- Breaking New
- Breaking News
- Breaking News, Jharkhand News, Human Interest, Tragedy, Local Affairs
- CBI कार्रवाई
- Corporate News
- Crime
- Crime & Investigation
- Crime & Law
- Crime & Security
- Crime News
- Crime News,
- Crime Report
- Crime Updates
राज्य सरकार की जमीन को भू-माफियाओं ने बेचा, अधिकारी भी मिले—CID और ED दोनों कर रही हैं जांच, सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई जारी

रांची/बोकारो : झारखंड में एक बार फिर से जमीन घोटाले का एक बड़ा मामला उजागर हुआ है। बोकारो के तेतुलिया मौजा में 100 एकड़ से अधिक की कीमती वन भूमि को फर्जी दस्तावेज के सहारे अवैध रूप से बेचने के मामले में सीआईडी ने एक और अहम गिरफ्तारी की है। सोमवार को सीआईडी की टीम ने राजवीर कंस्ट्रक्शन के मालिक पुनीत अग्रवाल को इस मामले में गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तारी के साथ ही पूरे घोटाले की परतें धीरे-धीरे खुलती जा रही हैं।

तीन करोड़ से अधिक का ट्रांजैक्शन
जानकारी के अनुसार, राजवीर कंस्ट्रक्शन ने उमायुष कंपनी को यह जमीन बेची थी, जिसके एवज में करीब 3 करोड़ 40 लाख रुपये का भुगतान किया गया था। यह वही जमीन थी जिसे पहले बोकारो स्टील प्लांट ने वन विभाग को वापस सौंपा था, लेकिन बाद में माफियाओं ने उसे फिर से कागज़ों में अपना बनाकर बाजार में उतार दिया।
पहले हो चुकी हैं दो गिरफ्तारियाँ
इससे पहले इसी मामले में इजहार हुसैन और अख्तर हुसैन को सीआईडी ने गिरफ्तार किया था। दोनों पर इस पूरे फर्जीवाड़े का किंगपिन होने का आरोप है। आरोप है कि इन दोनों ने ही जाली दस्तावेज तैयार करवाकर 100 एकड़ से अधिक जमीन को हड़प लिया और उसके बाद उसे बेच दिया।
वन विभाग ने कराई थी प्राथमिकी
इस घोटाले का खुलासा तब हुआ जब वन प्रमंडल बोकारो के प्रभारी वनपाल सह वनरक्षक रुद्र प्रताप सिंह ने थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई। उन्होंने FIR में स्पष्ट तौर पर उल्लेख किया कि जिस जमीन को बेचा गया, वह वन विभाग की थी और उसे अवैध रूप से बेचा गया। प्राथमिकी दर्ज होने के बाद मामले को गंभीरता से लेते हुए राज्य के डीजीपी अनुराग गुप्ता ने इसकी जांच सीआईडी को सौंप दी।
सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा मामला
मामला अब सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में भी है। कोर्ट ने राज्य सरकार से जमीन से जुड़े सभी मूल दस्तावेजों की मांग की है। वहीं, प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने भी मामले में मनी लॉन्ड्रिंग एंगल से जांच शुरू कर दी है। जांच एजेंसियों का मानना है कि इस पूरे घोटाले में सरकारी अधिकारियों की मिलीभगत से सरकारी जमीन को फर्जी कागजात के सहारे बेचा गया।

अधिकारियों और भू-माफियाओं की मिलीभगत
सूत्रों के अनुसार, जमीन की हेराफेरी में बोकारो स्टील प्लांट के कुछ अफसर, अंचल कार्यालय के कर्मचारी और जमीन माफिया शामिल थे। यह वही जमीन थी जिसे बीएसएल ने वन विभाग को लौटा दिया था, लेकिन बाद में सरकारी रिकॉर्ड में गड़बड़ी कर दोबारा इसे निजी जमीन दिखाकर बाजार में बेच दिया गया। यह भी शक जताया जा रहा है कि जमीन की जांच करने वाले अधिकारी जानबूझकर आंख मूंदे रहे।

केस स्टेटस
- FIR संख्या: बोकारो सेक्टर 12 थाना कांड संख्या 32/2024
- जांच एजेंसी: CID झारखंड
- सह-एजेंसी: प्रवर्तन निदेशालय (ED)
- गिरफ्तार लोग:
- इजहार हुसैन
- अख्तर हुसैन
- पुनीत अग्रवाल (राजवीर कंस्ट्रक्शन)
आगे क्या?
पुनीत अग्रवाल की गिरफ्तारी के बाद CID अन्य कंपनियों और बिचौलियों की भी भूमिका खंगाल रही है, जिन्हें इस अवैध सौदे में पैसा मिला या जो जमीन खरीद में शामिल रहे। सूत्रों के मुताबिक, कुछ और नाम जल्द सामने आ सकते हैं और पूछताछ के लिए कई लोगों को समन भेजा गया है।
झारखंड में सरकारी जमीन को अवैध रूप से बेचने का यह घोटाला सिर्फ एक केस नहीं, बल्कि एक बड़े नेटवर्क की ओर इशारा करता है जिसमें भू-माफिया, राजनीतिक प्रभावशाली लोग और अफसरों की गठजोड़ शामिल है। CID की अब तक की कार्रवाई और सुप्रीम कोर्ट की संलिप्तता इस केस को बेहद गंभीर बना देती है।
रांची से अमित की रिपोर्ट