गिरिडीह में सरकारी कर्मचारी प्रदीप गोस्वामी के घर ACB का छापा, आय से अधिक संपत्ति की जांच तेज

गिरिडीह में सरकारी बाबू के घर एसीबी का छापा गिरिडीह में सरकारी बाबू के घर एसीबी का छापा
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धनबाद से आई एसीबी टीम की अचानक कार्रवाई, पहले से चल रहा है भ्रष्टाचार का मामला, अधिकारियों ने चुप्पी साधी

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गिरिडीह, झारखंड: झारखंड के गिरिडीह जिले से एक और सरकारी भ्रष्टाचार का मामला सुर्खियों में है। सोमवार की सुबह धनबाद से पहुंची एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) की टीम ने सरकारी कर्मचारी प्रदीप गोस्वामी के निजी आवास पर अचानक छापेमारी की। बताया जा रहा है कि यह कार्रवाई आय से अधिक संपत्ति के मामले में पहले से दर्ज शिकायत के आधार पर की गई है। प्रदीप गोस्वामी पहले गिरिडीह जिला स्थापना शाखा में कार्यरत थे और वर्तमान में पीरटांड प्रखंड कार्यालय में तैनात हैं। वर्षों से उन पर प्रशासनिक प्रक्रिया में अनियमितता और संपत्ति अर्जन में पारदर्शिता की कमी के आरोप लगते रहे हैं। अब एसीबी की सीधी कार्रवाई ने इन आरोपों को नया बल दिया है।

अचानक हुई छापेमारी से हड़कंप
स्थानीय लोगों और कर्मचारियों के अनुसार, सोमवार सुबह ACB की एक टीम चार वाहनों में गिरिडीह पहुंची और किसी पूर्व सूचना के बिना प्रदीप गोस्वामी के आवास पर दस्तक दी। इसके बाद लगभग तीन घंटे तक लगातार छानबीन चलती रही।टीम के सदस्य घर के कमरों, अलमारियों, दस्तावेज़ों और इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसों की बारीकी से जांच करते दिखे। स्थानीय पुलिस को भी सुरक्षा व्यवस्था के लिए बुलाया गया था।

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क्या है मामला, कब से चल रही है जांच?
सूत्रों के अनुसार, प्रदीप गोस्वामी के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने की शिकायत वर्षों पहले दर्ज हुई थी, लेकिन मामला गंभीरता से नहीं लिया गया। अब धनबाद ACB की जांच रिपोर्ट में कई अनियमितताओं की पुष्टि के बाद यह छापेमारी की गई। बताया जाता है कि प्रदीप गोस्वामी के पास एक से अधिक संपत्ति, वाहन, और शहर के बाहरी इलाकों में बेनामी प्लॉट की जानकारी एसीबी को मिली है। इस बीच, गोस्वामी के कुछ रिश्तेदारों और नजदीकी लोगों की भी भूमिका को जांच के दायरे में लाया जा सकता है।

एसीबी की टीम ने साधी चुप्पी
पूरी कार्रवाई के दौरान और बाद में भी ACB अधिकारियों ने मीडिया से कोई सीधा संवाद नहीं किया। जब उनसे जानकारी मांगी गई तो उन्होंने कहा: “जांच अभी प्रारंभिक चरण में है। सभी दस्तावेजों और साक्ष्यों का मूल्यांकन किया जा रहा है। उपयुक्त समय पर प्रेस ब्रीफिंग के माध्यम से जानकारी साझा की जाएगी।” इस जवाब ने साफ कर दिया कि फिलहाल कई चीजें गोपनीय रखी जा रही हैं, लेकिन आगामी दिनों में एक बड़ा खुलासा हो सकता है।

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सवालों के घेरे में व्यवस्था, क्या अकेले थे गोस्वामी?
अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या प्रदीप गोस्वामी ने यह कथित भ्रष्टाचार अकेले किया या सिस्टम के भीतर और भी लोग शामिल हैं? उनकी नियुक्ति और तबादलों को लेकर भी पहले कई बार सवाल उठे हैं। कुछ अधिकारियों पर उनके पक्ष में नियमों को मोड़ने तक के आरोप लगे हैं।स्थानीय राजनीतिक और सामाजिक संगठनों का कहना है कि यह मामला सिर्फ एक व्यक्ति की गड़बड़ी नहीं, बल्कि पूरी व्यवस्था की पोल खोलता है। जनता की प्रतिक्रिया – “हर स्तर पर हो जांच”
स्थानीय निवासी मनोज सिंह कहते हैं:“अगर एक क्लर्क या बाबू इस तरह की संपत्ति जमा कर सकता है, तो सोचिए ऊपर बैठे अधिकारी क्या कर रहे होंगे? सरकार को चाहिए कि सिर्फ प्रदीप गोस्वामी नहीं, पूरे विभाग की संपत्ति जांच कराई जाए।”

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सामाजिक कार्यकर्ता पुष्पा देवी ने कहा: “हर आम आदमी को घंटों लाइन में खड़ा कर परेशान किया जाता है और यही कर्मचारी अरबों की संपत्ति जोड़ते हैं। यह सामाजिक अन्याय है।”

प्रदीप गोस्वामी के घर एसीबी की छापेमारी ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि झारखंड में सरकारी तंत्र की ईमानदारी सवालों के घेरे में है। भ्रष्टाचार कोई गुप्त शब्द नहीं, बल्कि व्यवस्था का हिस्सा बन चुका है। अब देखना होगा कि एसीबी इस कार्रवाई को किस स्तर तक लेकर जाती है — और क्या यह कार्रवाई सिर्फ छापेमारी तक सीमित रहती है या सजा तक पहुँचती है।

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