सरयू राय पर एफ.आई.आर. मामले में मंत्री बन्ना गुप्ता ने कहा-सरयू राय झूठ बोलकर लोगों को गुमराह करने में माहिर

रांची/जमशेदपुर: राज्य के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने पूर्व मंत्री सरयू राय पर हमला बोला है। बन्ना गुप्ता ने कहा की सरयू राय को कॉन्फिडेंस के साथ झूठ बोलकर लोगों को गुमराह करने की शुरू से आदत है। इसी के बूते वे 1990 के दशक से झारखंड की धरती पर सफेदपोश बनकर ब्लैकमेलिंग कर रहे हैं। वे कहते हैं कि उनके ऊपर पांच मुकदमे दायर किए जा चुके हैं, जिनपर कुछ कारवाई नहीं हुई और वे बेदाग हैं। अगर ऐसा है तो फिर वे उन सभी मुकदमों की कांड संख्या, विषय और वर्तमान स्टेटस जारी क्यों नहीं करते। डोरंडा थाना रांची में स्वास्थ्य, चिकित्सा शिक्षा एवं परिवार कल्याण विभाग द्वारा सरयू राय पर प्राथमिकी संख्या 105/2022 दिनांक 2.05.2022 को दायर किया गया था। जिस मामले में आरोप पत्र गठित किया जा चुका है।

उन्होंने कहा कि एमपी एमएलए कोर्ट में चार्जशिट दाखिल हो चुकी है एवं माननीय न्यायलय ने मामले पर संज्ञान लेते हुए 13 सितंबर को हाजिर होने को कहा है। अभी पिछले सप्ताह ही दिनांक 30.08.2024 को सरयू राय से जुड़ी उनकी महिला मित्र मधु और उनके साथियों पर रांची के न्यायालय में सुखो मुखी द्वारा शिकायतवाद संख्या 0025274/2024 दायर की गई है, जो किसी ग्राम्या नामक संस्था से जुड़ा मामला है। उक्त संस्था के संस्थापक अध्यक्ष सरयू राय थे, जिन्होंने गुमला जिले में संचालित तत्कालीन ब्लॉक पंचायत विकास परियोजना (बी.पी.डी.पी.) के तहत किसानों की भूमि पर सिंचाई कूपों के निर्माण का कार्य करने के एवज में सरकार के लाखों रुपए का वारा न्यारा कर दिया था। उपरोक्त योजना आज तक अपूर्ण है।


योजना मूलतः अनुसूचित जनजाति के लाभुकों के लिए थी: बन्ना गुप्ता ने कहा कि योजना मूलतः अनुसूचित जनजाति के लाभुकों के लिए थी। तत्कालीन उपायुक्त, गुमला द्वारा अनुसूचित जनजाति के लाभुकों का चयन कर सूची सौंपी गई थी, किन्तु सरयू राय की संस्था ग्राम्या ने सूची में छेड़छाड़ कर स्वतः नामों को बदल दिया एवं सामान्य श्रेणी के नाम जोड दिए। इन बिन्दुओं पर वर्ष 2001 में उपमहालेखाकार (निरीक्षण) द्वारा कड़ी आपतियां भी दर्ज की गई थी। उप विकास आयुक्त, गुमला ने पत्रांक 22/वि. दिनांक 07.01.2004 के माध्यम से श्री देवेंद्र सिंह, विद्वान सरकारी अधिवक्ता, गुमला कोर्ट को पत्र लिख कर ब्लॉक पंचायत विकास परियोजना (बी.पी.डी.पी.) के अंतर्गत 14 सिंचाई कूपों के कार्यान्वयन में अनिमियितता बरतने के संबंध में अग्रतर कारवाई हेतु कानूनी सलाह उपलब्ध कराने का आग्रह किया था। अधिवक्ता का जवाब आया भी, किन्तु संस्था ग्राम्या की तत्कालीन कोषाध्यक्ष मधु ने सरयू राय के राजनैतिक परिचय व पैरवी का इस्तेमाल कर उपरोक्त हेराफेरी और भ्रष्टाचार को छिपाने के उद्देश्य से उस जवाब को संचिका से गायब करवा दिया और उन फाइलों को भी दबवा दिया।
सरयू राय और उनकी महिला मित्र मधु ने अपने दो संस्थाओं ग्राम्या एवं युगांतर भारती के माध्यम से गुमला जिले के विभिन्न विभागों में कई कार्य किये थे। उपरोक्त दोनों संस्थाओं को निर्गत किये गए सभी कार्यादेश एवं भुगतान के आलोक में फाइनल विपत्र आज तक अप्राप्त हैं। साथ ही आज तक नियमानुसार कार्य पूर्णता प्रमाण पत्र एवं गुणवत्ता प्रमाण पत्र निर्गत नहीं हुआ है। सरयू राय ने मधु के माध्यम से लाखों रुपये का अनुचित लाभ प्राप्त किया। मधु द्वारा की गई हेराफेरी और भ्रष्टाचार को छिपाने के उद्देश्य से वर्ष 2004 के बाद से संबंधित सभी फाइलों को दबवा दिया। अपने अपराधिक कृत्यों को छुपाने के लिए संचिकाओं पर नजर रखना, उनकी जासूसी करवाना, कभी संचिका को दबवा देना, कभी प्राथमिकी में व्हाइटनर लगवा कर अपना नाम हटवा देना, यह सब सरयू राय की प्रवृति रही है।


