...

रेलवे ट्रैक बना तीन निर्दोष हाथियों की कब्र, जमशेदपुर-बंगाल सीमा पर दिल दहला देने वाला हादसा

Elephant Train Accident

चाकूलिया वन क्षेत्र के पास रेलवे लाइन पार करते समय तेज रफ्तार ट्रेन ने रौंद डाले तीन हाथी, रेलवे और वन विभाग की सतर्कता पर उठे सवाल

जमशेदपुर/झाड़ग्राम: पूर्वी भारत के जंगलों में वन्यजीवों और मानव विकास के बीच टकराव का एक और भयावह दृश्य सामने आया है। बीती रात झारखंड के जमशेदपुर से सटे पश्चिम बंगाल के झाड़ग्राम जिले के बांसतोला रेलवे ट्रैक पर ट्रेन की चपेट में आने से तीन जंगली हाथियों की दर्दनाक मौत हो गई। यह घटना चाकूलिया वन क्षेत्र के पास घटी जब एक हाथियों का झुंड रेलवे लाइन पार कर रहा था।

घटना के तुरंत बाद स्थानीय लोगों ने आवाजाही बंद कर दी और वन विभाग को सूचित किया। सूचना मिलते ही झाड़ग्राम वन विभाग की टीम और रेलवे अधिकारियों का दल घटनास्थल पर पहुंचा। हाथियों की मौत के बाद रेलवे ट्रैक पर रेल यातायात पूरी तरह से बाधित हो गया था।

image 18

हादसा कैसे हुआ?
प्राथमिक जांच के अनुसार, देर रात हाथियों का एक झुंड चाकूलिया जंगल से गुजरते हुए बांसतोला रेलवे लाइन को पार कर रहा था। इसी दौरान तेज रफ्तार ट्रेन झुंड में से तीन हाथियों से टकरा गई। टक्कर इतनी जबरदस्त थी कि घटनास्थल पर ही तीनों हाथियों की मौत हो गई। इसके बाद पूरा झुंड घटनास्थल के पास रुक गया, जिससे स्थिति और तनावपूर्ण हो गई।

image 19
whatsapp channel

Maa RamPyari Hospital

Telegram channel

रेल सेवा रही घंटों बाधित
हादसे के बाद टाटा-हावड़ा मुख्य रेलखंड पर आवागमन पूरी तरह से बाधित रहा। घटनास्थल पर मृत हाथियों के शव ट्रैक पर पड़े रहने के कारण कई ट्रेनें घंटों तक प्रभावित रहीं। बाद में वन विभाग की मदद से हाथियों के शवों को हटाकर ट्रैक को फिर से चालू किया गया। हालांकि तब तक यात्रियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा।

The-habitat-final-ad-scaled.jpg
the-habitat-ad

प्रशासन की चुप्पी और जांच की बात
घटना के बाद सवाल उठने लगे हैं कि इस रूट पर पहले भी हाथियों की आवाजाही को लेकर चेतावनी दी गई थी, इसके बावजूद रेलवे और वन विभाग ने कोई ठोस उपाय क्यों नहीं किए? क्या यह लापरवाही थी, या महज एक दुर्भाग्यपूर्ण हादसा?

वन विभाग और रेलवे दोनों ने फिलहाल जांच शुरू कर दी है। हाथियों की मौत की वजह, ट्रेन की रफ्तार, ट्रैक पर निगरानी व्यवस्था और रूट पर लाइटिंग आदि सभी पहलुओं की गहन जांच की जा रही है। कुछ पर्यावरण संगठनों ने इस घटना को प्रशासनिक लापरवाही करार देते हुए जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।

स्थानीय लोगों का गुस्सा
स्थानीय ग्रामीणों ने बताया कि इस क्षेत्र में हाथियों की आवाजाही आम बात है और पहले भी कई बार वन विभाग को इस बात की जानकारी दी जा चुकी है। लेकिन चेतावनी बोर्ड, ह्यूमन वॉच पॉइंट या अलार्म सिस्टम जैसी बुनियादी व्यवस्थाएं अब तक नहीं की गईं।

image 20

वन्यजीव विशेषज्ञों की राय
वन्यजीव संरक्षण से जुड़े विशेषज्ञों का कहना है कि जंगलों के बीच से गुजरने वाले रेलवे ट्रैक पर खास सतर्कता और तकनीकी व्यवस्था की आवश्यकता होती है। सेंसर आधारित अलार्म सिस्टम, स्पीड लिमिट, ट्रैक पार करते समय निगरानी जैसे उपाय आज के समय में जरूरी हैं।

रेलवे की सफाई
रेलवे प्रशासन की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन आंतरिक सूत्रों के अनुसार, संबंधित ट्रेन के चालक ने दावा किया कि हाथियों का झुंड अचानक ट्रैक पर आ गया और इतनी जल्दी ब्रेक लगाना संभव नहीं था। फिर भी विभागीय जांच रिपोर्ट आने के बाद ही स्थिति स्पष्ट होगी।

क्या यह पहली घटना है?
बिल्कुल नहीं। झारखंड, बंगाल और ओडिशा के सीमावर्ती इलाकों में पिछले कुछ वर्षों में कई हाथियों की मौत रेलवे ट्रैक हादसों में हो चुकी है। लेकिन यह चिंता का विषय है कि इतनी घटनाओं के बावजूद वन्यजीव संरक्षण और ट्रैक मॉनिटरिंग को लेकर अब तक कोई ठोस रणनीति नहीं बनी है।

सवालो के घेरे में सिस्टम
तीन जंगली हाथियों की मौत ने एक बार फिर से यह साबित कर दिया है कि विकास की दौड़ में हम अपनी प्राकृतिक धरोहर और जीवों की सुरक्षा के प्रति कितने लापरवाह हैं। जब तक रेलवे और वन विभाग मिलकर संवेदनशील इलाकों में सतर्क योजना नहीं बनाएंगे, तब तक ऐसे हादसे होते रहेंगे। अब वक्त आ गया है कि केवल मुआवज़ा और जांच की रस्म अदायगी की जगह तकनीकी उपायों और जवाबदेही तय की जाए।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *