भोजपुर में शराब के ठिकाने पर छापेमारी के दौरान बेकाबू भीड़ ने किया हमला, पुलिस की फायरिंग में एक ग्रामीण की मौत

भोजपुर पुलिस फायरिंग शराब छापेमारी
Share Link

भोजपुर/बिहार : बिहार के भोजपुर जिले के शाहपुर थाना क्षेत्र में रविवार को अवैध शराब के खिलाफ कार्रवाई उस समय खूनी संघर्ष में तब्दील हो गई जब उत्पाद विभाग की छापेमारी टीम पर स्थानीय ग्रामीणों ने पथराव कर दिया। इसके जवाब में की गई पुलिस की फायरिंग में एक ग्रामीण की मौत हो गई। मरने वाले व्यक्ति की पहचान सुशील यादव (45 वर्ष) के रूप में हुई है, जो वार्ड संख्या 3 का निवासी था। इस घटना ने पूरे इलाके में तनाव फैला दिया है। गुस्साई भीड़ ने एक सैप जवान को बंधक बना लिया और उसकी जमकर पिटाई कर दी।

Maa RamPyari Hospital

प्राप्त जानकारी के अनुसार, जगदीशपुर उत्पाद विभाग की टीम को सूचना मिली थी कि शाहपुर नगर पंचायत के वार्ड नंबर 3 में सुशील यादव के घर में भारी मात्रा में अवैध शराब का भंडारण किया गया है। सूचना के आधार पर टीम ने छापेमारी की योजना बनाई और रविवार की शाम पुलिस दल सुशील यादव के घर पहुंचा। जैसे ही तलाशी शुरू हुई, परिजनों और आसपास के ग्रामीणों ने विरोध शुरू कर दिया। देखते ही देखते भीड़ ने पथराव शुरू कर दिया और उत्पाद विभाग की टीम को पीछे हटने के लिए मजबूर कर दिया।

image 13

स्थिति बिगड़ती देख पुलिस ने आत्मरक्षा में गोली चलाई, जिसमें सुशील यादव को गोली लगी और मौके पर ही उसकी मौत हो गई। गोली उसकी पीठ में लगी थी। घटना के बाद माहौल पूरी तरह तनावपूर्ण हो गया। गुस्साई भीड़ ने उत्पाद विभाग के एक जवान को पकड़ लिया और उसकी जमकर पिटाई कर दी। हालात इतने बिगड़ गए कि पुलिस को मौके पर अतिरिक्त बल बुलाना पड़ा। सूचना मिलते ही जगदीशपुर एसडीओ संजीत कुमार, डीएसपी राजेश कुमार शर्मा और शाहपुर थानाध्यक्ष रजनीकांत भारी पुलिस बल के साथ घटनास्थल पर पहुंचे।

whatsapp channel

Maa RamPyari Hospital

घटना के बाद आक्रोशित ग्रामीणों ने आरा-बक्सर मुख्य मार्ग को जाम कर दिया, जिससे हाईवे पर कई किलोमीटर लंबा जाम लग गया। सैकड़ों वाहन फंस गए और आम जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया। पुलिस ने जाम हटाने और भीड़ को काबू में करने के लिए लाठीचार्ज भी किया। फिलहाल इलाके में भारी संख्या में पुलिस बल की तैनाती कर दी गई है और मृतक का शव पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है।

घटना को लेकर ग्रामीणों और पुलिस के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी शुरू हो गया है। ग्रामीणों का आरोप है कि पुलिस ने बिना किसी चेतावनी के फायरिंग की। वे केवल पूछताछ का विरोध कर रहे थे और पुलिस ने सीधे गोली चला दी। दूसरी ओर, पुलिस का दावा है कि टीम पर जानलेवा हमला किया गया था और आत्मरक्षा में गोली चलानी पड़ी।

the-habitat-ad

डीएसपी राजेश कुमार शर्मा ने बताया कि उत्पाद विभाग की टीम पर हमला किया गया था जिसमें कई जवान घायल हुए। “हमारे पास इस बात के पर्याप्त सबूत हैं कि छापेमारी के दौरान जानलेवा हमला किया गया था। जवाबी कार्रवाई में एक व्यक्ति की मौत हुई है। हम इसकी निष्पक्ष जांच करवा रहे हैं और जो भी दोषी पाए जाएंगे, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।”

image 14
RKDF

वहीं, मृतक के परिजनों और ग्रामीणों ने दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने और सुशील यादव को न्याय दिलाने की मांग की है। ग्रामीणों का कहना है कि सुशील यादव निर्दोष था और पुलिस ने बगैर किसी चेतावनी के गोली चला दी। ग्रामीणों ने सरकार से मुआवजे और दोषियों की गिरफ्तारी की भी मांग की है।

इस घटना ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या बिहार में शराबबंदी कानून का पालन कराते वक्त पुलिस अनावश्यक बल प्रयोग कर रही है? जहां एक ओर राज्य सरकार अवैध शराब के खिलाफ सख्त अभियान चला रही है, वहीं दूसरी ओर जमीन पर इसकी क्रियान्वयन प्रक्रिया कई बार हिंसा और सामाजिक तनाव का कारण बन रही है।

यह मामला आने वाले दिनों में राजनीतिक और सामाजिक बहस का केंद्र बन सकता है, खासकर तब जब यह आरोप लग रहा है कि बिना उचित तैयारी के और बगैर स्थानीय समाज से संवाद स्थापित किए छापेमारी की गई थी। प्रशासन को इस बात पर गंभीरता से मंथन करना होगा कि कानून व्यवस्था कायम रखते हुए आम नागरिकों की जान की सुरक्षा कैसे सुनिश्चित की जाए।

रिपोर्ट : जिशान अली, भोजपुर , बिहार

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *