नेतरहाट विद्यालय में गिरता शिक्षा स्तर चिंता का विषय, शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन ने जांच समिति गठित की

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Munadi Live, रांची : झारखंड के प्रसिद्ध नेतरहाट आवासीय विद्यालय, जिसे कभी “अफसरों की फैक्ट्री” कहा जाता था, अब खुद शिक्षा के स्तर को लेकर गंभीर संकट में है। देशभर में आईएएस, आईपीएस और आईआरएस जैसे पदों तक विद्यार्थियों को पहुंचाने वाला यह प्रतिष्ठित संस्थान आज बोर्ड परीक्षाओं में खराब प्रदर्शन और शिक्षकों की कमी जैसी समस्याओं से जूझ रहा है।

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बोर्ड परीक्षा में पांच छात्र फेल, शिक्षा मंत्री ने जताई नाराजगी
2025 की दसवीं और बारहवीं बोर्ड परीक्षाओं के नतीजों में नेतरहाट स्कूल के कुल पाँच विद्यार्थी फेल हो गए। इसमें 10वीं कक्षा का एक और 12वीं कक्षा के चार छात्र शामिल हैं। यह स्थिति बेहद चिंताजनक है क्योंकि यह वही विद्यालय है जो कभी राज्य और देश की टॉपर सूची में अपना दबदबा बनाए रखता था।

झारखंड के शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन ने इसे दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए तुरंत पाँच सदस्यीय जांच समिति गठित करने का निर्देश दिया है। यह समिति नेतरहाट विद्यालय के गिरते शैक्षणिक स्तर, व्यवस्थागत समस्याओं और स्टाफ की स्थिति की विस्तृत जांच कर मंत्री को रिपोर्ट सौंपेगी।

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CBSE के लागू होने के बाद बिगड़ा रिजल्ट
वर्षों तक झारखंड एकेडमिक काउंसिल (JAC) के अधीन संचालित होने के बाद विद्यालय को CBSE से मान्यता दी गई थी। लेकिन यह बदलाव छात्रों के परिणामों में नकारात्मक असर ला रहा है। CBSE की परीक्षा प्रणाली में सामंजस्य की कमी और उचित मार्गदर्शन न मिलने के कारण छात्रों के अंक 80% से भी नीचे आ रहे हैं।

शिक्षक पदों पर भारी कमी, सिर्फ 18 शिक्षक कार्यरत
विद्यालय में 43 शिक्षक पद स्वीकृत हैं लेकिन वर्तमान में सिर्फ 18 शिक्षक ही कार्यरत हैं। शेष पद लंबे समय से खाली हैं जिससे नियमित कक्षा संचालन प्रभावित हो रहा है। ऐसे में छात्रों को न सिर्फ शैक्षणिक नुकसान हो रहा है बल्कि उनकी मानसिक स्थिति पर भी असर पड़ रहा है।

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पूर्ववर्ती छात्र और शिक्षाविद लेंगे कक्षा
बैठक में यह निर्णय लिया गया कि जब तक शिक्षकों की नियुक्ति नहीं हो जाती, पूर्ववर्ती छात्र और अनुभवी शिक्षाविद विद्यालय में कक्षा संचालन में सहयोग करेंगे। इच्छुक व्यक्तियों से ऑनलाइन आवेदन मंगाए जाएंगे ताकि पढ़ाई बाधित न हो।

नामांकन में भारी गिरावट, आवेदन घटे 30 हजार से 1200 तक
एक समय था जब विद्यालय की 100 सीटों पर 30 से 35 हजार आवेदन आते थे। लेकिन अब यह संख्या सिर्फ 1000 से 1200 तक सिमट गई है। यह गिरावट विद्यालय की साख पर गंभीर प्रश्नचिन्ह लगाती है और यह भी दर्शाती है कि पैरेंट्स का भरोसा धीरे-धीरे टूट रहा है।

प्रवेश प्रक्रिया में संभावित बदलाव
बैठक में यह भी सुझाव आया कि विद्यालय के प्रवेश परीक्षा को दोबारा झारखंड एकेडमिक काउंसिल (JAC) के अधीन किया जाए, ताकि चयन प्रक्रिया में पारदर्शिता और स्थानीय संतुलन बरकरार रह सके। साथ ही विद्यालय संचालन नियमावली में संशोधन पर भी विचार चल रहा है।

मुनादी lIVE की टिप्पणी
नेतरहाट विद्यालय, जिसने कभी देश के प्रशासनिक ढांचे को योग्य अफसर दिए, अब खुद अस्तित्व के संकट से जूझ रहा है। गिरता रिजल्ट, शिक्षक कमी, घटती प्रतिष्ठा और घटता नामांकन – ये सभी संकेत शिक्षा व्यवस्था में गंभीर सुधार की मांग करते हैं। शिक्षा मंत्री की तत्परता सराहनीय है, लेकिन अब ज़रूरत है तेज़ और ठोस कार्रवाई की, ताकि नेतरहाट फिर से “प्रतिभा का केंद्र” बन सके।

रांची से अमित की रिपोर्ट

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