जेद्दा और रियाद के आम महोत्सव में ‘आम्रपाली’ ने बिखेरी झारखंड की खुशबू, बिरसा हरित ग्राम योजना के तहत पहली बार हुआ निर्यात

झारखंड आम निर्यात
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रांची/पाकुड़/जमशेदपुर: झारखंड की उपज अब सीमाओं से परे जाकर अंतरराष्ट्रीय पहचान बना रही है। राज्य के पाकुड़ और जमशेदपुर जिले से आम की आम्रपाली प्रजाति को पहली बार सऊदी अरब के जेद्दा और रियाद में आयोजित मैंगो फेस्टिवल (14 से 17 जुलाई, 2025) में प्रस्तुत किया गया, जहाँ इसे अप्रत्याशित रूप से पसंद किया गया।

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इस फेस्टिवल में 250 किलो आम का निर्यात भारत सरकार की संस्था APEDA (Agricultural and Processed Food Products Export Development Authority) के सहयोग से संभव हो पाया।

बिरसा हरित ग्राम योजना बनी ताकत
इस उपलब्धि के पीछे मनरेगा के अंतर्गत चल रही ‘बिरसा हरित ग्राम योजना’ की महत्त्वपूर्ण भूमिका रही, जिसके तहत किसानों को आम बागवानी के लिए प्रोत्साहित किया गया।

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पाकुड़ उपायुक्त मनीष कुमार ने इस मौके पर कहा:

“यह सिर्फ एक निर्यात नहीं, बल्कि किसानों के आत्मविश्वास का उत्सव है। हमने झारखंड से वैश्विक बाजार में एक नई शुरुआत की है। आने वाले वर्षों में झारखंड का आम अंतरराष्ट्रीय मानचित्र पर अपनी अलग पहचान बनाएगा।”

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उन्होंने इस सफलता का श्रेय मनरेगा टीम को देते हुए आभार जताया और कहा कि इस वर्ष 1500 किसानों को योजना से जोड़ने का लक्ष्य है, जिससे आम उत्पादन में गुणात्मक और मात्रात्मक वृद्धि हो सके।

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आम्रपाली आम की विशेषताएँ जो बनीं सफलता की कुंजी
आम्रपाली किस्म दशहरी और नीलम का संकर (Hybrid) है। यह पकने के बाद भी 10–15 दिनों तक खराब नहीं होता, जिससे निर्यात के लिए उपयुक्त बनता है। गूदा ज्यादा, बीज छोटा और स्वाद अत्यंत मिठासपूर्ण होता है। इसकी बाजार में मांग अधिक है और कीमत भी अच्छी मिलती है।

झारखंड के लिए गर्व का क्षण
फेस्टिवल में झारखंड के आम को जिस सराहना के साथ स्वीकार किया गया, उसने यह साबित कर दिया कि राज्य के किसान अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी प्रतिस्पर्धी हो सकते हैं। यह उपलब्धि स्थानीय कृषि उत्पादों को वैश्विक पहचान दिलाने की दिशा में एक मजबूत कदम है।

आगे की योजना: वैश्विक बाजारों में विस्तार
झारखंड प्रशासन अब आम के निर्यात को एक दीर्घकालिक मिशन के तौर पर आगे बढ़ाने की योजना बना रही है।
उपायुक्त मनीष कुमार ने संकेत दिया कि जल्द ही राज्य सरकार आम के कोल्ड स्टोरेज, प्रोसेसिंग और पैकेजिंग यूनिट्स स्थापित करेगी।

किसानों को अंतरराष्ट्रीय स्तर के प्रशिक्षण के लिए भी जोड़ा जाएगा।

APEDA के सहयोग से और देशों में झारखंडी आम भेजने की रणनीति पर कार्य होगा।

“झारखंड का आम, अब वैश्विक नाम”
झारखंड का यह कदम एक संकेत है कि राज्य केवल खनिज या उद्योगों के लिए नहीं, उच्च गुणवत्ता वाली कृषि उपज के लिए भी जाना जा सकता है। यह कहानी न केवल पाकुड़ और जमशेदपुर के किसानों के लिए प्रेरणा है, बल्कि पूरे राज्य के लिए सशक्तिकरण की मिसाल है।

मुनादी लाइव इस गौरवशाली अवसर पर समस्त झारखंडवासियों को बधाई देता है और उम्मीद करता है कि आने वाले समय में ‘झारखंडी स्वाद’ विश्वभर में पहचाना जाएगा।

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