वे बड़े आत्मविश्वास के साथ झूठ बोलते हैं और एक झूठ को सौ बार बोलते हैं, ताकि उनका बोला हुआ झूठ भी सच लगाने लगे। किंतु झूठ छुपता नहीं है और अब सरयू राय का ईमानदार, जानी, चाणक्य वाला मुखौटा उतर चुका है। असल में भरष्टाचार के आकंठ में डूबा हुआ उनका चरित्र अब मनोज सिंह, सुखो मुखी जैसे लोग उजागर कर रहे हैं। उनके कुकृत्यों की परत उतरती जा रही है। इसीलिए वे बौखला गये हैं।
उनका एक सूत्री कार्यक्रम है कि अपने राजनैतिक प्रतिद्वंदियों पर झूठे आरोप लगाना। सरयू राय ने आहार पत्रिका मामले में विभिन्न समाचार पत्रों में बयान दिया हैं कि “इस मामले में विभागीय सचिव केस करने को सहमत नहीं थे, फिर सचिव महोदय ने मामले को विधि विभाग से मंतव्य के लिए भेजा है” इससे ये स्पष्ट होता है कि सरयू राय सरकार के कार्यों की गोपनीयता भंग करते हैं। वे विभाग की जासूसी कराते हैं और गोपनीय पत्रों और संचिका के बातों को चुराकर तथ्यों को तोडमरोड़ कर सार्वजनिक करते हैं।
सरयू राय के इस बचकाने बयान पर ऑफिसियल सीक्रेट एक्ट एवं सुसंगत धाराओं के उल्लंघन का मामला बनता है कि आखिर इतनी गोपनीय संचिका में अंकित बातों को उन्होंने किस माध्यम से हासिल किया। वे पैसे देकर या डरा धमका कर या अन्य प्रलोभन देकर वे सरकारी कार्यालयों में सचिव स्तर की टिप्पणी हासिल करते हैं और उसमें अंकित तथ्यों को अपने राजनैतिक हित में तोडमरोड़ कर पेश करते हैं। असल में वे ‘चोर की दाढ़ी में तिनका’ वाली कहावत को चरितार्थ कर रहे हैं, क्योंकि आहार पत्रिका के प्रकाशन, सुनील शंकर की नियुक्ति और कॉल सेंटर के काम देने में उनकी संलिप्तता रही है, वे डरे हुए हैं, इसीलिए संबंधित संचिकाओं की पूरी जानकारी रखते हैं।
विधायक सरयू ने दिया सफाई : विधायक सरयू राय के खिलाफ रांची के अरगोड़ा थाना में मामला दर्ज किये जाने के मामले पर आज सरयू राय ने अपने कार्यालय में प्रेस कांफ्रेस कर सफाई दिया। सरयू राय ने कहा की एक ही मामले को जान बूझकर बार -बार पिछले चार साल से उठाया जा रहा है, जाँच के लिए हमने एसीबी को भी लिखा हूँ लेकिन जाँच अब तक नहीं हुआ, पांचवी बार यह एफ.आई.आर. करने के लिए गए हैं, कुछ होने वाला नहीं है,अहार पत्रिका मे किसी प्रकार की अनियमिता नहीं हुआ हैं,मंत्री बन्ना गुप्ता जी को मनोज सिंह जैसे आदमी मिल गया और मामला दर्ज करा दिया,आदि कई बातें कही।

क्या है मामला : पूर्व खाद्य मंत्री सरयू राय सहित अन्य पर अपने पद का दुरुपयोग करने, आहार पत्रिका के मुफ्त प्रकाशन, वितरण और मुद्रण की आड़ में आड़ में 3.38 करोड़ रुपए का अवैध लाभ उठाने को लेकर अरगोड़ा पुलिस थाने में एफआईआर दर्ज कराई गई है। इसमें सरयू राय के निजी सहायक सह आहार पत्रिका के कार्यकारी संपादक व धनबाद के तत्कालीन प्रखंड आपूर्ति पदाधिकारी सुनील शंकर, बाबा कंप्यूटर के मलिक रितेश गुप्ता और जीपीपीएल के निदेशक को इस मामले में नामजद आरोपित बनाया गया है। यह प्राथमिक और तो अरगोड़ा हाउसिंग कॉलोनी के मनोज सिंह ने दर्ज कराई है। इधर मामला दर्ज होने पर सरयू राय ने पत्रकारों से कहा शनिवार को कहा की पूर्व में इस मामले पांच प्राथमिकी दर्ज हुई है। यह छठा है। जैसे पहले दर्ज हुई प्राथमिकियों में कुछ नहीं हुआ। इसी तरह इसबार भी कुछ नहीं होगा। उन्होंने कहा कि 3 साल में एक विषय पर मेरे खिलाफ छह एफआईआर दर्ज कराया गया है। सब गलत हैं।