटी यूनिवर्सिटी झारखंड का दृष्टिकोण और मिशन
एमिटी यूनिवर्सिटी झारखंड के इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य छात्रों, शोधकर्ताओं और नवोदित उद्यमियों को नवाचार और बौद्धिक संपदा अधिकारों के बारे में शिक्षित करना था। विश्वविद्यालय के माननीय संस्थापक अध्यक्ष और चांसलर के मार्गदर्शन में यह संस्थान शिक्षा, शोध और उद्यमशीलता को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है।
कुलपति डॉ. अशोक के. श्रीवास्तव ने अपने संबोधन में कहा,
“एमिटी यूनिवर्सिटी झारखंड स्टार्टअप्स और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए हरसंभव प्रयास कर रहा है। यह सेमिनार छात्रों और शोधकर्ताओं को नए विचारों को संरक्षित करने और उन्हें व्यावसायिक रूप देने के लिए प्रेरित करेगा।”