चाईबासा में माओवादियों के ठिकाने से ₹34.99 लाख की नकदी बरामद, सुरक्षा एजेंसियों का बड़ा ऑपरेशन

चाईबासा में माओवादियों से ₹34.99 लाख बरामद चाईबासा में माओवादियों से ₹34.99 लाख बरामद
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सुरक्षाबलों ने संभावित माओवादी हमले को किया नाकाम, नकदी का इस्तेमाल हथियार और विस्फोटकों की खरीद में किया जाना था

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चाईबासा, झारखंड: झारखंड पुलिस को माओवादियों के खिलाफ चल रहे अभियान में एक बड़ी सफलता हाथ लगी है। पश्चिमी सिंहभूम जिले के चाईबासा क्षेत्र में माओवादियों के ठिकाने से 34 लाख 99 हजार रुपये की नकद राशि बरामद की गई है। यह कार्रवाई पुलिस, झारखंड जगुआर और सीआरपीएफ की संयुक्त टीम द्वारा गुप्त सूचना के आधार पर की गई। यह रकम जमीन में गहरे गाड़कर छिपाई गई थी और पुलिस का दावा है कि इसे भाकपा (माओवादी) संगठन ने अवैध लेवी वसूली से जमा किया था। इसका इस्तेमाल हथियार और विस्फोटक सामग्री की खरीद में किया जाना था।

सुरक्षाबलों की त्वरित कार्रवाई से बची बड़ी वारदात
चाईबासा के पुलिस अधीक्षक राकेश रंजन ने प्रेस को बताया कि यदि समय पर यह कार्रवाई नहीं होती, तो इस पैसे का इस्तेमाल कर माओवादी राज्य में बड़ी आतंकी गतिविधियों को अंजाम दे सकते थे।

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“हमने न सिर्फ माओवादियों के फंडिंग नेटवर्क को तोड़ा है, बल्कि उनकी एक संभावित योजना को विफल भी किया है।” – एसपी राकेश रंजन

बरामद नकदी को फिलहाल सील कर लिया गया है और इसे न्यायालय में प्रस्तुत किया जाएगा। मामला कराईकेला थाना में दर्ज किया गया है और इसकी जांच राष्ट्रीय सुरक्षा के दायरे में गंभीरता से की जा रही है।

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नक्सलियों का आर्थिक तंत्र – ‘लेवी और दहशत’ का जाल
झारखंड के नक्सल प्रभावित इलाकों में भाकपा (माओवादी) संगठन लंबे समय से निर्माण कंपनियों, ठेकेदारों, ग्रामीण व्यापारियों और यहां तक कि सरकारी योजनाओं में लगे कर्मचारियों से ‘लेवी’ वसूलने का नेटवर्क चला रहा है। यह लेवी कभी नगद में, कभी संसाधनों के रूप में ली जाती है और उसका उपयोग अवैध हथियार, विस्फोटक, ट्रेनिंग कैंप और संगठन के संचालन में होता है। इस बार जो रकम मिली है, उसे लेकर माना जा रहा है कि माओवादियों ने किसी बड़े ऑपरेशन की योजना बना रखी थी, जो अब इस बरामदगी के कारण पूरी तरह विफल हो गया है।

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“अब सीधा प्रहार आर्थिक आधार पर” – झारखंड पुलिस की रणनीति
झारखंड पुलिस ने अब माओवादियों पर केवल सामरिक नहीं, बल्कि आर्थिक मोर्चे पर भी हमला शुरू कर दिया है। हाल के वर्षों में पुलिस ने रणनीति बदली है — अब केवल मुठभेड़ नहीं, बल्कि उनके फाइनेंस, रसद और सपोर्ट नेटवर्क पर चोट की जा रही है। एसपी राकेश रंजन ने इस बरामदगी को माओवादी संगठन के वित्तीय तंत्र पर अब तक का सबसे बड़ा प्रहार करार दिया।

स्थानीय संलिप्तता की जांच जारी, गिरफ्तारी संभव
पुलिस को आशंका है कि इस गतिविधि में कुछ स्थानीय लोगों की भी मिलीभगत हो सकती है। ऐसा पहली बार नहीं हुआ है कि माओवादियों के लिए काम करने वाले स्थानीय सहयोगी जमीन में कैश या हथियार छिपाकर रखते हैं। अब पुलिस संदिग्ध स्थानीय संपर्कों की जांच कर रही है। जल्द ही कुछ गिरफ्तारियां भी हो सकती हैं।

पुलिस की अपील – “सूचना दें, नाम उजागर नहीं होगा”
चाईबासा पुलिस ने आम जनता से अपील की है कि वे किसी भी नक्सल गतिविधि की सूचना गोपनीय रूप से पुलिस को दें। पुलिस ने भरोसा दिलाया है कि सूचना देने वाले व्यक्ति की पहचान पूरी तरह सुरक्षित रखी जाएगी।

“नक्सली अब पहले जैसे नहीं बचे। अब जनता की ताकत और पुलिस की रणनीति से उनका अंत नजदीक है।” – वरिष्ठ पुलिस अधिकारी


चाईबासा की यह कार्रवाई सिर्फ ₹34.99 लाख की नकदी बरामदगी नहीं है, यह नक्सल आतंक के विरुद्ध आर्थिक युद्ध की शुरुआत है। झारखंड सरकार और सुरक्षाबलों की इस संयुक्त रणनीति से यह साफ है कि अब माओवादियों को लड़ाई के हर मोर्चे पर घेरा जा रहा है – बंदूक से लेकर बैंक तक।अब देखना यह होगा कि इस कार्रवाई के बाद अन्य जिलों में भी इसी प्रकार की रेड होती है या नहीं। लेकिन फिलहाल यह कहा जा सकता है कि चाईबासा की यह बरामदगी माओवादियों के लिए तगड़ा झटका साबित हुई है।

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