नेपाल में जेन-जी का आक्रोश: सुदन गुरुंग बने आंदोलन का चेहरा

राष्ट्रपति-प्रधानमंत्री के घर, संसद और सुप्रीम कोर्ट में आगजनी
नेपाल इस समय गहरे राजनीतिक और सामाजिक संकट से गुजर रहा है। राजधानी काठमांडू और कई अन्य शहरों में युवाओं का गुस्सा सड़कों पर बेकाबू हो गया है। आक्रोशित भीड़ ने राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और मंत्रियों के घरों में आग लगा दी। इतना ही नहीं, संसद भवन, सुप्रीम कोर्ट और अन्य सरकारी इमारतों को भी आगजनी का शिकार बनाया गया।

सोशल मीडिया पर प्रतिबंध लगाए जाने के बाद से गुस्सा और भड़क गया है। युवाओं का कहना है कि सरकार उनकी आवाज दबाने की कोशिश कर रही है। नतीजा यह हुआ कि देश की राजनीति और प्रशासनिक व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई है।
उड़ानें रद्द, भारत ने जताई चिंता
नेपाल में हिंसा और अराजकता को देखते हुए पड़ोसी देश भारत ने गहरी चिंता जाहिर की है। भारत सरकार ने नेपाल की स्थिति पर करीबी नजर रखने की बात कही है। वहीं एहतियातन दिल्ली से काठमांडू जाने वाली एअर इंडिया, इंडिगो और नेपाल एयरलाइंस की उड़ानें रद्द कर दी गईं।
नेपाल से सटे भारतीय राज्यों—बिहार और उत्तर प्रदेश—में सुरक्षा अलर्ट बढ़ा दिया गया है। खासकर सीमावर्ती जिलों में लोगों की आवाजाही पर कड़ी नजर रखी जा रही है ताकि हिंसा की आग भारत तक न पहुंचे।
सुदन गुरुंग: आंदोलन का चेहरा
नेपाल में भड़के इस जनआंदोलन के बीच एक नाम लगातार सुर्खियों में है—सुदन गुरुंग। 36 वर्षीय गुरुंग को इस जेन-जी आंदोलन का चेहरा माना जा रहा है। वह “हामी नेपाल” नामक एक गैर-सरकारी संगठन (NGO) चलाते हैं, जो प्राकृतिक आपदाओं में राहत और सामाजिक सहयोग का दावा करता है।

युवाओं में उनकी पकड़ काफी मजबूत है। यही वजह है कि उनकी एक अपील पर हजारों नौजवान सड़कों पर उतर आए। काठमांडू की गलियों में हर तरफ “गुरुंग, गुरुंग” के नारे गूंज रहे हैं।

जेन-जी की नाराजगी क्यों?
नेपाल के युवा लंबे समय से बेरोजगारी, राजनीतिक अस्थिरता और भ्रष्टाचार से परेशान हैं। इंटरनेट और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ने उन्हें अपनी आवाज उठाने का नया हथियार दिया है।
लेकिन हाल ही में सरकार ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर प्रतिबंध लगाने की कोशिश की। यह कदम युवाओं के गुस्से को और भड़काने वाला साबित हुआ। युवाओं का कहना है कि सरकार उनकी आज़ादी छीन रही है। इसी से शुरू हुआ विरोध अब राष्ट्रव्यापी विद्रोह का रूप ले चुका है।
कर्फ्यू और सुरक्षा बलों की तैनाती
हालात बेकाबू होते देख नेपाल सरकार ने काठमांडू समेत कई बड़े शहरों में कर्फ्यू लगा दिया है। सुरक्षा बलों को जगह-जगह तैनात किया गया है। इंटरनेट और संचार सेवाओं को भी आंशिक रूप से बंद किया गया है ताकि प्रदर्शनकारियों के बीच संदेशों का आदान-प्रदान न हो सके। लेकिन इन तमाम कोशिशों के बावजूद युवाओं का गुस्सा थमने का नाम नहीं ले रहा। आगजनी और तोड़फोड़ की घटनाएं लगातार हो रही हैं।
नेपाल की राजनीति पर बड़ा असर
विशेषज्ञ मानते हैं कि यह आंदोलन नेपाल की राजनीति को हिला सकता है। प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली पहले ही विपक्ष और जनता के गुस्से से घिरे हुए थे। अब युवाओं का यह जनविस्फोट उनकी कुर्सी के लिए बड़ा खतरा बन गया है। कई राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि यदि हालात जल्द नहीं संभाले गए तो नेपाल में सत्ता परिवर्तन या आपातकाल की स्थिति पैदा हो सकती है।
भारत-नेपाल संबंधों पर असर
नेपाल की बिगड़ती स्थिति का असर भारत पर भी पड़ सकता है। दोनों देशों की सीमाएं खुली हुई हैं और रोज़ाना लाखों लोग आवाजाही करते हैं। ऐसे में नेपाल की हिंसा का असर सीमावर्ती भारतीय जिलों तक पहुंच सकता है। यही वजह है कि भारत सरकार लगातार स्थिति पर नजर रखे हुए है।
नेपाल की युवा शक्ति इस समय सत्ता के खिलाफ सीधी चुनौती बन चुकी है। यह आंदोलन सिर्फ एक राजनीतिक विद्रोह नहीं बल्कि नई पीढ़ी का अपने भविष्य की लड़ाई है। अब पूरी दुनिया की नजर इस बात पर है कि नेपाल सरकार इस संकट से कैसे निपटती है और सुदन गुरुंग का आंदोलन किस दिशा में जाता है।