महाराष्ट्र चुनाव: रिश्तों की राजनीति और रोचक टकराव

महाराष्ट्र : महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 इस बार राजनीतिक पार्टियों के बीच ही नहीं, बल्कि परिवारों के भीतर की जंग की वजह से भी चर्चा में है। इस चुनावी समर में चाचा-भतीजा, भाई-भाई, और यहां तक कि पति-पत्नी भी एक-दूसरे के खिलाफ चुनावी मैदान में हैं। परिवार और राजनीति के इस अद्भुत मिश्रण ने इस चुनाव को और भी दिलचस्प बना दिया है।

कन्नड़ सीट: पति-पत्नी के बीच सियासी मुकाबला
छत्रपति संभाजीनगर के कन्नड़ निर्वाचन क्षेत्र में निर्दलीय उम्मीदवार हर्षवर्धन जाधव और उनकी अलग रह रही पत्नी व शिवसेना उम्मीदवार संजना जाधव आमने-सामने हैं। संजना, बीजेपी नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री रावसाहेब दानवे की बेटी हैं। चुनावी प्रचार के दौरान संजना का एक भावुक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें उन्होंने अपनी जिंदगी की परेशानियों को साझा किया। उन्होंने कहा, “मैंने जो सहा, उसका कोई इनाम नहीं मिला।” इस सीट पर पति-पत्नी की जंग ने राजनीतिक और व्यक्तिगत रिश्तों के नए आयाम जोड़ दिए हैं।

बारामती: चाचा बनाम भतीजा
एनसीपी प्रमुख शरद पवार के गढ़ बारामती में चाचा-भतीजा आमने-सामने हैं। इस बार एनसीपी से युगेंद्र पवार अपने चाचा अजित पवार के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं। अजित पवार सात बार विधानसभा और एक बार संसदीय चुनाव जीत चुके हैं। परिवार के भीतर इस तरह का मुकाबला पहले भी देखने को मिला था, जब लोकसभा चुनाव में अजित पवार की पत्नी सुनेत्रा पवार और सुप्रिया सुले के बीच दिलचस्प टक्कर हुई थी।


देशमुख परिवार: राजनीति में भाई-भाई का जलवा
महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री विलासराव देशमुख के घर में भी पारिवारिक राजनीति का शानदार उदाहरण देखने को मिल रहा है। उनके बेटे अमित देशमुख लातूर शहर से मैदान में हैं, जबकि दूसरे बेटे धीरज देशमुख लातूर ग्रामीण से अपनी किस्मत आजमा रहे हैं।
राणे परिवार: शिवसेना बनाम बीजेपी
पूर्व मुख्यमंत्री नारायण राणे के दोनों बेटे अलग-अलग पार्टियों से मैदान में हैं। नितेश राणे शिवसेना के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं, जबकि उनके भाई निलेश राणे बीजेपी के प्रत्याशी के रूप में मुकाबले में हैं।
महाराष्ट्र की राजनीति: रिश्तेदारों की रस्साकशी
इन हाई-प्रोफाइल मुकाबलों ने इस बार के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव को और भी दिलचस्प बना दिया है। पारिवारिक कलह और राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं ने राज्य की राजनीति को एक नया मोड़ दिया है। यह देखना दिलचस्प होगा कि इस चुनावी जंग में रिश्ते जीतते हैं या राजनीति।