दलमा सेंचुरी से भोजन-पानी की तलाश में भटके 16 हाथियों का झुंड और एक ट्रस्कर कर रहे उत्पात, ग्रामीणों में गुस्सा और डर दोनों

हाथियों का आतंक झारखंड
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सरायकेला (झारखंड): झारखंड के सरायकेला-खरसावां जिले के नीमडीह प्रखंड में हाथियों के झुंड ने जनजीवन को पूरी तरह से अस्त-व्यस्त कर दिया है। दलमा सेंचुरी से भोजन और पानी की तलाश में भटके 16 हाथियों और एक ट्रस्कर हाथी ने इलाके में भारी तबाही मचाई है। तिल्ला पंचायत के कुशपुतुल गांव में बीते रात हाथियों के झुंड ने छह घरों को तहस-नहस कर दिया, और वहां रखे अनाज, कपड़े और अन्य घरेलू सामान को रौंदते हुए खा गए या बर्बाद कर दिया।

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पूर्व मंत्री की पत्नी बाल-बाल बचीं
सबसे चिंताजनक बात यह रही कि इस हमले में झारखंड सरकार के पूर्व मंत्री स्व. घनश्याम महतो की पत्नी भी निशाने पर आ सकती थीं, लेकिन वे सौभाग्य से बाल-बाल बच गईं। ग्रामीणों के मुताबिक, हाथी देर रात गांव में घुसे और घंटों तक उत्पात मचाते रहे। उनके डर से गांववाले जंगल की ओर भाग गए या पेड़ों पर चढ़कर जान बचाई।

वन विभाग की कार्रवाई माइकिंग तक सीमित
ग्रामीणों ने वन विभाग पर गंभीर आरोप लगाए हैं। वन विभाग की ओर से केवल माइकिंग कर लोगों को सतर्क किया जा रहा है, लेकिन मौके पर पहुंचकर किसी प्रकार की रोकथाम या पुनर्वास की कोई व्यवस्था नहीं की गई है।

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नीमडीह वन क्षेत्र के अधिकारियों द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, दलमा सेंचुरी से आए इन हाथियों का आंदोलन मौसमी है और बारिश के चलते वे अक्सर गांवों में घुस आते हैं। लेकिन ग्रामीणों का कहना है कि यह कोई नई समस्या नहीं है, हर साल हाथी फसलों, घरों और जान-माल का नुकसान करते हैं, लेकिन वन विभाग से न तो कोई राहत मिलती है और न ही मुआवजा।

ग्रामीणों का आक्रोश
कुशपुतुल गांव के निवासी रामकृष्ण महतो ने बताया, “पिछले साल भी हमारे घर में हाथियों ने घुसकर सबकुछ बर्बाद कर दिया था। हमने कई बार वन विभाग को सूचना दी, लेकिन न कोई मदद आई और न ही कोई मुआवजा मिला।”

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ग्रामीण नंदू बेसरा का कहना है, “हम रात में सो नहीं पाते, हर समय डर बना रहता है कि कब हाथी हमला कर दें। खेतों में जाना भी खतरे से खाली नहीं है।”

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हाथियों की संख्या और स्थिति
वन विभाग के मुताबिक, वर्तमान में नीमडीह क्षेत्र में 16 हाथियों का झुंड और एक आक्रामक ट्रस्कर हाथी सक्रिय है। ट्रस्कर हाथी आमतौर पर अकेला चलता है और उसकी प्रवृत्ति बेहद उग्र होती है। विभाग ने चेतावनी दी है कि लोग समूह में रहें, अलाव जलाते रहें और वन क्षेत्रों से दूर रहें।

बारिश से बढ़ी परेशानी
बारिश के मौसम में जंगलों में चारा और पानी की कमी हो जाती है, जिससे हाथी अक्सर गांवों का रुख करते हैं। दलमा सेंचुरी, जो इन हाथियों का मूल आवास है, वहां पर्याप्त व्यवस्था नहीं होने के कारण जानवर भटककर आबादी वाले इलाकों में पहुंच रहे हैं।

राज्य सरकार की चुप्पी चिंताजनक
ग्रामीणों और स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने राज्य सरकार से हस्तक्षेप की मांग की है। उनका कहना है कि हाथी हमलों को आपदा घोषित कर विशेष सहायता नीति लागू की जानी चाहिए, जिससे पीड़ित परिवारों को मुआवजा और राहत मिल सके।

सरायकेला का नीमडीह प्रखंड इस समय हाथियों के आतंक से जूझ रहा है। वन विभाग की ओर से केवल सतर्कता बरतने की अपील की जा रही है, लेकिन जमीनी कार्रवाई और राहत की भारी कमी देखी जा रही है। पीड़ित ग्रामीण अब सरकार और वन विभाग से तत्काल मुआवजा, पुनर्वास और सुरक्षा उपायों की मांग कर रहे हैं।

Munadi Live आपसे अपील करता है कि यदि आप इस क्षेत्र से हैं, तो अपने आस-पास के लोगों को हाथियों के बारे में सतर्क करें, समूह में रहें और वन विभाग से संपर्क में बने रहें।

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