श्री कृष्ण विद्या मंदिर में राष्ट्रीय खेल दिवस मनाया गया

रामगढ़ : आज दिनांक 29 अगस्त 2024 को श्री कृष्ण विद्या मंदिर रामगढ़ में राष्ट्रीय खेल दिवस के उपलक्ष्य में विभिन्न क्रीडा गतिविधियों के साथ राष्ट्र के राष्ट्रीय खेल हॉकी के ऊपर पर चर्चा हुई। हॉकी के जादूगर ध्यानचंद जी के जीवन पर प्रकाश डाला गया। भाषण, स्केचिंग, संस्मरणों के माध्यम से भारतीय खेल जगत के दिव्यमान खिलाड़ी ध्यानचंद जी व उनके खेल तकनीक, तत्कालीन अंतरराष्ट्रीय खेल सुविधाओं तथा वर्तमान में आए बदलाव व उसके परिणाम पर शिक्षक और सीनियर छात्रों ने अपने विचार प्रस्तुत किये।


प्राचार्य ब्रह्मानंद द्विवेदी ने खेलों के साथ सन्निहित, टीम भावना, म्युचुअल कोऑर्डिनेशन के द्वारा लक्ष्य प्राप्ति तथा शारीरिक सौष्ठव के विकास के लिए खेलों को अनिवार्य बताया। साथ ही विश्व के सर्वाधिक विकसित सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाले देशों के बारे में बताया कि वो न सिर्फ सैन्य शक्ति में महाशक्ति है अपितु खेलो में भी विकसित देश के खिलाड़ियों ने विश्व कृतिमान बना रखा है। आज विश्व का पथ प्रदर्शक अमेरिका सिर्फ आर्थिक और सैन्य महाशक्ति ही नहीं है अपितु खेल के अंतरराष्ट्रीय पटल (ओलंपिक) में सर्वाधिक पदक (126 पदक) लेकर प्रथम स्थान पर है, जिसमें स्वर्ण पदक 40 हैं। दूसरे स्थान पर विश्व की दूसरी आर्थिक महाशक्ति चीन रहा जिसने 91 पदक प्राप्त किया। स्वर्ण पदक में वह अमेरिका की बराबरी पर रहा 40 स्वर्ण पदक लेकर, तीसरे स्थान पर इंग्लैंड 65, फ्रांस 64, तत्पश्चात ऑस्ट्रेलिया 53, जापान 45, इटली 40। विश्व के सबसे बड़ी आबादी और विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र जो विश्व गुरु बनने की तैयारी में लगा है हमारा भारत देश का प्रदर्शन चमत्कारी नहीं अपितु संतोषप्रद रहा 6 पदक शून्य स्वर्ण पदक के साथ, पड़ोसी पाकिस्तान को एक पदक परंतु शून्य स्वर्ण पदक को प्राप्त कर पूरे दक्षिण एशिया की नाक बचाई। छात्रों ने अपने भाषण में बताया कि ओलंपिक खेलों में रूस को प्रतिबंधित करने के कारण परिणाम में उलट फेर आ गया। अधिक जनसंख्या के बूते अगर ओलंपिक में पदक आते तो भारत के पास 600 से अधिक पदक आ जाते परंतु आये मात्र 6 पदक झोली में जिसमें स्वर्ण पदक एक भी नहीं था यानी की जनसंख्या वह भी स्वस्थ, शिक्षित व समृद्ध (बौद्धिक, आर्थिक व स्वास्थ्य) इन सभी दृष्टियों से शक्तिशाली होने पर ही देश विकास भी कर सकता है। खेल व मिलने वाले पदक तो एक सूचकांक का काम करते हैं। इंटरनेट की आभासी दुनिया में खेले जाने वाले खेल काफी हद तक समय की बर्बादी का कारण बनते हैं। खेलों से होने वाले वास्तविक लाभ खेल के मैदान में खेले जाने वाले खेलों से ही मिल सकते है। उसी से छात्रों का शारीरिक विकास व स्वास्थ्य बेहतर होगा। स्वस्थ शरीर में स्वस्थ कार्य सक्षम – कुशाग्र दिमाग नए आइडिया, आविष्कार, सोच के साथ देश के लिए नीतियां बनाने व कार्यान्वित देश को चहुमुंखी विकास की ओर ले जा सकता है और देश को तृतीय विश्व की संघर्षशील देशों की श्रेणी से बाहर लाकर समृद्धि के रास्ते पर ले जा सकता है। खेलों में नागरिकों की रुचि व उपलब्धियां इस बात की सूचक होती है कि राष्ट्र ने प्रगति के रास्ते पर कितनी यात्रा तय की है।

भय इस बात का है कि कहीं हमारी आने वाली पीढ़ी कल्पना के संसार में इतनी ना डूब जाएगी की वास्तविक दुनिया से उसका कोई मतलब ही नहीं रहे। इंटरनेट व इंटरनेट के अति बुद्धिमान प्लेग्राउंड (मोबाइल स्क्रीन) पर चलती उंगलियां आभासी संसार के मन के लड्डू तो खिला सकती है पर यथार्थ में कोई उपलब्धि संभव नहीं हो पाएगी।
विद्यालय प्रबंध समिति के अध्यक्ष आनंद अग्रवाल (अधिवक्ता) ने मोबाइल पर उंगलियों की कसरत के स्थान पर खेल के मैदान में वास्तविक श्रम पर जोर दिया जो छात्रों के शारीरिक विकास तथा मानसिक विकास को सकारात्मक रूप से प्रभावित करें।

