झारखंड हाईकोर्ट का आदेश: पेसा नियम लागू होने तक रुकी बालू घाटों की नीलामीकोर्ट ने खनन विभाग को लगाई फटकार

झारखंड हाईकोर्ट ने मंगलवार को बालू खदानों की नीलामी को लेकर बड़ा आदेश सुनाया। अदालत ने साफ कर दिया कि जब तक राज्य सरकार पेसा नियम (PESA Rules) की अधिसूचना जारी नहीं करती, तब तक राज्य में किसी भी लघु खनिज खदान, विशेषकर बालू घाटों की नीलामी नहीं होगी। इस आदेश से रांची सहित कई जिलों में चल रही ई-नीलामी की प्रक्रिया पर रोक लग गई है। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने सरकार पर तीखा रुख अपनाते हुए कहा कि राज्य 73वें संविधान संशोधन की मंशा को नजरअंदाज कर रहा है। अनुसूचित जनजातीय क्षेत्रों में भूमि और प्राकृतिक संसाधनों पर ग्राम सभा का अधिकार सुनिश्चित होना चाहिए।

याचिका में क्या कहा गया था?
यह मामला तब उठा जब एक याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की। याचिका में कहा गया कि राज्य सरकार जानबूझकर पेसा नियमों को अधिसूचित करने में देरी कर रही है। इसी बहाने सरकार बालू घाटों और अन्य खनिज खदानों की नीलामी कर पट्टे जारी करना चाहती है। इससे ग्राम सभा को मिलने वाले संवैधानिक अधिकार व्यर्थ हो जाएंगे। कोर्ट ने सरकार को चार सप्ताह का समय देने से इनकार कर केवल दो सप्ताह का समय दिया है और अगली सुनवाई तय की है।
प्रधान सचिव को कोर्ट की फटकार
सुनवाई के दौरान जब पंचायती राज विभाग के प्रधान सचिव मनोज कुमार ने कहा कि इस मामले की जिम्मेदारी मुख्यमंत्री और मंत्रियों पर है, तब कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी की। न्यायाधीशों ने पूछा, “क्या आप चाहते हैं कि हम मुख्यमंत्री और मंत्रियों को जेल भेज दें? यही आप कह रहे हैं?”
कोर्ट ने साफ कहा कि सरकार की कार्यप्रणाली संविधान की भावना के खिलाफ है और जनजातीय क्षेत्रों की ग्राम सभाओं को अधिकार देने में लापरवाही बरती जा रही है।
रांची जिले में 42 बालू घाट, सात समूहों में बंटे
खनन विभाग के अनुसार रांची जिले में कुल 42 बालू घाट हैं। ये घाट स्वर्णरेखा, कोयल, तजना और अन्य छोटी नदियों के किनारे फैले हैं। इन्हें सात समूहों में बांटा गया है—
- नामकुम समूह – 6 घाट, सबसे अधिक मांग वाला क्षेत्र
- रातू समूह – 5 घाट, मध्यम स्तर का उत्पादन
- मांडर समूह – 7 घाट, बड़े पैमाने पर आपूर्ति
- चान्हो समूह – 6 घाट, स्थानीय निर्माण कार्यों के लिए
- बेड़ो समूह – 5 घाट, छोटे व मध्यम स्तर का उपयोग
- ओरमांझी समूह – 7 घाट, स्वर्णरेखा व अन्य नदियों से जुड़े
- कांके समूह – 6 घाट, रांची बाहरी इलाके को आपूर्ति

खनन विभाग ने हाल ही में इन बालू घाटों की ई-नीलामी 18 सितंबर से कराने की घोषणा की थी।

निर्माण कार्यों पर पड़ेगा असर
बालू घाटों की नीलामी रुकने से अब रांची समेत राज्य के अन्य जिलों में निर्माण कार्य प्रभावित होंगे। पहले से ही सीमित आपूर्ति और अवैध खनन के कारण बालू की कीमतें आसमान छू रही थीं। लोग उम्मीद कर रहे थे कि नीलामी से संकट दूर होगा, ले किन अब हालात और बिगड़ सकते हैं।छोटे ठेकेदार और आम लोग पहले से ही महंगे दामों पर बालू खरीदने को मजबूर हैं। विशेषज्ञ मानते हैं कि अगर नीलामी प्रक्रिया जल्द शुरू नहीं हुई तो कालाबाजारी और अवैध खनन फिर से बढ़ सकता है।
क्या होगा आगे?
अब सारी नजरें राज्य सरकार पर हैं कि वह पेसा नियम को लेकर कितनी जल्दी अधिसूचना जारी करती है। कोर्ट ने केवल दो सप्ताह का समय दिया है। अगर इस अवधि में सरकार नियम लागू नहीं करती तो मामला और गंभीर हो सकता है। फिलहाल, बालू घाटों की नीलामी प्रक्रिया ठप पड़ने से कीमतें बढ़ने और निर्माण कार्यों में देरी होना तय है।