महिला समूह की लाखों की बचत लूटी गई! जेएसएलपीएस कर्मी और कोषाध्यक्ष पर गंभीर आरोप, बीडीओ ने दिए जांच के आदेश

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बिना जानकारी और सहमति के सीसी लोन की राशि निकाली गई, समूह की महिलाएं ठगी का शिकार। महिला सशक्तिकरण योजनाओं पर उठे सवाल।

हिरणपुर (पाकुड़): झारखंड सरकार की महिला सशक्तिकरण योजना को उस वक्त गहरा झटका लगा जब हिरणपुर प्रखंड के डांगापाड़ा गांव से संचालित ‘गेंदा महिला समूह’ में फंड से लाखों की अवैध निकासी का मामला सामने आया। इस घोटाले में जेएसएलपीएस (Jharkhand State Livelihood Promotion Society) के क्षेत्रीय कर्मी और समूह की कोषाध्यक्ष की मिलीभगत उजागर हुई है।

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क्या है मामला?
गांव की महिलाओं का आरोप है कि समूह कोषाध्यक्ष ने बिना किसी सदस्य की सहमति या उपस्थिति के, फर्जी हस्ताक्षरों के आधार पर सीसी लोन (Cash Credit Loan) की बड़ी राशि निकाल ली। यह राशि 2-3 खास महिलाओं को निजी लाभ के लिए बांट दी गई, जबकि अधिकांश महिलाएं अंधेरे में रहीं।

कैसे होता है सीसी लोन?
सीसी लोन समूह की सामूहिक सहमति, निर्णय और ज़रूरतमंद महिलाओं की पहचान के आधार पर स्वीकृत होता है, ताकि वे स्वरोजगार के लिए पूंजी का उपयोग कर सकें। परंतु इस मामले में समूह की पारदर्शी प्रक्रिया को पूरी तरह दरकिनार कर दिया गया।

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स्थानीय महिलाओं का दर्द:
डांगापाड़ा की कई महिलाओं ने मीडिया से बातचीत में कहा कि उन्हें अपने नाम से लोन लेने की सूचना तब मिली जब वे बैंक में पासबुक अपडेट कराने गईं। किसी ने उनसे सहमति नहीं ली, न ही हस्ताक्षर कराए। “हमने तो कुछ लिया ही नहीं, लेकिन कर्ज हमारे नाम पर चढ़ा हुआ है,” एक महिला ने रोते हुए कहा।

प्रशासन की प्रतिक्रिया:
हिरणपुर बीडीओ टूटू दिलीप ने मामले को गंभीर मानते हुए तत्काल जांच के आदेश दिए हैं। उन्होंने कहा,

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“यदि समूह में पारदर्शिता नहीं है और फंड के दुरुपयोग की पुष्टि होती है, तो दोषियों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी।”

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सवालों के घेरे में जेएसएलपीएस की निगरानी प्रणाली:
इस पूरे घटनाक्रम ने जेएसएलपीएस के निगरानी तंत्र की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। जब बिना महिला सदस्यों की जानकारी के फर्जी हस्ताक्षरों से लोन निकाला जा सकता है, तो यह लचर और भ्रष्ट तंत्र को उजागर करता है।

यदि यह मामला एक गांव में हो सकता है, तो यह संदेह उठता है कि क्या अन्य गांवों में भी ऐसे ही घोटाले चल रहे हैं? क्या जेएसएलपीएस का क्षेत्रीय अमला ऐसे मामलों में जानबूझ कर आंख मूंदे हुए है?

इस घटना ने स्पष्ट कर दिया है कि झारखंड में महिलाओं के नाम पर चलने वाले कई योजनाएं जमीनी स्तर पर भ्रष्टाचार का शिकार हो रही हैं। यह न केवल आर्थिक लूट है, बल्कि महिलाओं के विश्वास और आत्मनिर्भरता पर हमला भी है।

डांगापाड़ा का यह मामला किसी एक समूह की समस्या नहीं, बल्कि राज्य भर में सक्रिय महिला स्व-सहायता समूहों की पारदर्शिता और प्रशासनिक निगरानी पर भी सवाल खड़े करता है। यदि समय रहते कार्रवाई नहीं की गई, तो यह पूरे मॉडल की साख को कमजोर करेगा।

पाकुड़ से सुमित भगत की रिपोर्ट….

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