रांची: झारखंड की राजधानी रांची सदर अस्पताल में सोमवार को चिकित्सा इतिहास में एक और उल्लेखनीय उपलब्धि दर्ज की है। यहां पहली बार एक ऐसे मरीज की बाएं तरफ स्थित गॉलब्लैडर की सर्जरी सफलतापूर्वक की गई है — जो मेडिकल टर्म में “Complete Situs Inversus” कहलाता है। यह स्थिति अत्यंत दुर्लभ होती है, जो लगभग 10,000 से 20,000 मरीजों में केवल एक में पाई जाती है।
सदर अस्पताल के लेप्रोस्कोपिक सर्जरी विभाग के प्रमुख डॉ. अजीत कुमार और उनकी टीम ने इस जटिल ऑपरेशन को अंजाम दिया। इस सर्जरी को अस्पताल के लिए “माइलस्टोन अचीवमेंट” माना जा रहा है।
दुर्लभ स्थिति: जब शरीर के अंग उल्टे होते हैं ‘Complete Situs Inversus’ एक अत्यंत दुर्लभ जन्मजात स्थिति है, जिसमें मानव शरीर के प्रमुख आंतरिक अंग — जैसे हृदय, लीवर, और गॉलब्लैडर — अपने सामान्य स्थान के विपरीत दिशा में होते हैं। आम तौर पर हृदय और गॉलब्लैडर शरीर के दाईं ओर रहते हैं, लेकिन इस मरीज के मामले में वे बाईं ओर पाए गए।
मरीज बी. बाड़ा, जो बेड़ो थाना क्षेत्र के ईंटा चिंद्ररी (रांची) की रहने वाली हैं और वर्तमान में मोराबादी में निवास कर रही थीं, पिछले दो-तीन महीनों से तेज पेट दर्द से परेशान थीं। जांच में पाया गया कि उन्हें Acute Pancreatitis नामक गंभीर बीमारी है और उनकी पीत की थैली (Gallbladder) में कई पत्थर मौजूद हैं।
ऑपरेशन के पहले गहन जांच और विशेष तैयारी जब डॉक्टरों ने अल्ट्रासाउंड, ECHO और CT SCAN कराया, तब यह दुर्लभ स्थिति सामने आई कि मरीज के अंग अपने सामान्य स्थान से उल्टी दिशा में हैं। डॉक्टरों के अनुसार, यह मामला चुनौतीपूर्ण था क्योंकि सर्जरी के दौरान सर्जन को उल्टी दिशा से खड़ा होकर ऑपरेशन करना पड़ा — जो बेहद कठिन होता है और सामान्य परिस्थितियों में सर्जन को इसकी आदत नहीं होती।
डॉ. अजीत की टीम ने लिखा सफलता का नया अध्याय इस मुश्किल परिस्थिति में भी डॉ. अजीत कुमार की टीम ने धैर्य, तकनीकी दक्षता और सामूहिक प्रयास से यह ऑपरेशन सफलतापूर्वक पूरा किया। ऑपरेशन करने वाली टीम में एडवांस्ड लेप्रोस्कोपिक सर्जन डॉ. अजीत कुमार, एनेस्थेटिस्ट डॉ. वसुधा गुप्ता और डॉ. विकास बल्लभ, सिस्टर स्नेह लता, ओटी स्टाफ संदीप, संतोष, सृष्टि, सुरेश, अमन, विरंजन, कल्पना, नंदिनी आदि शामिल थे।
ऑपरेशन के बाद मरीज पूरी तरह स्वस्थ हैं और उन्हें कुछ दिनों की निगरानी के बाद डिस्चार्ज किया जाएगा।
मरीज के परिजनों ने जताया आभार मरीज के पति जोसेफ उरांव, जो पेशे से किसान हैं, ने अस्पताल प्रशासन और डॉ. अजीत की टीम का आभार व्यक्त करते हुए कहा,
“हम सोच भी नहीं सकते थे कि इतना बड़ा ऑपरेशन सरकारी अस्पताल में इतनी कुशलता से होगा। हमें कोई खर्च नहीं देना पड़ा, सारा इलाज आयुष्मान भारत योजना के तहत निःशुल्क हुआ।”
सरकारी अस्पतालों की क्षमता पर नया विश्वास इस ऑपरेशन ने यह साबित कर दिया है कि अब झारखंड के सरकारी अस्पताल भी आधुनिक तकनीक और विशेषज्ञ डॉक्टरों की बदौलत कठिन से कठिन सर्जरी करने में सक्षम हैं। डॉ. अजीत ने कहा —
“यह ऑपरेशन केवल चिकित्सा उपलब्धि नहीं, बल्कि हमारे मेडिकल सिस्टम की क्षमता का उदाहरण है। सदर अस्पताल अब उन चुनिंदा सरकारी संस्थानों में शामिल हो गया है जो ‘Complete Situs Inversus’ जैसे जटिल मामलों को संभाल सकता है।”
झारखंड स्वास्थ्य व्यवस्था के लिए मिसाल इस उपलब्धि के साथ सदर अस्पताल ने झारखंड के स्वास्थ्य तंत्र में अपनी एक अलग पहचान बना ली है। ऐसे दुर्लभ मामलों में सफलता केवल तकनीक पर नहीं, बल्कि डॉक्टरों की लगन, टीमवर्क और सरकारी व्यवस्था के सहयोग पर निर्भर करती है।
सदर अस्पताल प्रशासन का कहना है कि आने वाले समय में इस तरह की एडवांस्ड लेप्रोस्कोपिक सर्जरी के लिए विशेष प्रशिक्षण और उपकरण उपलब्ध कराए जाएंगे, ताकि राज्य के मरीजों को बाहर रेफर करने की आवश्यकता न पड़े।
रांची सदर अस्पताल का यह मामला न केवल एक मेडिकल मिरेकल है, बल्कि यह इस बात का प्रतीक भी है कि यदि संसाधन और विशेषज्ञता एक साथ हों, तो सरकारी स्वास्थ्य संस्थान भी निजी अस्पतालों को टक्कर दे सकते हैं। झारखंड का यह गौरवपूर्ण क्षण चिकित्सा इतिहास में दर्ज रहेगा।