झारखंड की राजनीति में मजबूत जनाधार रखने वाले दिवंगत नेता चंद्रशेखर दुबे उर्फ ददई दुबे को मुख्यमंत्री ने दी अंतिम विदाई, शोक-संतप्त परिवार से मिलकर व्यक्त की संवेदना।

रांची: झारखंड सरकार में पूर्व मंत्री और राज्य के वरिष्ठ नेता रहे चंद्रशेखर दुबे उर्फ ददई दुबे के निधन पर पूरे राज्य में शोक की लहर है। उनके निधन की सूचना मिलते ही प्रदेश के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने उनके पार्थिव शरीर पर पुष्पचक्र अर्पित कर भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। इस दौरान मुख्यमंत्री visibly भावुक नजर आए।

मुख्यमंत्री ने दिवंगत नेता के परिजनों से मिलकर गहरी संवेदना व्यक्त की और इस कठिन समय में उन्हें संबल प्रदान करने की बात कही। उन्होंने कहा कि ददई दुबे जैसे नेता झारखंड की राजनीति की धरोहर हैं, जिन्होंने अपना पूरा जीवन आम लोगों के हित में समर्पित कर दिया।
मुख्यमंत्री ने कहा, “ददई दुबे जी का जाना सिर्फ उनके परिवार के लिए नहीं, बल्कि समूचे झारखंड के लिए अपूरणीय क्षति है। वे एक निर्भीक, जनोन्मुखी और संघर्षशील नेता थे, जिनकी राजनीतिक समझ और जनभावनाओं को समझने की क्षमता बेजोड़ थी।”
मुख्यमंत्री ने शोक-संतप्त परिवार से मुलाकात कर उन्हें ढांढस बंधाया और दिवंगत आत्मा की शांति के लिए ईश्वर से प्रार्थना की।
राजनीतिक सफर:
ददई दुबे झारखंड की राजनीति में एक प्रमुख चेहरा रहे हैं। वे कई बार विधायक रहे और सरकार में मंत्री पद की जिम्मेदारी भी संभाली। सामाजिक न्याय और पिछड़े वर्गों की आवाज को सदन में उठाने वाले नेताओं में उनकी गिनती होती थी।

उनकी नेतृत्व क्षमता, स्पष्टवादिता और जनसरोकारों के प्रति प्रतिबद्धता ने उन्हें जनता के बीच बेहद लोकप्रिय बनाया। वे न केवल एक राजनेता थे, बल्कि समाज सुधारक के रूप में भी जाने जाते थे।

राज्य भर में शोक:
उनके निधन की खबर मिलते ही झारखंड के तमाम राजनीतिक दलों, नेताओं, सामाजिक संगठनों और आम जनता में शोक की लहर दौड़ गई। विभिन्न जिलों में श्रद्धांजलि सभाओं का आयोजन किया जा रहा है और उन्हें याद किया जा रहा है।
पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी, झारखंड कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर, और बीजेपी नेता भानु प्रताप शाही सहित कई दिग्गज नेताओं ने भी सोशल मीडिया और प्रेस विज्ञप्तियों के जरिए उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।
ददई दुबे जैसे नेता की कमी को पूरा कर पाना मुश्किल है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का इस दुख की घड़ी में परिवार के साथ खड़ा होना, उनके मानवीय पक्ष को दर्शाता है। झारखंड एक ऐसे राजनेता को खो चुका है, जिसकी विरासत आने वाले समय में राजनीतिक आदर्शों का मार्गदर्शन करती रहेगी।