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हुंडरू मैदान में धूमधाम से रावण दहन, कांग्रेस नेताओं ने दिया अच्छाई की जीत का संदेश

Ravana Dahan at Hundru Maidan

बारिश के बावजूद हजारों की भीड़ जुटी, प्रदेश कांग्रेस नेताओं ने किया रावण, मेघनाथ और कुंभकरण का पुतला दहन

रांची : विजयादशमी के पावन अवसर पर राजधानी रांची का हुंडरू मैदान खास आकर्षण का केंद्र बना। यहां रावण दहन समिति द्वारा भव्य आयोजन किया गया, जिसमें बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक रावण, मेघनाथ और कुंभकरण के पुतलों का दहन किया गया। इस मौके पर मुख्य अतिथि के रूप में झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष श्री केशव महतो कमलेश और महासचिव श्री बिनय सिन्हा दीपू मौजूद रहे। दोनों नेताओं ने संयुक्त रूप से पुतलों को अग्नि देकर जनता के बीच विजयादशमी का संदेश पहुंचाया।

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नेताओं की मौजूदगी से कार्यक्रम में बढ़ी शोभा
कार्यक्रम के दौरान जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष राकेश किरण महतो, कमल किशोर झा, बिनय कुमार, नवीन सिन्हा, अरुण गोप, पप्पू जायसवाल, कुश, भोला जी, हरी केवट, प्रकाश टोप्पो सहित कई कांग्रेस पदाधिकारी और कार्यकर्ता बड़ी संख्या में मौजूद रहे। वहीं रावण दहन समिति की ओर से संरक्षक महावीर साहू, राम रंजीत साहू, रामा साहू, राजन साहू, विशाल साहू, रोहन साहू, आयुष साहू और अरुण गोप ने पूरे आयोजन को सफल बनाने में अहम भूमिका निभाई। समिति के अध्यक्ष सनी साहू, कोषाध्यक्ष संजय कुमार, अजय कुमार साहू, जितेंद्र साहू और छोटू साहू ने भी कार्यक्रम की व्यवस्थाओं को संभालने में सक्रिय योगदान दिया।

नेताओं ने दिया बुराई से बचने का संदेश
अपने संबोधन में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष श्री केशव महतो कमलेश ने कहा कि विजयादशमी का पर्व केवल धार्मिक उत्सव नहीं है, बल्कि यह हमें गहरी सीख भी देता है। यह पर्व हमें सिखाता है कि बुराई चाहे कितनी भी बड़ी क्यों न हो, अंततः उसका पतन तय है। उन्होंने कहा कि आज के दिन हमें अपने अंदर की बुराइयों को दूर करने और अच्छाई को अपनाने का संकल्प लेना चाहिए|

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वहीं कांग्रेस महासचिव बिनय सिन्हा दीपू ने कहा कि रावण का चरित्र इस बात की मिसाल है कि ज्ञान और विद्वता के बावजूद यदि व्यक्ति अहंकार में डूब जाए तो उसका पतन निश्चित है। उन्होंने कहा कि रावण बहुत बड़ा ज्ञानी और विद्वान था, लेकिन उसके अहंकार ने ही उसे विनाश की ओर धकेल दिया। इस पर्व से हमें सीख मिलती है कि सत्य और धर्म की हमेशा विजय होती है।

बारिश में भी उमड़ा जनसैलाब
दिलचस्प बात यह रही कि इस वर्ष रावण दहन के दौरान बारिश होने के बावजूद लोगों का उत्साह कम नहीं हुआ। हजारों की संख्या में लोग हुंडरू मैदान में पहुंचे और इस भव्य आयोजन के गवाह बने। लोगों ने आतिशबाजी, ढोल-नगाड़ों और जयकारों के बीच रावण, मेघनाथ और कुंभकरण के पुतलों को जलते देखा। बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक, हर कोई इस मौके पर गदगद नजर आया।

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रावण दहन की परंपरा और सामाजिक संदेश
हुंडरू मैदान में हर साल रावण दहन का आयोजन बड़े उत्साह के साथ किया जाता है। यह न केवल धार्मिक परंपरा है, बल्कि सामाजिक संदेश देने का माध्यम भी है। रावण दहन समिति के पदाधिकारियों ने कहा कि हर वर्ष लोगों को यह याद दिलाने की आवश्यकता है कि जीवन में चाहे कितनी भी कठिनाइयाँ क्यों न हों, हमें सत्य और धर्म के रास्ते पर चलना चाहिए।

सामाजिक समरसता का प्रतीक बना आयोजन
इस कार्यक्रम ने एक बार फिर साबित कर दिया कि विजयादशमी केवल धार्मिक पर्व नहीं बल्कि सामाजिक समरसता और एकता का भी प्रतीक है। बारिश में भी लोगों का उमड़ना और नेताओं का जनता से जुड़ना इस बात की मिसाल है कि यह पर्व समाज को एकजुट करने का बड़ा माध्यम है।

कार्यक्रम के अंत में आतिशबाजी के बीच रावण, मेघनाथ और कुंभकरण के पुतले जलकर राख हो गए और लोगों ने जोरदार तालियों और जयकारों के बीच इस दृश्य का आनंद लिया। रावण दहन समिति ने लोगों को शुभकामनाएं दी और कहा कि यह पर्व हर व्यक्ति को प्रेरणा देता है कि हम अपने भीतर के रावण को हराकर अच्छाई की राह अपनाएं।

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