पीएम मोदी बोले– गाज़ा में ट्रंप की शांति पहल सही दिशा में, भारत सदा शांति का समर्थक
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के अल्टीमेटम के बाद हमास ने बंधकों की रिहाई पर दी सहमति, इजराइल ने अभियान रोका
नई दिल्ली: गाज़ा में जारी संघर्ष और बंधक संकट के बीच अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सख्त अल्टीमेटम जारी करते हुए हमास को 5 अक्टूबर तक शांति समझौते पर सहमति देने की समयसीमा दी थी। ट्रंप ने अपने आधिकारिक सोशल मीडिया अकाउंट पर स्पष्ट चेतावनी दी कि यदि हमास ने इस तय समय में शांति योजना को नहीं माना, तो उसे ऐसे नतीजे भुगतने होंगे “जिसकी उसने कल्पना भी नहीं की होगी।”
ट्रंप के इस कड़े रुख के बाद हालात ने नया मोड़ लिया। हमास ने अमेरिकी मध्यस्थता को स्वीकार करते हुए इजराइली बंधकों की रिहाई पर सहमति दे दी। इसके बाद इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने भी अपने सैन्य अभियान को रोकने के आदेश जारी किए।
इजराइल ने माना ट्रंप का पहला चरणीय प्लान
प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने कहा कि इजराइल “ट्रंप की योजना के पहले फेज़ को लागू करने के लिए तैयार है।” उन्होंने बताया कि इस योजना के तहत मानवीय सहायता, बंधकों की सुरक्षित रिहाई और गाज़ा में स्थायी संघर्षविराम की दिशा में काम किया जाएगा।
ट्रंप प्रशासन के अधिकारियों ने बताया कि इस समझौते का उद्देश्य गाज़ा में दीर्घकालिक स्थिरता और इजराइल-फिलिस्तीन के बीच बातचीत की बहाली है।
पीएम मोदी का समर्थन – “भारत हमेशा से शांति का पक्षधर”
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की इस पहल का खुले शब्दों में समर्थन किया है। पीएम मोदी ने ‘एक्स (पूर्व ट्विटर)’ पर लिखा—
“हम राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के नेतृत्व का स्वागत करते हैं। गाज़ा में उनके शांति प्रयास सही दिशा में बढ़ रहे हैं। बंधकों की रिहाई का संकेत एक महत्वपूर्ण कदम है। भारत स्थायी और न्यायसंगत शांति की दिशा में हर प्रयास का समर्थन करता रहेगा।”
पीएम मोदी ने कहा कि भारत की विदेश नीति हमेशा संवाद, सहयोग और स्थिरता पर आधारित रही है। उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत अंतरराष्ट्रीय विवादों के समाधान के लिए सैन्य कार्रवाई की जगह कूटनीतिक रास्तों में विश्वास रखता है।
ट्रंप के शांति प्रस्ताव को पहले भी मिला था भारत का समर्थन
यह पहली बार नहीं है जब प्रधानमंत्री मोदी ने ट्रंप की शांति योजना का समर्थन किया हो।
दो साल पहले जब डोनाल्ड ट्रंप ने “मध्य पूर्व शांति रोडमैप” का प्रस्ताव रखा था, तब भी भारत ने उसे सकारात्मक बताया था।
मोदी सरकार ने कहा था कि यह योजना इजराइली और फिलिस्तीनी नागरिकों दोनों के लिए स्थायी शांति का मार्ग प्रशस्त कर सकती है। भारत ने हमेशा यह रुख रखा है कि पश्चिम एशिया में स्थिरता न केवल क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए बल्कि वैश्विक आर्थिक संतुलन के लिए भी आवश्यक है।
ऑस्ट्रेलिया ने भी किया ट्रंप प्लान का समर्थन
गाज़ा संकट पर ऑस्ट्रेलिया ने भी अमेरिका और भारत के साथ कदम मिलाया है।
ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज़ ने कहा—
“हम अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के शांति प्लान का स्वागत करते हैं। अब हमास को बिना देर किए हथियार डाल देना चाहिए और सभी बंधकों को रिहा करना चाहिए।”
उन्होंने कहा कि ऑस्ट्रेलिया अपने सहयोगी देशों के साथ मिलकर न्याय और स्थायी शांति की दिशा में प्रयास जारी रखेगा।
भारत का शांति दर्शन – संवाद से समाधान
भारत का यह समर्थन उसकी पारंपरिक विदेश नीति की निरंतरता है।
भारत हमेशा से “वसुधैव कुटुम्बकम्” के सिद्धांत पर आधारित वैश्विक दृष्टिकोण रखता आया है — जिसका अर्थ है कि पूरी दुनिया एक परिवार है।
गाज़ा संघर्ष में भारत न तो किसी पक्ष का समर्थन करता है और न ही किसी के विरोध में है। वह सिर्फ स्थायी शांति और मानवीय मूल्यों की पुनर्स्थापना की वकालत करता है।
गाज़ा में युद्ध विराम की यह पहल जहां एक तरफ ट्रंप के लिए कूटनीतिक जीत साबित हो सकती है, वहीं भारत के लिए यह अवसर है कि वह वैश्विक शांति प्रयासों में अपनी नेतृत्वकारी भूमिका को और सशक्त करे।
प्रधानमंत्री मोदी का यह संदेश स्पष्ट करता है कि भारत न केवल क्षेत्रीय बल्कि वैश्विक स्तर पर भी शांति का विश्वसनीय साझेदार है।