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रजिस्ट्री पत्र सेवा का हुआ समापन, अब स्पीड पोस्ट में मिलेगा पंजीकरण का विकल्प

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1854 से चली आ रही ऐतिहासिक डाक सेवा का हुआ अंत, 1 अक्टूबर से लागू नई व्यवस्था

रांची, 1 अक्टूबर 2025: भारतीय डाक विभाग की ऐतिहासिक और गौरवशाली सेवा रजिस्ट्री पत्र (Registered Letter) अब इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गई है। वर्ष 1854 में शुरू की गई यह सेवा 30 सितंबर 2025 को अपने आखिरी पड़ाव पर पहुँची। 171 वर्षों तक करोड़ों नागरिकों के संचार और दस्तावेज़ों की सुरक्षित डिलीवरी का आधार रही इस सेवा का अब पूर्ण रूप से समापन कर दिया गया है।

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आखिरी दिन का विशेष स्मृति पत्र
इस मौके को ऐतिहासिक बनाने के लिए रांची प्रधान डाकघर की ओर से विशेष “Last Day Registered Letter” तैयार कर देशभर के फिलेटलिस्टों (डाक टिकट संग्रहकर्ताओं) और डाक प्रेमियों को भेजा गया। इसे संग्रहणीय धरोहर माना जा रहा है, जो भविष्य में भारतीय डाक सेवा के एक महत्वपूर्ण अध्याय की याद दिलाता रहेगा।

फिलेटली ब्यूरो प्रभारी संदीप कुमार महतो ने बताया कि

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“30 सितम्बर को जारी किया गया यह विशेष पत्र एक युग के अंत और नए युग की शुरुआत का प्रतीक है।”

1 अक्टूबर से नई व्यवस्था लागू
अब से यानी 1 अक्टूबर 2025 से रजिस्ट्री पत्र सेवा पूरी तरह से स्पीड पोस्ट सेवा में विलीन कर दी गई है। इसका अर्थ है कि अब ग्राहकों को पंजीकरण (Registration) का विकल्प केवल स्पीड पोस्ट के माध्यम से ही उपलब्ध होगा। नई व्यवस्था के तहत पंजीकरण के साथ आधुनिक और तेज़ सुविधाएँ दी जाएँगी, जिनमें

  • ओटीपी आधारित डिलीवरी
  • प्रूफ ऑफ डिलीवरी (POD)
  • ऑनलाइन ट्रैकिंग सिस्टम
  • बीमा एवं क्षतिपूर्ति की सुदृढ़ प्रणाली
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शुरुआती दिनों से जहाँ रजिस्ट्री पत्र हाथ से लिखे रजिस्टर में दर्ज होते थे और डाकिया हस्ताक्षर लेकर पत्र सुपुर्द करता था, वहीं अब तकनीक के साथ भारतीय डाक सेवा को डिजिटलीकरण और रीयल-टाइम ट्रैकिंग से और अधिक सुरक्षित व पारदर्शी बनाया जा रहा है।

नई दरें भी हुईं लागू
भारतीय डाक विभाग ने 1 अक्टूबर 2025 से नई दरें भी लागू कर दी हैं। 50 ग्राम तक के स्थानीय दस्तावेज़ पर शुल्क अब ₹22.42 (जीएसटी सहित) तय किया गया है।

शुल्क संरचना दूरी के आधार पर 200 किलोमीटर , 500 किलोमीटर, 1000 किलोमीटर तक, 2000 किलोमीटर से अधिक चार श्रेणियों में विभाजित की गई है, विस्तृत दर तालिका विभाग द्वारा अलग से जारी की गई है।

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गौरवशाली विरासत और आधुनिक सफर
वरिष्ठ प्रधान डाकपाल, रांची जी.पी.ओ. दीवाकर प्रसाद ने कहा—

“रजिस्ट्री पोस्ट भारतीय डाक का गौरवशाली अध्याय रही है। अब इसका आधुनिक रूप स्पीड पोस्ट सेवा ग्राहकों को और तेज़, सुरक्षित और समयानुकूल सुविधा देगा।”

उन्होंने बताया कि डाक विभाग ने समय-समय पर अपनी सेवाओं को युगानुसार बदला है। जहाँ कभी चिट्ठियाँ ही संचार का प्रमुख साधन हुआ करती थीं, वहीं आज की डिजिटल दुनिया में भी डाक विभाग ग्राहकों को सस्ती, सुरक्षित और भरोसेमंद सेवा देने के लिए नए विकल्प प्रस्तुत कर रहा है।

डाक सेवा की बदलती पहचान

डाक सेवाओं ने स्वतंत्रता आंदोलन से लेकर आधुनिक भारत तक समाज को जोड़े रखने में अहम भूमिका निभाई है। कभी पत्राचार की जीवनरेखा रही रजिस्ट्री सेवा अब अपनी जगह तकनीक आधारित स्पीड पोस्ट को सौंप चुकी है। रजिस्ट्री पत्र ने केवल नागरिकों को ही नहीं, बल्कि न्यायपालिका, सरकारी कार्यालयों और कानूनी प्रक्रियाओं में भी अपनी अहमियत साबित की थी। आधिकारिक संचार और संवेदनशील दस्तावेज़ों की सुरक्षित डिलीवरी के लिए यह सेवा पहली पसंद रही। अब जबकि इसकी जगह स्पीड पोस्ट ने ले ली है, तो ग्राहकों को और तेज़, डिजिटल और सुरक्षित सुविधा मिलेगी।

जनता की प्रतिक्रिया
रजिस्ट्री पत्र सेवा के अंत से कई पुराने ग्राहकों और डाक प्रेमियों ने भावनात्मक प्रतिक्रिया दी। रांची निवासी सेवानिवृत्त शिक्षक राकेश सिंह ने कहा—

“हमने जीवनभर डाक टिकट और रजिस्ट्री पत्र के सहारे ही चिट्ठियाँ भेजीं। यह सेवा हमारे लिए यादों से जुड़ी रही। हालांकि, समय बदलता है और अब नई पीढ़ी को आधुनिक स्पीड पोस्ट का लाभ मिलेगा।”

भारतीय डाक विभाग की रजिस्ट्री सेवा ने 171 वर्षों तक देश को जोड़े रखा और अब स्पीड पोस्ट सेवा उसी परंपरा को आधुनिक रूप में आगे बढ़ा रही है। यह बदलाव न केवल तकनीकी उन्नति का प्रतीक है, बल्कि ग्राहकों के लिए और अधिक भरोसेमंद सुविधा की ओर एक कदम भी है।

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