झारखंड के विकास, खनन-पर्यावरण, वित्तीय स्वायत्तता और ग्राम केंद्रित नीति पर हुई गहन चर्चा
रांची, 29 मई 2025: मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन से आज 16वें वित्त आयोग के सदस्यों ने रांची स्थित मुख्यमंत्री आवासीय कार्यालय में मुलाकात की। इस दौरान आयोग के झारखंड दौरे के कार्यक्रमों, बैठकों और उद्देश्यों को लेकर विस्तृत विमर्श किया गया।
मुख्यमंत्री ने रखा झारखंड का यथार्थवादी दृष्टिकोण
मुख्यमंत्री ने आयोग के सदस्यों को बताया कि झारखंड की भौगोलिक संरचना, बिखरी बसावट और आदिवासी बहुल क्षेत्रों के कारण नीतियों के क्रियान्वयन में कई जमीनी चुनौतियां हैं। उन्होंने कहा कि:
“झारखंड देश के खनिज संसाधनों से भरपूर राज्य है और राष्ट्र के विकास में महत्त्वपूर्ण योगदान देता है, परंतु इसके बदले राज्य को विस्थापन, पर्यावरण क्षरण और भूमि हानि जैसी गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ता है।”
मुख्यमंत्री ने केंद्र की खनन कंपनियों की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए कहा कि खनन के बाद भूमि पुनरुद्धार (land reclamation) की प्रक्रिया अभी भी अधूरी और असंतुलित है।
वित्तीय स्वायत्तता की उठाई मांग
मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने आयोग से आग्रह किया कि राज्यों को स्थानीय आवश्यकताओं के अनुसार वित्तीय व्यय करने की अधिक स्वायत्तता मिलनी चाहिए। उन्होंने कहा:
“एक विकसित भारत का सपना, विकसित राज्यों और गांवों से होकर ही संभव है। प्रत्येक राज्य की ज़रूरतें भिन्न हैं, इसलिए एकरूपी नीति नहीं चल सकती।”
कृषि, मत्स्य पालन और आजीविका पर विशेष फोकस
मुख्यमंत्री ने कहा कि झारखंड की बड़ी आबादी कृषि पर निर्भर है और सरकार कृषि तथा संबद्ध क्षेत्रों जैसे मत्स्य पालन को प्राथमिकता दे रही है। उन्होंने बताया कि झारखंड ने मत्स्य क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की है और:
“कृषि, स्वास्थ्य, शिक्षा और आजीविका जैसे बुनियादी क्षेत्रों में विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है, ताकि राज्य का संतुलित और सतत विकास सुनिश्चित किया जा सके।”
बैठक में शामिल रहे ये प्रमुख अधिकारी
इस उच्चस्तरीय मुलाकात में झारखंड सरकार के वित्त मंत्री राधा कृष्ण किशोर सहित राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारीगण और 16वें वित्त आयोग के प्रतिनिधिगण उपस्थित रहे।
इस बैठक में मुख्यमंत्री ने झारखंड की वास्तविक चुनौतियों और विकास की संभावनाओं को सामने रखते हुए स्थानीय विकास केंद्रित, न्यायपूर्ण और व्यावहारिक वित्तीय दृष्टिकोण अपनाने की जरूरत पर बल दिया। यह मुलाकात न सिर्फ राज्य की प्राथमिकताओं को स्पष्ट करती है, बल्कि केंद्र व राज्य के बीच नीतिगत समन्वय की आवश्यकता को भी रेखांकित करती है।