झारखंड सरकार ने वित्त आयोग से टैक्स शेयर 50% करने की मांग की, स्थानीय निकाय चुनाव की शर्त पर फंसी केंद्र की राशि

रांची,30 मई 2025: सोलहवें वित्त आयोग के अध्यक्ष डॉ. अरविंद पनगढ़िया ने शुक्रवार को रांची में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कई महत्वपूर्ण बिंदुओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि झारखंड सरकार ने केंद्र सरकार से करों में राज्यों की हिस्सेदारी को 41% से बढ़ाकर 50% करने की औपचारिक मांग की है।

क्या है झारखंड की मांग?
राज्य सरकार का तर्क है कि केंद्र-राज्य वित्तीय संतुलन को बेहतर करने के लिए राज्यों की हिस्सेदारी बढ़ाना आवश्यक है। वर्तमान में 15वें वित्त आयोग द्वारा निर्धारित फॉर्मूले के अनुसार 41% हिस्सा राज्यों को और 59% केंद्र को मिलता है। झारखंड सरकार चाहती है कि यह हिस्सा बढ़ाकर 50% किया जाए।

राजस्व वितरण का प्रस्तावित फॉर्मूला (झारखंड सरकार के अनुसार):
- 17.5% – जनसंख्या के आधार पर
- 15% – राज्य के क्षेत्रफल के आधार पर
- 50% – प्रति व्यक्ति आय के आधार पर (जितनी कम आय, उतना ज्यादा हिस्सा)
- 12.5% – वन क्षेत्र के आधार पर
- 2.5% – GST नुकसान के आधार पर
- 2.5% – टैक्स कलेक्शन एफर्ट के आधार पर
स्थानीय निकाय चुनावों पर अटकी केंद्रीय राशि



डॉ. पनगढ़िया ने यह भी स्पष्ट किया कि राज्य सरकार लंबे समय से पंचायत चुनाव नहीं करा सकी है, जिसके कारण केंद्र से मिलने वाली वित्तीय सहायता (विशेष रूप से स्थानीय निकायों के लिए) रुकी हुई है। उन्होंने कहा:
“यदि झारखंड सरकार इस वित्तीय वर्ष में स्थानीय निकाय चुनाव नहीं कराती है, तो केंद्र से मिलने वाली राशि बैकलॉग में चली जाएगी और राज्य को उसका नुकसान उठाना पड़ेगा।”
राज्य के लिए चेतावनी और अवसर दोनों
इस प्रेस वार्ता के जरिए वित्त आयोग ने यह स्पष्ट कर दिया कि संवैधानिक एवं वित्तीय बाध्यताओं का पालन करना राज्य सरकार की जिम्मेदारी है। वहीं, कर हिस्सेदारी बढ़ाने की मांग को आयोग गंभीरता से ले रहा है, लेकिन उसे सभी राज्यों की स्थिति के आलोक में ही विचार किया जाएगा।
राजनीतिक और आर्थिक दृष्टिकोण से अहम
झारखंड के लिए यह प्रेस कॉन्फ्रेंस इसलिए महत्वपूर्ण रही क्योंकि एक ओर राज्य सरकार अपने वित्तीय अधिकारों के विस्तार की मांग कर रही है, वहीं दूसरी ओर, केंद्र की अनुदान राशि पर प्रशासनिक लापरवाही के कारण खतरा भी मंडरा रहा है।
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