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सीपी राधाकृष्णन बने उपराष्ट्रपति, 452 वोट से ऐतिहासिक जीतएनडीए उम्मीदवार ने इंडिया गठबंधन के बी सुदर्शन रेड्डी को 152 वोटों से हराया

नई दिल्ली: भारत ने अपना 15वां उपराष्ट्रपति चुन लिया है। भाजपा नीत एनडीए के उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन ने उपराष्ट्रपति चुनाव में शानदार जीत दर्ज की है। संसद भवन में हुए मतदान में उन्हें 452 वोट मिले, जबकि उनके प्रतिद्वंदी और इंडिया गठबंधन के उम्मीदवार बी सुदर्शन रेड्डी को 300 वोट प्राप्त हुए। इस तरह राधाकृष्णन ने रेड्डी को 152 वोटों के अंतर से पराजित कर एक नया राजनीतिक इतिहास रच दिया।

उपराष्ट्रपति चुनाव का महत्व
भारत का उपराष्ट्रपति न केवल राष्ट्रपति का उत्तराधिकारी माना जाता है, बल्कि वह राज्यसभा का सभापति भी होता है। ऐसे में यह पद देश की संसदीय राजनीति और विधायी प्रक्रिया दोनों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। सीपी राधाकृष्णन की जीत इसलिए भी अहम है क्योंकि आने वाले दिनों में राज्यसभा में कई महत्वपूर्ण विधेयक पेश होने हैं और विपक्ष-सरकार के बीच टकराव की स्थिति भी बन सकती है। इस पृष्ठभूमि में उपराष्ट्रपति का पद एक संतुलनकारी और निर्णायक भूमिका निभाएगा।
दक्षिण भारत पर फोकस
- इस चुनाव की खासियत यह रही कि दोनों गठबंधनों ने दक्षिण भारत से उम्मीदवार उतारे।
- सीपी राधाकृष्णन तमिलनाडु से आते हैं और वर्तमान में महाराष्ट्र के राज्यपाल थे।
- बी सुदर्शन रेड्डी आंध्र प्रदेश के रहने वाले हैं और सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज रह चुके हैं।
विशेषज्ञ मानते हैं कि भाजपा ने दक्षिण भारत में अपनी राजनीतिक पकड़ मजबूत करने के लिए राधाकृष्णन को उम्मीदवार बनाया। वहीं, इंडिया गठबंधन ने भी दक्षिण से ही उम्मीदवार उतारकर भाजपा को कड़ी चुनौती देने का प्रयास किया। लेकिन एनडीए की संख्या बल और रणनीतिक समर्थन ने अंततः राधाकृष्णन की जीत सुनिश्चित कर दी।
प्रधानमंत्री का पहला वोट, MPs की भारी भागीदारी
चुनाव प्रक्रिया सुबह 10 बजे शुरू हुई और शाम 5 बजे तक चली। इस दौरान लगभग सभी सांसदों ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सबसे पहले वोट डालकर चुनावी प्रक्रिया का शुभारंभ किया। इसके बाद अन्य सांसदों ने मतदान किया। मतदान खत्म होते ही मतगणना शुरू हुई और कुछ ही घंटों में नतीजा साफ हो गया।

विपक्ष की रणनीति और हार
इंडिया गठबंधन की ओर से उतारे गए बी सुदर्शन रेड्डी एक मजबूत दावेदार माने जा रहे थे। उनकी छवि एक ईमानदार और सख्त न्यायाधीश की रही है। विपक्ष ने यह संदेश देने की कोशिश की कि वे इस चुनाव को नैतिकता बनाम शक्ति के मुकाबले में बदलना चाहते हैं। हालांकि, अंततः संख्या बल ने निर्णायक भूमिका निभाई और विपक्ष को हार का सामना करना पड़ा।

एनडीए की जीत का राजनीतिक संदेश
सीपी राधाकृष्णन की जीत एनडीए और विशेषकर भाजपा के लिए एक मजबूत राजनीतिक संदेश है।
- यह दर्शाता है कि संसद में एनडीए की स्थिति विपक्ष से काफी मजबूत है।
- दक्षिण भारत में भाजपा की राजनीतिक जमीन तलाशने की कोशिश को यह जीत और बल देगी।
- विपक्षी गठबंधन इंडिया के भीतर तालमेल और रणनीति की कमी एक बार फिर सामने आई।
राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि उपराष्ट्रपति पद जैसे संवैधानिक चुनावों में भी संख्या और संगठन क्षमता ही निर्णायक भूमिका निभाती है।
जनता की नजर में संदेश
राधाकृष्णन की जीत जनता के लिए यह संदेश भी देती है कि अनुभव और प्रशासनिक समझ वाले नेताओं को एनडीए लगातार आगे बढ़ा रहा है। वहीं, विपक्ष को जनता के बीच यह भरोसा दिलाने में नाकामी मिली कि वे एकजुट होकर सत्ता पक्ष को चुनौती देने में सक्षम हैं। सीपी राधाकृष्णन की जीत केवल एक चुनावी सफलता नहीं है, बल्कि यह भारतीय राजनीति का एक नया अध्याय है। उनके सामने चुनौती होगी कि वे राज्यसभा में निष्पक्ष और संतुलित भूमिका निभाएं और विभिन्न राजनीतिक दलों के बीच संवाद और सहयोग का वातावरण बनाएं।
बी सुदर्शन रेड्डी की हार ने विपक्ष के लिए यह संकेत भी छोड़ दिया है कि उन्हें भविष्य में अधिक संगठित और रणनीतिक रूप से सक्षम होना होगा। अंततः, राधाकृष्णन का उपराष्ट्रपति चुना जाना आने वाले वर्षों में भारत की संसदीय राजनीति की दिशा तय करने में एक बड़ा कदम साबित हो सकता है।