पाकुड़ में प्रेस क्लब गठन की मांग हुई तेज, पत्रकारों ने सौंपा ज्ञापन, बोले – गरिमा और संगठन की बात है चुनाव

पाकुड़ , झारखंड: पाकुड़ जिले में प्रेस क्लब गठन को लेकर पत्रकारों की सक्रियता एक बार फिर तेज़ हो गई है। बृहस्पतिवार को जिले के पत्रकारों के एक प्रतिनिधिमंडल ने समन्वित रूप से जिला जनसंपर्क पदाधिकारी सह जिला पंचायत राज पदाधिकारी के कार्यालय में पहुंचकर एक महत्वपूर्ण ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में पत्रकारों ने 8 जुलाई 2025 को सौंपे गए पूर्व ज्ञापन का हवाला देते हुए प्रेस क्लब के गठन और चुनाव प्रक्रिया में शीघ्रता लाने की पुरज़ोर मांग की।

दीदी कैफे से उठा आंदोलन का स्वर
ज्ञापन सौंपने से पहले पत्रकारों की एक रणनीतिक बैठक उपायुक्त कार्यालय परिसर स्थित दीदी कैफे में आयोजित हुई। बैठक में मौजूद सभी पत्रकारों ने सर्वसम्मति से प्रेस क्लब गठन और चुनाव को प्राथमिकता देने की बात कही। वक्ताओं ने स्पष्ट किया कि यह किसी पद अथवा निजी स्वार्थ का विषय नहीं है, बल्कि यह पत्रकारों की पेशागत गरिमा, सम्मान, और संगठनात्मक एकता का प्रतीक है।
क्लब सूची सार्वजनिक करने की मांग
पत्रकारों ने जिला प्रशासन से यह भी आग्रह किया कि प्रेस क्लब चुनाव के लिए तैयार की गई पत्रकारों की सूची को अविलंब सार्वजनिक किया जाए, जिससे सभी पात्र पत्रकारों की निष्पक्ष भागीदारी सुनिश्चित हो सके और किसी को भी चुनाव प्रक्रिया से वंचित न किया जाए।
प्रशासन ने दिया भरोसा
जिला जनसंपर्क पदाधिकारी प्रीतिलता मुर्मू ने पत्रकार प्रतिनिधिमंडल को आश्वस्त किया कि प्रेस क्लब का गठन पूरी तरह से नियमानुसार और पारदर्शी तरीके से किया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि संबंधित सूची बहुत जल्द प्रकाशित कर दी जाएगी और चुनाव की प्रक्रिया विधिवत आगे बढ़ेगी।
सिर्फ संगठन नहीं, संकल्प की अभिव्यक्ति
ज्ञापन सौंपने के दौरान पत्रकारों ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि अब कोई भी एकतरफा या मनमानी प्रक्रिया स्वीकार नहीं की जाएगी। प्रेस क्लब की नींव अब संवाद, समर्पण और सामूहिक निर्णय की भावना पर टिकी होगी।

प्रतिनिधिमंडल में रहे शामिल:
इस अवसर पर जिले के कई सक्रिय पत्रकार उपस्थित रहे जिनमें प्रमुख रूप से सतनाम सिंह, अमित कुमार दास, मकसूद आलम, अहसान आलम, प्रीतम सिंह यादव, बजरंग पंडित, सुवल यादव, सुमित भगत, ममता जायसवाल, नुरुल अंसारी सहित दर्जनों मीडियाकर्मी शामिल थे।

टिप्पणी:
पाकुड़ जिले में प्रेस क्लब गठन की यह मांग सिर्फ एक प्रशासनिक प्रक्रिया नहीं, बल्कि पत्रकारिता की स्वायत्तता, संगठन की पारदर्शिता, और सशक्त संवाद का एक प्रतीकात्मक संघर्ष है। यदि प्रशासन और पत्रकार समुदाय मिलकर इस प्रयास को सफल बनाते हैं, तो यह न केवल पाकुड़, बल्कि झारखंड भर के पत्रकारों के लिए एक प्रेरणादायी मिसाल बन सकता है।