जमशेदपुर में 1 लाख बीज बम से हरियाली की नई क्रांति | मेराकी संस्था की अनोखी पहल

1 लाख बीज बम
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पर्यावरण संरक्षण केवल सरकार या संस्थानों की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि यह एक सामूहिक प्रयास है

पर्यावरण बचेगा तभी हम बचेंगे। इस सोच के साथ हमने गांव की महिलाओं और युवाओं के साथ मिलकर यह अभियान शुरू किया है : रीता पात्रों

जमशेदपुर/पूर्वी सिंहभूम: झारखंड की धरती पर हरियाली को फिर से लौटाने की एक नई उम्मीद लेकर आई है मेराकी संस्था की एक अनोखी पहल — “बीज बम मिशन”। पूर्वी सिंहभूम जिले के जंगलों, बंजर ज़मीनों और परती क्षेत्रों को फिर से हरा-भरा बनाने की दिशा में संस्था ने 1 लाख बीज बम फेंकने का संकल्प लिया है।

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बीज बम क्या है?
बीज बम यानी मिट्टी और खाद से बना एक छोटा गोला, जिसके अंदर इमली, आम, जामुन, कटहल आदि के फलदार पौधों के बीज होते हैं। इन्हें पहले सुखाया जाता है, फिर बारिश के मौसम में जंगलों और खाली ज़मीनों पर फेंका जाता है। जब बारिश होती है, तो ये गोले फूटते हैं और बीज अंकुरित होकर स्वस्थ वृक्षों में बदल जाते हैं।

हरियाली का जनआंदोलन बना बीज बम मिशन
मेराकी संस्था की सचिव रीता पात्रों कहती हैं:

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“पर्यावरण बचेगा तभी हम बचेंगे। इस सोच के साथ हमने गांव की महिलाओं और युवाओं के साथ मिलकर यह अभियान शुरू किया है।”

इस अभियान की खास बात यह है कि गांव की महिलाएं खुद इन बीज बमों को बना रही हैं और स्थानीय युवक उन्हें जंगलों में फेंकने का कार्य कर रहे हैं। इससे एक ओर जहां पर्यावरण संरक्षण हो रहा है, वहीं दूसरी ओर ग्राम समाज में सहभागिता और जागरूकता भी बढ़ रही है।

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गांव के युवाओं का उत्साह
गांव के युवाओं का जोश इस मिशन में देखने लायक है। उनका कहना है कि

“यह अभियान सिर्फ पेड़ लगाने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह आने वाले समय में हमें फल, छाया और रोजगार देगा। यह एक भविष्य की खेती है — जिसे आज बोया जा रहा है।”

क्यों खास है बीज बम अभियान?
यह कम लागत में अधिक प्रभावी वृक्षारोपण तकनीक है। यह मानव हस्तक्षेप के बिना कठिन इलाकों में पेड़ उगाने का सटीक समाधान देता है, वहीं फलदार वृक्ष लगने से ग्रामीणों को पोषण और आर्थिक मदद भी मिलेगी। अभियान में महिलाओं की भागीदारी से यह सशक्तिकरण का प्रतीक भी बन रहा है, इसके अलावा स्कूल-कॉलेज के छात्र भी इस अभियान से जुड़ रहे हैं, जिससे अगली पीढ़ी में जागरूकता आ रही है।

बारिश के साथ हरियाली का विस्फोट
मेराकी संस्था ने बताया कि अब तक 10 हजार से ज्यादा बीज बम तैयार किए जा चुके हैं, जिन्हें बारिश के शुरुआती दिनों में फेंका जाएगा। संस्था का लक्ष्य है कि आने वाले 30 दिनों में 1 लाख बीज बम जंगलों में डाल दिए जाएं।

जनभागीदारी से बनेगा हरियाली का झारखंड
यह अभियान केवल एक संस्था की कोशिश नहीं, बल्कि यह गांव-गांव में हरियाली की लौ जगाने की कोशिश है। स्थानीय पंचायतों, वन विभाग और सामाजिक कार्यकर्ताओं का सहयोग भी लिया जा रहा है।

मेराकी संस्था का बीज बम मिशन एक संदेश है कि पर्यावरण संरक्षण केवल सरकार या संस्थानों की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि यह एक सामूहिक प्रयास है — जिसमें आम नागरिक भी नायक बन सकते हैं।

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