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पाकुड़ के चंदन भगत को मिला अंतरराष्ट्रीय सम्मान

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World Record of Excellence (England) ने किया सम्मानित, जिले में खुशी की लहर

पाकुड़: झारखंड का सीमांत जिला पाकुड़ एक बार फिर चर्चा में है। यहां के हिरणपुर बाजार निवासी युवा समाजसेवी चंदन भगत को उनकी निःस्वार्थ सेवाओं और समाजहित के कार्यों के लिए World Record of Excellence (England) की ओर से Certificate of Appreciation और यंग अचीवर्स अवॉर्ड से सम्मानित किया गया है।

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यह सम्मान दिल्ली के भारत मंडपम और हरियाणा के करनाल में आयोजित एक विशेष कार्यक्रम में WRE के वाइस प्रेसिडेंट संजय पंजावाणी के हाथों उन्हें प्रदान किया गया।

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सम्मान से गूंज उठा पाकुड़
चंदन भगत की इस उपलब्धि ने न केवल उनके परिवार बल्कि पूरे पाकुड़ जिले को गर्व से भर दिया है। आमतौर पर छोटे कस्बों और गांवों से निकलकर राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाना आसान नहीं होता, लेकिन चंदन भगत ने अपने कर्मों से यह सिद्ध कर दिया कि जुनून और लगन से हर मुकाम हासिल किया जा सकता है।

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समाजसेवा बनी जीवन का उद्देश्य
चंदन प्रसाद भगत का समाजसेवा से जुड़ाव कई वर्षों से है। वे अपने साथियों के साथ मिलकर लगातार जरूरतमंदों की मदद करते रहे हैं। रक्तदान और ब्लड बैंक की व्यवस्था, कोरोना काल में गरीब और भूखों को भोजन उपलब्ध कराना, सर्दी में बेसहारा लोगों के बीच कपड़े बांटना, त्यौहारों में बच्चों और परिवारों को नए कपड़े और मिठाई उपलब्ध कराना। ये सारे कार्य उनके नेतृत्व में हिरणपुर के युवाओं ने मिलकर किए, जिससे समाज में सकारात्मक संदेश गया।

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सम्मान मिलने के बाद अपनी खुशी जाहिर करते हुए चंदन भगत ने कहा,

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“मैं भले ही छोटा-सा काम करता हूँ लेकिन मुझे मिला यह बड़ा सम्मान मेरी माँ, मातारानी और पूरे पाकुड़ जिले के आशीर्वाद का परिणाम है। यह सम्मान मैं हिरणपुर के युवाओं और समस्त पाकुड़ वासियों को समर्पित करता हूँ, जो समाज की हर छोटी-बड़ी समस्या का निःस्वार्थ समाधान करने के लिए तत्पर रहते हैं।” : चंदन भगत

उनकी यह बात यह दर्शाती है कि वे व्यक्तिगत उपलब्धियों से ज्यादा सामूहिक प्रयास और समाज की भलाई को महत्व देते हैं।

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कोरोना काल का योगदान
कोरोना महामारी के दौर में जब लोग भय और असुरक्षा से जूझ रहे थे, तब चंदन भगत और उनकी टीम ने आगे बढ़कर जरूरतमंदों की मदद की। उन्होंने कई इलाकों में राशन, दवा और भोजन वितरित कराया। साथ ही ब्लड की कमी से जूझ रहे मरीजों तक डोनर पहुंचाने का काम भी किया। इस सेवा भाव ने उन्हें आम जनता के बीच ‘युवा समाजसेवी’ के रूप में अलग पहचान दिलाई।

युवाओं के लिए प्रेरणा
चंदन भगत की यह उपलब्धि युवाओं के लिए प्रेरणादायक है। उन्होंने दिखाया कि समाज सेवा केवल बड़े शहरों से नहीं, बल्कि गांव-देहात से भी शुरू हो सकती है। उनके प्रयासों ने यह साबित किया कि निःस्वार्थ भाव से किया गया कार्य अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी पहचान दिला सकता है।

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जिले में खुशी की लहर
पाकुड़ के हिरणपुर और आसपास के क्षेत्रों में चंदन भगत को मिले सम्मान की खबर फैलते ही लोगों में हर्ष की लहर दौड़ गई। स्थानीय लोग इसे जिले की ऐतिहासिक उपलब्धि मान रहे हैं। सोशल मीडिया पर भी उन्हें बधाइयाँ मिल रही हैं।

चंदन भगत का यह सम्मान केवल व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं, बल्कि पूरे पाकुड़ जिले की सामूहिक जीत है। उनके कार्य यह संदेश देते हैं कि अगर नीयत साफ हो और इरादा मजबूत, तो छोटे से छोटे स्थान से भी बड़ी पहचान बनाई जा सकती है।

पाकुड़ की इस उपलब्धि ने झारखंड को एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय मंच पर गौरवान्वित किया है।

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