अडानी और मणिपुर हिंसा के खिलाफ कांग्रेस का राजभवन मार्च, केंद्र सरकार पर लगाए गंभीर आरोप

झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के निर्देशानुसार राजभवन मार्च आयोजित किया। यह प्रदर्शन अडानी और उनके सहयोगियों को बचाने तथा मणिपुर में जारी हिंसा की अनदेखी के विरोध में किया गया। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष केशव महतो कमलेश के नेतृत्व में शहीद स्थल से राजभवन तक निकाले गए इस मार्च के दौरान सभा भी आयोजित की गई।

सभा को संबोधित करते हुए केशव महतो कमलेश ने केंद्र सरकार पर हमला बोलते हुए कहा, “अडानी की जालसाजी और मणिपुर में हिंसा के मामले पर प्रधानमंत्री पूरी तरह मौन हैं। कांग्रेस इन मुद्दों को लगातार संसद में उठा रही है, लेकिन सरकार कोई जवाब नहीं दे रही।” उन्होंने मणिपुर हिंसा और अडानी प्रकरण पर मोदी सरकार को घेरते हुए कहा कि प्रधानमंत्री ने अब तक मणिपुर का दौरा तक नहीं किया, जिससे साफ है कि उनकी प्राथमिकता में यह मुद्दा नहीं है।
कांग्रेस विधायक दल नेता प्रदीप यादव ने केंद्र सरकार पर संवैधानिक मूल्यों की अनदेखी और जनता की आवाज को दबाने का आरोप लगाते हुए कहा कि “अमित शाह और नरेंद्र मोदी ने मणिपुर जैसे संवेदनशील मुद्दे पर चुप्पी साध ली है।”

कांग्रेस विधायक दल के उप नेता राजेश कच्छप ने कहा, “संविधान ने ही मोदी जी को चाय बेचने से प्रधानमंत्री बनने का मौका दिया। लेकिन आज अडानी को बचाने के लिए वह संविधान का सम्मान भी भूल गए हैं।”
वित्त मंत्री राधा कृष्ण किशोर ने कहा कि “जो दल अंबेडकर जी का अपमान करता है, वह लोकतांत्रिक मूल्यों का हनन कर रहा है। भाजपा संविधान और सामाजिक समानता को खत्म करने की कोशिश कर रही है।”

स्वास्थ्य मंत्री डॉ. इरफान अंसारी ने कहा कि “देश का हर नागरिक भाजपा के संविधान विरोधी रवैये से नाराज है। अडानी के इशारों पर देश नहीं चल सकता।” वहीं कृषि मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की ने संविधान की सुरक्षा के लिए कांग्रेस की प्रतिबद्धता व्यक्त की।
पूर्व प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर ने कहा, “अडानी से यारी और मणिपुर से गद्दारी नहीं चलेगी। कांग्रेस इस मुद्दे पर संघर्ष जारी रखेगी।”
मार्च में हजारों कांग्रेस कार्यकर्ता और वरिष्ठ नेता शामिल हुए, जिनमें कांग्रेस विधायक, पूर्व मंत्री, जिलाध्यक्ष, और अन्य प्रमुख नेता शामिल थे। सभा में कांग्रेस नेताओं ने एक सुर में केंद्र सरकार की नीतियों का विरोध किया और अडानी मामले व मणिपुर हिंसा पर प्रधानमंत्री से जवाब मांगते हुए संघर्ष जारी रखने का संकल्प लिया।