नेपाल में Gen-Z की मांग – ‘हमें मोदी जैसा प्रधानमंत्री चाहिए’, सुशीला कार्की पर घमासान
भ्रष्टाचार और सोशल मीडिया बैन के खिलाफ भड़के Gen-Z युवाओं ने पुरानी सरकार गिराई, अब अंतरिम प्रधानमंत्री पर फंसा पेंच
काठमांडू/नई दिल्ली: नेपाल इस समय अपने राजनीतिक इतिहास के सबसे उथल-पुथल भरे दौर से गुजर रहा है। भ्रष्टाचार, बेरोजगारी और सोशल मीडिया बैन के खिलाफ शुरू हुआ Gen-Z युवाओं का आंदोलन अब सरकार गिराने तक जा पहुंचा है। पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को पद छोड़ना पड़ा, संसद और मंत्रालयों में आगजनी हुई और 22 से ज्यादा लोगों की जान चली गई।
लेकिन सरकार गिरने के बाद भी नेपाल में स्थिरता नहीं लौट सकी है। अब असली चुनौती यह है कि अंतरिम सरकार की बागडोर किसके हाथ में दी जाए।
सुशीला कार्की को लेकर विवाद
पूर्व चीफ जस्टिस सुशीला कार्की का नाम अंतरिम प्रधानमंत्री के तौर पर सबसे आगे चल रहा है। उन्होंने खुद भी इस जिम्मेदारी को संभालने की सहमति जताई है। लेकिन आंदोलन का नेतृत्व कर रहे युवा और खासतौर पर Gen-Z वर्ग उनके नाम से सहमत नहीं दिख रहा।
युवाओं का कहना है कि वे वही पुराना सिस्टम नहीं चाहते, जिसमें वर्षों से सत्ता के गलियारे घूमते चेहरे ही नेतृत्व करते हैं। उनकी नजरें किसी नए और सख्त नेतृत्व वाले व्यक्तित्व पर हैं।
‘हमें मोदी जैसा प्रधानमंत्री चाहिए’ – युवाओं की मांग
कई प्रदर्शनकारियों और नागरिकों ने खुलेआम कहा है कि उन्हें भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जैसी सख्त और निर्णायक नेतृत्व क्षमता वाला नेता चाहिए। काठमांडू की सड़कों पर प्रदर्शन के दौरान हाथों में लिखे पोस्टरों पर “We want Modi-like PM” जैसे स्लोगन नजर आ रहे हैं।
राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक, यह नेपाल के युवाओं की उस सोच को दर्शाता है, जो पारंपरिक नेताओं से निराश होकर किसी ठोस विजन और तेज फैसले लेने वाले नेतृत्व की तलाश में हैं।
नेपाल में संकट क्यों गहराया
भ्रष्टाचार और सोशल मीडिया पर पाबंदी ने युवाओं के गुस्से को हवा दी। आंदोलन तेजी से हिंसक हुआ, संसद, प्रधानमंत्री कार्यालय, सुप्रीम कोर्ट जैसी इमारतों में आगजनी हुई। देश के कई हिस्सों में पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़पें हुईं।
केपी शर्मा ओली ने इस्तीफा दिया लेकिन हालात सामान्य नहीं हुए। अब अंतरिम सरकार बनाने की कोशिश हो रही है।
अंतरिम सरकार को लेकर मंथन
नेपाल के बड़े दलों के नेताओं ने सुशीला कार्की को अंतरिम प्रधानमंत्री बनाने का सुझाव दिया, क्योंकि वे न्यायपालिका से रही हैं और किसी राजनीतिक दल से जुड़ी नहीं। लेकिन Gen-Z और आंदोलनकारियों को लगता है कि यह बदलाव केवल चेहरे का होगा, सिस्टम वही रहेगा।
भारत-नेपाल रिश्तों की झलक
नेपाल में मोदी जैसे नेतृत्व की मांग भारत-नेपाल के रिश्तों को भी दर्शाती है। नेपाल के युवा भारत के प्रधानमंत्री की शैली को एक मॉडल की तरह देख रहे हैं। हालांकि, विश्लेषक चेतावनी देते हैं कि किसी भी देश की परिस्थितियां अलग होती हैं और किसी नेता की छवि को हूबहू अपनाना संभव नहीं होता।
विशेषज्ञों की राय
काठमांडू विश्वविद्यालय के राजनीतिक विज्ञान के प्रोफेसर डॉ. रंजन अधिकारी कहते हैं, “यह मांग प्रतीकात्मक है। युवा एक ईमानदार, निर्णायक और पारदर्शी नेतृत्व चाहते हैं। उन्हें लगता है कि भारत में जो नेतृत्व है, वैसा ही यहां भी हो।”
आगे का रास्ता
नेपाल की राजनीतिक पार्टियों के लिए चुनौती यह है कि वे युवाओं की आकांक्षाओं के अनुरूप नया चेहरा सामने लाएं।
अभी के हालात यह बताते हैं कि अंतरिम सरकार बनाने का काम भी आसान नहीं होगा। यदि सुशीला कार्की जैसी निर्वाचित-नहीं लेकिन स्वच्छ छवि वाली शख्सियत भी युवाओं को स्वीकार्य नहीं, तो नेताओं को किसी बिल्कुल नए विकल्प पर सोचना पड़ेगा।
नेपाल का Gen-Z आंदोलन केवल सरकार गिराने तक सीमित नहीं है। यह व्यवस्था और नेतृत्व में बुनियादी बदलाव की मांग कर रहा है। मोदी जैसे नेता की मांग बताती है कि नेपाल का नया युवा वर्ग सख्त, निर्णायक और ईमानदार शासन चाहता है। लेकिन राजनीतिक हकीकत यह है कि किसी भी देश की परिस्थितियां और नेतृत्व अपने संदर्भ में ही काम करते हैं।