पाकुड़ में भव्य रूप से मनाई गई विश्वकर्मा पूजा, श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़
पाकुड़: बुधवार को पूरे जिले में विश्वकर्मा पूजा का आयोजन धार्मिक उत्साह और आस्था के साथ किया गया। सुबह से ही औद्योगिक प्रतिष्ठानों, कारखानों, ऑटोमोबाइल गैरेज और निर्माण स्थलों पर भगवान विश्वकर्मा की प्रतिमाओं की स्थापना की गई। शहर के विभिन्न पूजा पंडालों में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी, जहां लोग अपने परिवार और सहकर्मियों के साथ पूजा-अर्चना के लिए पहुंचे।
औद्योगिक प्रतिष्ठानों और कार्यशालाओं में विशेष पूजा
कारखानों, कार्यशालाओं और ऑटोमोबाइल गैरेज में काम करने वाले मजदूरों, तकनीशियनों और कारीगरों ने विधिवत पूजा-अर्चना की। भगवान विश्वकर्मा को अपने औजारों और मशीनों का आराध्य मानते हुए लोगों ने पूरे मनोयोग से पूजा की और अपने कार्यों में सफलता एवं बेहतर कार्यक्षमता की कामना की।
पूजा पंडालों में आकर्षक सजावट और भंडारा
जिले के प्रमुख पूजा पंडालों में आकर्षक सजावट की गई थी। रंग-बिरंगी रोशनी, फूलों और धार्मिक प्रतीकों से सजे पंडाल श्रद्धालुओं के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र बने रहे। जगह-जगह श्रद्धालुओं के लिए भंडारे का आयोजन किया गया, जहां प्रसाद वितरण और सामूहिक भोजन की व्यवस्था की गई।
लोक आस्था और सांस्कृतिक कार्यक्रम
विश्वकर्मा पूजा के मौके पर कई जगहों पर सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किए गए। स्थानीय कलाकारों ने भजन और नृत्य प्रस्तुत कर वातावरण को भक्तिमय बना दिया। इस अवसर पर लोगों ने कहा कि विश्वकर्मा पूजा न सिर्फ औद्योगिक क्षेत्र के लोगों के लिए, बल्कि समाज के हर वर्ग के लिए प्रेरणा का पर्व है, जो मेहनत, कौशल और रचनात्मकता को सम्मान देता है।
सुरक्षा और स्वच्छता पर प्रशासन की पहल
जिले के विभिन्न पूजा स्थलों पर प्रशासन ने सुरक्षा और स्वच्छता की विशेष व्यवस्था की थी। पुलिस बल की तैनाती कर भीड़-भाड़ वाले इलाकों में शांति और सुव्यवस्था बनाए रखने के प्रयास किए गए। नगर परिषद की ओर से सफाई अभियान चलाकर पूजा स्थलों को स्वच्छ रखा गया।
श्रद्धालुओं की आस्था का संगम
पूरे दिन श्रद्धालु भगवान विश्वकर्मा के पूजन स्थल पर पहुंचते रहे और सुख-समृद्धि एवं परिवार के कल्याण की कामना की। महिलाओं और बच्चों ने भी बड़ी संख्या में इस महापर्व में भाग लिया। लोग अपने औजारों और मशीनों को साफ-सुथरा कर पूजा में अर्पित करते दिखाई दिए।
पाकुड़ जिले में विश्वकर्मा पूजा का आयोजन इस बार भी पूरी भव्यता के साथ हुआ। श्रद्धालुओं की भीड़, आकर्षक सजावट, भंडारे और सांस्कृतिक कार्यक्रमों ने माहौल को विशेष बना दिया। यह महापर्व मेहनतकशों और कारीगरों के कौशल और सृजनशीलता को सम्मान देने का प्रतीक है, जिसे समाज के सभी वर्गों ने एक साथ मिलकर मनाया।