गुमला से टीम इंडिया तक: कृष्ण टाना भगत की संघर्ष और सफलता की कहानी

गुमला, झारखंड: गुमला जिले ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि यह केवल झारखंड का नहीं, बल्कि पूरे देश का ‘खेल नगरी’ है। खेल प्रतिभाओं की भूमि पर राजकीयकृत मध्य विद्यालय, गुमला मुख्यालय के आठवीं कक्षा में पढ़ने वाले 14 वर्षीय छात्र कृष्ण टाना भगत ने कमाल कर दिया है। कृष्ण का चयन अंडर-16 भारतीय क्रिकेट टीम में हुआ है, और इस खबर ने पूरे जिले में खुशी और गर्व की लहर दौड़ा दी है।

वेल्डिंग-मजदूरी से क्रिकेट टीम तक का सफर
कृष्ण टाना भगत मूल रूप से सिसई प्रखंड के नगर सिसकारी गांव का निवासी है। लेकिन उनके पिता का पेशा गुमला से दूर हिमाचल प्रदेश में वेल्डिंग का है, और मां सिलाई का काम करती हैं। पूरे परिवार का गुज़ारा सीमित आमदनी पर चलता है। आर्थिक चुनौतियों के बावजूद, माता-पिता ने कृष्ण के क्रिकेट के प्रति जुनून को कभी दबने नहीं दिया, बल्कि उसे हर कदम पर प्रोत्साहित किया।
कृष्ण ने बताया,
“मेरे मम्मी-पापा हमेशा कहते थे कि मेहनत करोगे तो भगवान भी साथ देगा। यही विश्वास लेकर मैं खेलता रहा।”
पढ़ाई और प्रैक्टिस दोनों में अव्वल
इस समय कृष्ण गुमला के महुआडीपा क्षेत्र में एक दोस्त के साथ भाड़े के मकान में रह रहा है। हर दिन वह बस से स्कूल आता-जाता है और शाम को परमवीर अल्बर्ट एक्का स्टेडियम में प्रैक्टिस करता है। उसे मार्गदर्शन मिल रहा है अनुभवी कोच ज्ञान सर से, जिनके प्रशिक्षण में कई खिलाड़ियों ने राज्य व राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाई है।

कोच ज्ञान सर ने बताया:
![]()
“कृष्ण में जुनून है, अनुशासन है और लगातार सीखने की ललक है। उसने हर नेट सेशन में खुद को साबित किया है।”
रांची ट्रायल बना टर्निंग प्वाइंट
दिसंबर 2024 में जब राज्य स्तर पर ट्रायल का आयोजन रांची में हुआ, तो कृष्ण ने भी अपना नामांकन कराया। सीमित संसाधनों के बावजूद उसने बैट्समैन के रूप में शानदार प्रदर्शन किया और सिलेक्शन कमेटी का ध्यान खींचा। इसके बाद उसका नाम सीधे अंडर-16 इंडिया टीम के लिए चयनित खिलाड़ियों में शामिल कर लिया गया।
विद्यालय के शिक्षक, मित्र और स्थानीय लोग कृष्ण की इस उपलब्धि से फूले नहीं समा रहे हैं। राजकीयकृत मध्य विद्यालय के प्रधानाध्यापक ने कहा:
“यह हमारे विद्यालय के लिए गौरव का क्षण है। हमने कभी नहीं सोचा था कि इतने साधनहीन परिवार से एक बच्चा देश का प्रतिनिधित्व करेगा।”
पूरा गुमला बना कृष्ण का फैन
कृष्ण के चयन की खबर पूरे गुमला जिले में तेज़ी से वायरल हो गई। जगह-जगह पोस्टर लगाकर, ढोल-नगाड़े बजाकर और मिठाइयां बांटकर लोगों ने अपनी खुशी जाहिर की। गुमला प्रशासन और जिला खेल पदाधिकारियों ने भी कृष्ण को संभव हर सहायता देने की बात कही है।
संघर्ष बना सफलता की सीढ़ी
कृष्ण की कहानी हर उस छात्र के लिए प्रेरणा है, जो छोटे शहर, सीमित संसाधनों और कठिन परिस्थितियों से निकलकर बड़ा सपना देखने की हिम्मत रखता है। कृष्ण ने यह साबित कर दिया कि यदि इरादे मजबूत हों, तो कोई भी सपना असंभव नहीं होता।
गुमला जैसे सीमावर्ती और संसाधनहीन क्षेत्र से निकलकर राष्ट्रीय स्तर पर नाम कमाना केवल व्यक्तिगत नहीं, सामाजिक उपलब्धि भी है। राज्य सरकार और खेल विभाग को चाहिए कि ऐसे प्रतिभाओं को पहचान कर उन्हें स्पॉन्सरशिप, ट्रेनिंग और उच्चस्तरीय सुविधाएं प्रदान करे, ताकि झारखंड के गांवों से और भी कई कृष्ण निकल सकें।
रिपोर्ट: मुुनादी लाइव डिजिटल