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झारखंड आंदोलन का काला अध्याय: गुवा गोलीकांड की बरसी पर गुवा जाएंगे सीएम हेमंत सोरेन

Gua Golikand 45 Years Gua Golikand 45 Years

8 सितंबर 1980 को गुवा अस्पताल से आदिवासियों को निकालकर गोली से भून दिया गया था, झारखंड आंदोलन का काला अध्याय आज भी ताजा है।

गुवा गोलीकांड, झारखंड के आंदोलन और संघर्ष के इतिहास का वह काला अध्याय है, जिसे भुलाना आसान नहीं है। 8 सितंबर, 1980 को हुई इस घटना को आज 45 साल पूरे हो गए हैं। इस मौके पर झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन सोमवार को गुवा पहुंचेंगे, जहां वे शहीदों को श्रद्धांजलि देंगे और शहीद परिवारों से मुलाकात करेंगे। मुख्यमंत्री इस दौरान एक जनसभा को भी संबोधित करेंगे।

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मुख्यमंत्री का गुवा दौरा
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के साथ इस श्रद्धांजलि कार्यक्रम में कई जनप्रतिनिधि और मंत्री शामिल होंगे। इनमें मंत्री दीपक बिरुवा, सांसद जोबा माझी, विधायक सोनाराम सिंकु (जगन्नाथपुर), निरल पूर्ति (मझगांव), दशरथ गागराई (खरसावां), सविता महतो (ईचागढ़), संजीव सरदार (पोटका), समीर मोहंती (बहरागोड़ा) और जिला परिषद अध्यक्ष लक्ष्मी सुरेन मौजूद रहेंगे। मुख्यमंत्री न सिर्फ शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे, बल्कि गुवा गोलीकांड के परिवारों से सीधे संवाद भी करेंगे।

गुवा गोलीकांड: इतिहास का काला दिन
पश्चिमी सिंहभूम जिले के सारंडा के घने जंगलों के बीच बसा गुवा गांव आज भी उस त्रासदी का गवाह है। यहां बने स्मारक में 11 शहीदों की यादें संजोई गई हैं। ये शहादत झारखंड आंदोलन की उस पीड़ा की गवाही देती है, जब अपने अधिकार की मांग करने वाले आंदोलनकारियों को गोली का सामना करना पड़ा।

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8 सितंबर 1980 का दिन इतिहास के पन्नों में काला दिन बनकर दर्ज है। उस दिन पुलिस की गोली से घायल आठ आदिवासियों को गुवा अस्पताल से बाहर निकालकर लाइन में खड़ा किया गया और गोली मार दी गई। इस निर्मम कृत्य ने न सिर्फ पूरे क्षेत्र को हिला दिया था, बल्कि झारखंड आंदोलन की नींव को और मजबूत कर दिया।

झारखंड आंदोलन और गुवा की शहादत
गुवा गोलीकांड कोई साधारण घटना नहीं थी। यह घटना झारखंड आंदोलन के दौरान आदिवासियों और आम लोगों के हक की लड़ाई का प्रतीक है। पुलिसिया दमन और अत्याचार के खिलाफ गुवा की शहादत ने आंदोलनकारियों के भीतर नई ऊर्जा भरी। यही कारण है कि गुवा की शहादत को झारखंड आंदोलन का महत्वपूर्ण पड़ाव माना जाता है।

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स्मारक आज भी देता है गवाही
गुवा में बना शहीद स्मारक आज भी उस दर्दनाक घटना की याद दिलाता है। यह स्मारक उन 11 शहीदों की वीरता और बलिदान का प्रतीक है, जिन्होंने अपने हक की लड़ाई में प्राणों की आहुति दी। स्थानीय लोग और आंदोलनकारी हर साल इस दिन शहीदों की स्मृति में कार्यक्रम आयोजित करते हैं और उन्हें नमन करते हैं।

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सीएम का संदेश और महत्व
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का गुवा दौरा न केवल शहीदों के प्रति श्रद्धांजलि है, बल्कि यह आदिवासी समाज और झारखंड आंदोलन की विरासत को याद करने का अवसर भी है। यह संदेश भी जाएगा कि सरकार शहीदों और उनके परिवारों के सम्मान और अधिकारों के प्रति संवेदनशील है।

शहीदों के परिवारों की उम्मीदें
गुवा गोलीकांड के शहीद परिवार आज भी न्याय और सम्मान की उम्मीद लगाए बैठे हैं। कई परिवार आर्थिक तंगी और उपेक्षा का शिकार हैं। मुख्यमंत्री के इस दौरे से उन्हें उम्मीद है कि सरकार उनके पुनर्वास और सहयोग के लिए ठोस कदम उठाएगी।

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