जमीन माफिया कमलेश का 85.53 करोड़ का महाघोटाला, अधिकारियों की मिलीभगत से सरकार की साख पर सवाल

झारखंड की राजधानी रांची में जमीन घोटाले का अब तक का सबसे बड़ा मामला उजागर हुआ है। जमीन माफिया कमलेश ने 2020 से 2024 के बीच फर्जी दस्तावेजों और सरकारी अधिकारियों की मदद से 85.53 करोड़ रुपये की जमीनें बेच डालीं। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने इस मामले में चौंकाने वाले सबूत पेश किए हैं, जो प्रशासन और माफिया के गहरे गठजोड़ को उजागर करते हैं।

कमलेश को 26 जुलाई को गिरफ्तार किया गया था और फिलहाल वह होटवार जेल में बंद है। लेकिन इस घोटाले में उसकी मदद करने वाले प्रशासनिक अधिकारी, दलाल और कर्मचारी आज भी खुलेआम घूम रहे हैं।
कैसे हुआ घोटाला?

ईडी की जांच में सामने आया है कि कमलेश ने फर्जी नीलामी दस्तावेज और जमीन के फर्जी कागजात तैयार किए। इन कागजातों के जरिए उसने सरकारी और निजी जमीनें बेच दीं। जिन जमीनों की बिक्री कानूनी रूप से मुमकिन नहीं थी, उन्हें भी सीओ और अन्य अधिकारियों की मिलीभगत से बेचा गया।

घोटाले के प्रमुख मामले:
- 38.87 एकड़ जमीन (परसू साहू के नाम पर) – 46 करोड़ रुपये में बेची गई।
- 11.43 एकड़ जमीन (महावीर साहू के नाम पर) – 14.73 करोड़ रुपये में बेची गई।
- 15.7 एकड़ जमीन (दुखन साहू के नाम पर) – 24.33 करोड़ रुपये में बेची गई।


इनमें से कई जमीनें अवैध थीं और उनकी बिक्री सीओ और दलालों की मिलीभगत से संभव हुई।
अधिकारियों और दलालों की गहरी साठगांठ
घोटाले में कई बड़े नाम सामने आए हैं:
कांके के तत्कालीन सीओ दिवाकर प्रसाद द्विवेदी – घोटाले में कमलेश को 43 एकड़ जमीन पर कब्जा दिलाने में मदद की।
धनबाद के डीटीओ जयकुमार राम – सरकारी पद का दुरुपयोग करते हुए फर्जी कागजात तैयार करवाए।
जमीन दलाल अमरेंद्र कुमार दुबे, अरविंद कुमार साहू और रेखा देवी – माफिया नेटवर्क को जमीनी स्तर पर मजबूत बनाया।
दिवाकर प्रसाद को 3.5 करोड़ की रिश्वत
सीओ दिवाकर प्रसाद ने अपनी भूमिका के लिए 3.5 करोड़ रुपये रिश्वत में लिए। ईडी के मुताबिक, यह राशि किस्तों में कैश दी गई:
20 लाख रुपये – जिला निबंधक राहुल चौबे के मोरहाबादी स्थित घर पर दी गई।
60 लाख रुपये – राहुल के फ्लैट के पास कैश में दिए गए।
1.5 करोड़ रुपये – रिंग रोड के पास दिया गया।
ईडी की जांच में हुए बड़े खुलासे
कमलेश के कॉल डिटेल्स से पता चला कि उसने अरविंद कुमार साहू से 353 बार और दलाल अमरेंद्र दुबे से 30 बार बातचीत की।
वॉट्सएप चैट में सीओ दिवाकर, अरविंद और अमरेंद्र की बातचीत उजागर हुई है।
एक एचडीएफसी बैंक खाता, जिसमें 4.87 करोड़ रुपये जमा हुए और 4.86 करोड़ निकाले गए, सीधे कमलेश से जुड़ा हुआ पाया गया।
ईडी ने घोटाले का पूरा सिंडिकेट उजागर किया
ईडी ने खुलासा किया है कि यह घोटाला माफिया और प्रशासनिक अधिकारियों की एक संगठित साजिश है। इसमें निचले स्तर से लेकर शीर्ष स्तर तक अधिकारी शामिल हैं।