महिलाओं ने रचा इतिहास: झारखंड विधानसभा में पहली बार 12 नेत्रियां होंगी शामिल

झामुमो की जीत (6)
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झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 के नतीजों ने इतिहास रच दिया है। इस बार कुल 12 महिला विधायकों ने जीत दर्ज की है, जो राज्य के संसदीय इतिहास में पहली बार हुआ है। इनमें से 8 विधायक इंडिया गठबंधन से और 4 विधायक भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) से निर्वाचित हुई हैं। महिलाओं की यह ऐतिहासिक उपस्थिति राज्य में राजनीतिक और सामाजिक बदलाव की एक नई दिशा दिखा रही है।

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झामुमो की महिलाओं की ऐतिहासिक जीत

झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) से 3 महिलाओं ने विधानसभा का टिकट जीतकर पार्टी का कद बढ़ाया।

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गांडेय: कल्पना मुर्मू सोरेन ने बीजेपी की मुनिया देवी को 17,142 वोटों से हराया।

जामा: पूर्व मंत्री लुईस मरांडी ने बीजेपी के सुरेश मुर्मू को 5,738 वोटों से पराजित किया।

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इचागढ़: सविता महतो ने आजसू के हरेलाल महतो को 26,523 वोटों से शिकस्त दी।

कांग्रेस की महिला विधायकों की सफलता

कांग्रेस पार्टी ने 5 सीटों पर महिला उम्मीदवारों के माध्यम से विजय प्राप्त की।

पाकुड़: निसात आलम ने आजसू के अजहर इस्लाम को 86,029 वोटों से हराया।

महगामा: दीपिका पांडे सिंह ने बीजेपी के अशोक कुमार को 18,645 वोटों से हराया।

रामगढ़: ममता देवी ने आजसू की सुनीता चौधरी को 6,790 वोटों से पराजित किया।

बोकारो: श्वेता सिंह ने बीजेपी के बिरंची नारायण को 7,207 वोटों से हराया।

मांडर: शिल्पी नेहा तिर्की ने बीजेपी के सन्नी टोप्पो को 22,803 वोटों से शिकस्त दी।

बीजेपी की महिला उम्मीदवारों की जीत

भारतीय जनता पार्टी ने भी 4 महिला विधायकों को चुनाव जिताकर अपना दमखम दिखाया।

कोडरमा: नीरा यादव ने राजद के सुभाष प्रसाद यादव को 5,815 वोटों से हराया।

जमुआ: मंजू कुमारी ने झामुमो के केदार हाजरा को 32,631 वोटों से हराया।

झरिया: रागिनी सिंह ने कांग्रेस की पूर्णिमा नीरज सिंह को 14,511 वोटों से हराया।

जमशेदपुर ईस्ट: पूर्णिमा साहू ने कांग्रेस के अजय कुमार को 42,871 वोटों से शिकस्त दी।

महिलाओं की ऐतिहासिक भागीदारी

यह पहली बार है जब झारखंड विधानसभा में इतनी बड़ी संख्या में महिलाओं ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है। यह जीत न केवल महिलाओं के बढ़ते राजनीतिक प्रभाव को दर्शाती है, बल्कि राज्य में महिला नेतृत्व के महत्व को भी रेखांकित करती है।

झारखंड के राजनीतिक परिदृश्य में यह बदलाव न केवल महिला सशक्तिकरण का प्रतीक है, बल्कि यह दिखाता है कि महिलाएं अब निर्णायक भूमिका निभाने के लिए तैयार हैं।

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