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शराब घोटाले में विनय चौबे की जमानत पर बाबूलाल मरांडी का हमला, कहा- राज्य सरकार ने जानबूझकर किया बचाव

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राँची: झारखंड में चल रहे बहुचर्चित शराब घोटाले में आईएएस अधिकारी और पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के सचिव रहे विनय चौबे को अदालत से जमानत मिल गई है। इस पर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष एवं नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने राज्य सरकार पर तीखा हमला बोला है।

मरांडी ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार ने इस पूरे मामले में शुरू से ही संदिग्ध भूमिका निभाई है और जानबूझकर चार्जशीट दाखिल करने में देरी की, ताकि चौबे को अदालत से जमानत आसानी से मिल सके। उन्होंने कहा कि तकरीबन 1000 करोड़ रुपये के शराब घोटाले में एसीबी द्वारा 90 दिनों के भीतर चार्जशीट दाखिल न करना यह साबित करता है कि सरकार शुरुआत से ही आरोपी को बचाने की कोशिश में थी।

मरांडी ने इसे “नाटकीय षड्यंत्र” बताते हुए कहा कि हेमंत सोरेन सरकार ने अपने ही पूर्व सचिव की गिरफ्तारी इसलिए करवाई थी ताकि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की जांच को भ्रमित किया जा सके और सबूत मिटाने का समय मिल सके। उनके अनुसार, यह पूरा मामला भ्रष्टाचारियों को बचाने और ईडी की कार्रवाई से ध्यान भटकाने का प्रयास था।

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भाजपा नेता ने कहा कि जनता के हजारों करोड़ रुपये की लूट की जिम्मेदार इस पूरी व्यवस्था में सरकार की भूमिका संदेहास्पद है। उन्होंने मांग की कि ईडी के निदेशक को इस पूरे प्रकरण में कठोर और विधिसम्मत कार्रवाई करनी चाहिए, ताकि जनता का विश्वास बना रहे और भ्रष्टाचारियों को संरक्षण देने वाली ताकतों को उजागर किया जा सके।

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मरांडी ने यह भी कहा कि झारखंड की जनता इस घोटाले को लेकर गुस्से में है और यदि समय रहते पारदर्शी कार्रवाई नहीं हुई, तो सरकार को जनता के आक्रोश का सामना करना पड़ेगा।

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गौरतलब है कि झारखंड में शराब घोटाले का मामला लंबे समय से चर्चा में है। इसमें कई प्रशासनिक अधिकारियों और कारोबारियों पर अवैध कमाई और सरकारी खजाने को नुकसान पहुँचाने के आरोप हैं। विनय चौबे, जो कभी तत्कालीन मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के बेहद करीबी माने जाते थे, गिरफ्तारी के बाद से ही चर्चा में रहे। अब उनकी जमानत से यह मुद्दा और भी गरम हो गया है।

राजनीतिक हलकों में इसे लेकर नई बहस छिड़ गई है। भाजपा का कहना है कि इस घोटाले के तार ऊपर तक जुड़े हैं और इसमें बड़े नेताओं की संलिप्तता से इनकार नहीं किया जा सकता। वहीं, विपक्षी दल और सरकार इस मामले पर अभी तक चुप्पी साधे हुए हैं।

बाबूलाल मरांडी के बयान के बाद इस मुद्दे पर सियासी सरगर्मी तेज हो गई है। भाजपा लगातार इसे जनता के सामने उठाकर राज्य सरकार को घेरने की रणनीति बना रही है। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि आने वाले समय में यह मामला झारखंड की राजनीति में एक बड़ा चुनावी मुद्दा बन सकता है।

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