झारखंड में अनुसूचित जाति-जनजाति मुद्दे पर छिड़ी सियासी जंग — झामुमो ने भाजपा को घेरा, “दोगली राजनीति बंद करो

झामुमो भाजपा विवाद
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विनोद पांडेय का भाजपा पर तीखा हमला-“दलित- आदिवासी समाज को सिर्फ वोट बैंक समझती है भाजपा”

रांची, मुनादी लाइव ब्यूरो : झारखंड में अनुसूचित जाति और आदिवासी अधिकारों को लेकर भाजपा और झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के बीच सियासी टकराव तेज हो गया है। भाजपा प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव द्वारा राज्य सरकार पर लगाए गए आरोपों पर झामुमो के महासचिव विनोद कुमार पांडेय ने करारा पलटवार करते हुए भाजपा को आड़े हाथों लिया है।

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उन्होंने भाजपा के बयानों को “घोर राजनीतिक दोगलापन” बताते हुए कहा कि —

“भाजपा को अनुसूचित जाति और जनजातियों की चिंता केवल तब होती है, जब वह सत्ता से बाहर होती है। जब झारखंड की बागडोर उनके हाथ में थी, तब इन वर्गों की आवाज़ को पूरी तरह दबा दिया गया।”

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“विकास नहीं, वोट चाहिए भाजपा को” — झामुमो का बड़ा आरोप

विनोद पांडेय ने भाजपा पर आरोप लगाते हुए कहा कि वह केवल राजनीतिक लाभ के लिए आदिवासियों और दलितों का नाम लेती है। न तो उनके अधिकारों के लिए कभी ठोस पहल की, और न ही शिक्षा, स्वास्थ्य, या रोज़गार के क्षेत्र में कोई उल्लेखनीय योगदान दिया।

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“आदिवासी हितैषी होने का ढोंग अब नहीं चलेगा। झारखंड की जनता भाजपा की चालों को पहचान चुकी है।”

हेमंत सरकार के कार्यों की सूची गिनाई झामुमो ने — “हम दिखावे में नहीं, ज़मीन पर काम कर रहे”

झामुमो महासचिव ने हेमंत सरकार की योजनाओं का उल्लेख करते हुए कहा कि आदिवासी, दलित, पिछड़े, और मूलवासी समाज को सशक्त करने के लिए सरकार ने कई क्रांतिकारी योजनाएं चलाई हैं:

•मरांग गोमके विदेश छात्रवृत्ति योजना — जिससे दर्जनों आदिवासी युवा आज विदेशों की नामी यूनिवर्सिटीज में पढ़ रहे हैं।

•सिदो-कान्हू कृषि समृद्धि योजना — राज्य के किसानों की आमदनी में सुधार लाने की दिशा में बड़ा कदम।

•फेलोशिप स्कीम — अनुसूचित जाति/जनजाति छात्रों को उच्च शिक्षा में बढ़ावा।

•आदिवासी महिला स्वावलंबन मिशन, जनजातीय स्वास्थ्य केंद्रों का विस्तार, और पट्टे वितरण अभियान — जो जमीन से जुड़ी समस्याओं का समाधान कर रहे हैं।

SC आयोग गठन पर भाजपा की आपत्ति पर जवाब — “भ्रामक प्रचार बंद करें”

भाजपा की यह आलोचना कि राज्य सरकार ने अब तक अनुसूचित जाति आयोग का गठन नहीं किया, झामुमो ने झूठा और भ्रामक प्रचार बताया।

“सरकार इस दिशा में काम कर रही है, आयोग का पुनर्गठन जल्द ही किया जाएगा। पर भाजपा मुद्दों की बजाय अफवाह फैलाने में यकीन रखती है।”

राधा कृष्ण किशोर के पत्र पर भी दिया जवाब — “यह भाजपा नहीं है, जहां मंत्री बोल भी नहीं सकते”

मंत्री राधा कृष्ण किशोर द्वारा मुख्यमंत्री को भेजे गए पत्र पर भाजपा द्वारा उठाए गए सवालों पर भी झामुमो का रुख स्पष्ट रहा। पांडेय ने कहा कि:

“हेमंत सोरेन लोकतंत्र में विश्वास रखते हैं। हर मंत्री को राय रखने का अधिकार है। ये भाजपा की तरह तानाशाही सरकार नहीं है, जहां मंत्री चुप रहने को मजबूर होते हैं।”

उन्होंने तीखा सवाल किया:

“क्या भाजपा का कोई मंत्री पीएम मोदी को पत्र लिखने की हिम्मत कर सकता है?”

झामुमो का सवाल — “भाजपा बताएं अपने शासन में कितने आदिवासी युवाओं को नौकरी दी?”

विनोद पांडेय ने भाजपा से सीधा सवाल पूछा:

•आपने कितने आदिवासी युवाओं को नौकरी दी?

•क्यों जनजातीय छात्रवृत्तियों को बंद कर दिया गया?

•वन अधिकार अधिनियम के तहत कितने लोगों को पट्टे दिए?

“अगर भाजपा को आदिवासियों से इतना ही लगाव है, तो उनके विकास के लिए उनके शासनकाल में कौन सी नई योजनाएं शुरू की गईं?”

भाजपा बनाम झामुमो — किसका पलड़ा भारी?

Munadi Live Political Desk के अनुसार:

भाजपा राजनीतिक मोर्चे पर मुद्दों को उछालने की रणनीति अपना रही है। जबकि झामुमो सरकार नीतिगत और विकासोन्मुखी योजनाओं को सामने रख रही है।

झारखंड में जनजातीय चेतना और सामाजिक न्याय की राजनीति लंबे समय से प्रभावी रही है, और ऐसे में झामुमो का ग्राउंड कनेक्शन भाजपा से अधिक गहरा प्रतीत होता है।

आदिवासी-दलित सम्मान का सवाल, या सिर्फ सियासी रणनीति?

विनोद पांडेय ने अंत में कहा:

“भाजपा की दोहरी नीति को अब झारखंड की जनता समझ चुकी है। हम नारे नहीं, काम में यकीन रखते हैं। हेमंत सोरेन की सरकार आदिवासी समाज के मान-सम्मान, अधिकार और भविष्य को लेकर पूरी तरह प्रतिबद्ध है।”

विशेष संपादकीय:

झारखंड की राजनीति में यह विषय सिर्फ चुनावी रणनीति नहीं, आत्मसम्मान और अधिकारों की लड़ाई है। जो भी दल इस मुद्दे को संजीदगी से लेगा, वही झारखंड के लोगों का विश्वास अर्जित कर पाएगा। भाजपा को भी आत्ममंथन करने की ज़रूरत है कि आदिवासी-दलित समाज के लिए उसने किया क्या है, सिर्फ बोला नहीं।

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