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जमशेदपुर में डूरंड कप ट्रॉफी का अनावरण: खेल, संस्कृति और गौरव का संगम

डूरंड कप का आयोजन झारखंड के लिए गौरव का क्षण है। ऐसे आयोजनों से राज्य की खेल संस्कृति को बढ़ावा मिलता है और युवाओं को वैश्विक स्तर पर खुद को साबित करने का अवसर मिलता है : राज्यपाल
डूरंड कप का झारखंड में आयोजन न केवल खिलाड़ियों को उत्साहित करेगा, बल्कि स्थानीय युवाओं के लिए एक नई दिशा खोलेगा: रामदास सोरेन
जमशेदपुर: झारखंड के औद्योगिक नगरी जमशेदपुर में शनिवार का दिन इतिहास में दर्ज हो गया, जब देश के सबसे प्रतिष्ठित और विश्व के सबसे पुराने फुटबॉल टूर्नामेंट डूरंड कप 2025 की ट्रॉफी का अनावरण हुआ। यह आयोजन न केवल खेलप्रेमियों के लिए, बल्कि राज्य के सामाजिक और सांस्कृतिक परिप्रेक्ष्य में भी एक गौरवपूर्ण क्षण था।

XLRI सभागार में आयोजित इस भव्य समारोह का आयोजन भारतीय सशस्त्र सेनाओं द्वारा किया गया था, जिसमें झारखंड सरकार ने सक्रिय सहयोग प्रदान किया। मुख्य अतिथि के रूप में राज्यपाल संतोष गंगवार और विशिष्ट अतिथि के रूप में झारखंड के शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन उपस्थित रहे। उनके साथ मंच पर जिला उपायुक्त कर्ण सत्यार्थी, वरीय पुलिस अधीक्षक पीयूष पांडेय, खेल निदेशक शेखर जमुआर, टाटा स्टील और सेना के वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे।

ट्रॉफी का अनावरण होते ही सभागार तालियों से गूंज उठा। मंच पर चमचमाती ट्रॉफी जब लाल मखमली पर्दे से बाहर आई, तो वहां मौजूद हर चेहरा गर्व और उत्साह से भर गया। डूरंड कप केवल एक टूर्नामेंट नहीं, बल्कि भारत के सैन्य इतिहास, खेल परंपरा और युवाओं की ऊर्जा का प्रतीक बन चुका है।

राज्यपाल संतोष गंगवार ने अपने संबोधन में कहा,
“डूरंड कप का आयोजन झारखंड के लिए गौरव का क्षण है। ऐसे आयोजनों से राज्य की खेल संस्कृति को बढ़ावा मिलता है और युवाओं को वैश्विक स्तर पर खुद को साबित करने का अवसर मिलता है।”


उन्होंने यह भी जोड़ा कि फुटबॉल केवल खेल नहीं, बल्कि जीवन के बड़े पाठ सिखाने वाला माध्यम है—अनुशासन, टीम भावना और संयम इसकी आत्मा है। उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार ने ओलंपिक 2036 की मेजबानी के लिए भी दावेदारी पेश की है और ऐसे आयोजनों के माध्यम से भारत अपनी तैयारी दिखा रहा है। झारखंड के युवाओं की प्रशंसा करते हुए उन्होंने कहा कि राज्य के खिलाड़ियों ने कई अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर देश और प्रदेश का नाम रोशन किया है।

शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन ने कहा कि राज्य सरकार खेलों को लेकर गंभीर है और नई खेल नीति इसके प्रमाण हैं।
“डूरंड कप का झारखंड में आयोजन न केवल खिलाड़ियों को उत्साहित करेगा, बल्कि स्थानीय युवाओं के लिए एक नई दिशा खोलेगा,”
मंत्री ने बताया कि राज्य सरकार लगातार यह प्रयास कर रही है कि प्रतिभाशाली खिलाड़ियों को प्रशिक्षण, संसाधन और मंच उपलब्ध कराया जाए ताकि वे देश-विदेश में अपनी छाप छोड़ सकें।
इस आयोजन को सफल बनाने में भारतीय सेना की बड़ी भूमिका रही, जिनके अधिकारी मोहित मल्होत्रा और परमजीत सिंह डागर ने पूरे कार्यक्रम की रूपरेखा तैयार की। सेना की ओर से यह संदेश भी दिया गया कि खेल केवल मनोरंजन का साधन नहीं, बल्कि राष्ट्रीय एकता, अनुशासन और सेवा भावना का प्रतीक है।
सभागार में बैठे छात्र, युवा खिलाड़ी, खेल अधिकारी और टाटा स्टील के प्रतिनिधि भी इस क्षण के गवाह बने। कार्यक्रम के दौरान सेना द्वारा डूरंड कप के इतिहास पर एक लघु फिल्म भी दिखाई गई, जिसमें बताया गया कि कैसे 1888 में शुरू हुआ यह टूर्नामेंट आज भी युवा ऊर्जा का प्रतीक बना हुआ है।

इस समारोह ने न केवल फुटबॉल प्रेमियों को जोड़ा, बल्कि यह दिखाया कि झारखंड अब केवल खनिज राज्य नहीं, बल्कि खेलों का भी हब बनने की दिशा में बढ़ रहा है।
डूरंड कप ट्रॉफी का जमशेदपुर में अनावरण झारखंड के खेल जगत के लिए एक ऐतिहासिक क्षण बन गया है। यह आयोजन न सिर्फ राज्य की खेल नीति को मजबूती देगा, बल्कि युवाओं को नई प्रेरणा भी देगा। झारखंड सरकार और भारतीय सेना का यह संयुक्त प्रयास आने वाले समय में राज्य को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय खेल मानचित्र पर मजबूत उपस्थिति दिलाने में मददगार होगा।