नगर निकाय चुनाव की तैयारियां तेज, अलका तिवारी बनीं नई राज्य निर्वाचन आयुक्त
रांची: झारखंड में नगर निकाय चुनाव को लेकर सुगबुगाहट तेज हो गई है। लंबे इंतजार के बाद राज्य सरकार ने राज्य निर्वाचन आयुक्त के रिक्त पद पर पूर्व मुख्य सचिव अलका तिवारी की नियुक्ति कर दी है। इस नियुक्ति से न केवल चुनाव आयोग को मजबूती मिलेगी बल्कि राज्य में टल रहे नगर निकाय चुनावों की प्रक्रिया भी अब रफ्तार पकड़ने की संभावना है।
उच्च न्यायालय के दबाव के बीच हुई नियुक्ति
यह पद 25 मार्च 2025 से रिक्त था, जब तत्कालीन राज्य निर्वाचन आयुक्त डीके तिवारी का कार्यकाल समाप्त हुआ था। उस समय से अब तक आयोग बिना आयुक्त के काम कर रहा था, जिसके चलते कई प्रशासनिक कार्य प्रभावित हो रहे थे।
झारखंड उच्च न्यायालय लगातार सरकार को नगर निकाय चुनाव कराने के निर्देश दे रहा था। चुनाव आयोग में आयुक्त की अनुपस्थिति से चुनाव की तैयारियां अधर में लटकी हुई थीं। लेकिन अब अलका तिवारी की नियुक्ति से चुनाव की प्रक्रिया तेज होने की संभावना जताई जा रही है।
अधिसूचना जारी, चार वर्ष का कार्यकाल
राज्यपाल के आदेश पर पंचायती राज विभाग द्वारा सरकार के सचिव मनोज कुमार ने अधिसूचना जारी की है। अधिसूचना के अनुसार, अलका तिवारी का कार्यकाल पदभार ग्रहण करने की तिथि से चार वर्ष या 65 वर्ष की आयु तक रहेगा। सूत्रों के अनुसार, अलका तिवारी सोमवार, 5 अक्टूबर को पदभार ग्रहण कर सकती हैं। दुर्गा पूजा की छुट्टी के कारण आयोग का कामकाज सोमवार से फिर से शुरू होगा।
1988 बैच की तेज-तर्रार आईएएस अधिकारी
अलका तिवारी भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) की 1988 बैच की अधिकारी हैं। अपने पूरे करियर में उन्होंने एक तेज-तर्रार और कर्मठ अधिकारी के रूप में पहचान बनाई। वह हाल ही में 30 सितंबर को मुख्य सचिव के पद से सेवानिवृत्त हुई थीं। उनकी नियुक्ति को लेकर राजनीतिक और प्रशासनिक हलकों में यह चर्चा है कि वह चुनाव आयोग को नई दिशा देने में सक्षम साबित होंगी।
शैक्षणिक पृष्ठभूमि और उपलब्धियां
अलका तिवारी का शैक्षणिक जीवन भी अत्यंत गौरवपूर्ण रहा है। बचपन से ही वह मेधावी छात्रा रही हैं।
- मेरठ यूनिवर्सिटी से मनोविज्ञान में पोस्ट ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की।
- वहां राज्यपाल के हाथों गोल्ड मेडल भी प्राप्त किया।
- उच्च शिक्षा के लिए यूनाइटेड किंगडम के मैनचेस्टर यूनिवर्सिटी गईं और वहां एमएससी की पढ़ाई की।
- मैनचेस्टर यूनिवर्सिटी में भी मैनेजमेंट और डेवलपमेंट प्रोजेक्ट्स में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए उन्हें गोल्ड मेडल मिला।
- इसके अलावा, उन्होंने रांची यूनिवर्सिटी से कानून की डिग्री (LLB) हासिल की।
- उन्होंने हार्वर्ड विश्वविद्यालय और ड्यूक विश्वविद्यालय सहित कई प्रतिष्ठित संस्थानों से शॉर्ट-टर्म कोर्स भी किए।
महिला प्रशासनिक अधिकारियों के लिए प्रेरणा
अलका तिवारी की नियुक्ति को राज्य में महिला प्रशासनिक अधिकारियों के लिए प्रेरणादायक माना जा रहा है। लंबे करियर के दौरान उन्होंने कई विभागों में उल्लेखनीय काम किया है और जनता से जुड़े मुद्दों को प्राथमिकता दी है। उनकी नियुक्ति ऐसे समय हुई है जब नगर निकाय चुनाव की मांग जोर पकड़ रही है। प्रशासनिक विशेषज्ञ मानते हैं कि उनके अनुभव और प्रबंधन कौशल से चुनाव की प्रक्रिया पारदर्शी और समयबद्ध तरीके से पूरी होगी।
नगर निकाय चुनाव को लेकर उम्मीदें
झारखंड में नगर निकाय चुनाव काफी समय से लंबित हैं। चुनाव न होने के कारण स्थानीय निकायों की गतिविधियां प्रभावित हो रही हैं। अब अलका तिवारी की नियुक्ति के बाद आयोग सक्रिय होगा और चुनाव की तारीखों की घोषणा जल्द होने की उम्मीद है। राजनीतिक दलों ने भी उनकी नियुक्ति का स्वागत किया है। कांग्रेस और बीजेपी दोनों ने कहा कि अब आयोग को निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव कराने में आसानी होगी।
अलका तिवारी की नियुक्ति से झारखंड में नगर निकाय चुनाव की प्रक्रिया तेज होगी। उनकी प्रशासनिक दक्षता और शैक्षणिक उपलब्धियां राज्य निर्वाचन आयोग के लिए बड़ी पूंजी साबित होंगी। अब सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि आयोग चुनावों की तारीखों की घोषणा कब करता है।