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मुख्यमंत्री के निर्देश पर दुबई में फंसे झारखंड के कामगारों को मिली राहत, जल्द होगी वतन वापसी

झारखंड के किसी भी कामगार को विदेश में परेशान नहीं होने दिया जाएगा: हेमंत सोरेन
रांची/दुबई: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के त्वरित निर्देशों और मानवीय पहल के चलते दुबई में फंसे झारखंड के 15 प्रवासी कामगारों की सुरक्षित वतन वापसी का रास्ता साफ हो गया है। गिरिडीह, हजारीबाग और धनबाद जिलों से ताल्लुक रखने वाले ये कामगार Masai Contracting L.L.C. दुबई में कार्यरत थे। महीनों से वेतन न मिलने, पानी और किराया जैसी बुनियादी समस्याओं से जूझते हुए इन कामगारों ने वीडियो जारी कर राज्य सरकार से मदद की गुहार लगाई थी।

कामगारों की पुकार पर मुख्यमंत्री की संवेदनशील प्रतिक्रिया
कामगारों की आपबीती सामने आने के तुरंत बाद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने राज्य श्रम विभाग और प्रवासी श्रमिक नियंत्रण कक्ष को तत्काल कार्रवाई का निर्देश दिया। सीएम ने स्पष्ट कहा कि झारखंड के किसी भी कामगार को विदेश में परेशान नहीं होने दिया जाएगा।

वेतन भुगतान और दूतावास की पहल
झारखंड सरकार के अनुरोध पर अब भारतीय दूतावास, दुबई और अबूधाबी ने सक्रिय हस्तक्षेप किया। Masai Contracting L.L.C. के महाप्रबंधक एन. टी. रेड्डी ने दूतावास को आश्वासन दिया कि सभी कामगारों को बकाया वेतन और वापसी की सुविधा दी जाएगी। इस दिशा में 2 जुलाई 2025 को अप्रैल माह का बकाया वेतन ₹5,55,242.07 भुगतान कर दिया गया है। कंपनी ने शेष वेतन और यात्रा व्यय भी वहन करने का वचन दिया है।


पानी और भोजन जैसी मूलभूत सहायता भी पहुंचाई गई
मुख्यमंत्री के निर्देशानुसार झारखंड प्रवासी नियंत्रण कक्ष द्वारा कामगारों को भोजन, पानी, दवा, और जरूरी सहायता उपलब्ध कराई गई। यह सभी काम राज्य सरकार, विदेश मंत्रालय और दूतावास के संयुक्त प्रयासों से हो सके।
कामगारों ने जताया आभार
कामगारों ने सरकार को धन्यवाद देते हुए कहा,
“हमने उम्मीद खो दी थी। लेकिन मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के हस्तक्षेप से न सिर्फ हमें वेतन मिल रहा है, बल्कि हम सुरक्षित घर लौट पाएंगे। यह हमारे लिए नई जिंदगी जैसा है।”
प्रवासी नीति के प्रति झारखंड सरकार की प्रतिबद्धता
इस घटना ने एक बार फिर दिखाया कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की सरकार प्रवासी मजदूरों की सुरक्षा, सम्मान और अधिकारों के प्रति पूरी तरह संवेदनशील है। चाहे खाड़ी देश हो या मलेशिया, कहीं भी अगर झारखंड का श्रमिक संकट में है, तो राज्य सरकार तत्परता से साथ खड़ी है।
झारखंड सरकार का यह कदम न केवल दुबई में फंसे कामगारों के लिए राहत की सांस है, बल्कि यह संदेश भी देता है कि प्रवासी मजदूर अब अकेले नहीं हैं। राज्य सरकार का प्रभावी प्रवासी नियंत्रण तंत्र और मुख्यमंत्री का मानवीय नेतृत्व झारखंड को श्रमिक-हितैषी राज्यों की अग्रिम पंक्ति में खड़ा करता है।