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दीपांकर भट्टाचार्या बोले- गो-रक्षा के नाम पर हिंसा करने वाले संगठनों को आतंकवाद की श्रेणी में डाले सुप्रीम कोर्ट

रांचीः भाकपा माले आगामी विधानसभा चुनाव की तैयारी में लग गई है। गुरुवार को भाकपा नेता दीपांकर भट्टाचार्या ने प्रेसवार्ता कर विधानसभा चुनाव से संबंधित और देश में चल रहे सक्रिय मुद्दों पर अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि 2 दिन की बैठक में हमने आने वाले चार राज्यों के चुनाव पर मंथन किया। जम्मू-कश्मीर और हरियाणा में चुनाव की प्रक्रिया चल रही है। इसका हम लोगों ने जायजा लिया। उन्होंने कहा कि प्रत्यक्ष तौर पर हरियाणा और जम्मू-कश्मीर में पार्टी के प्रत्याशी चुनाव में शामिल नहीं होंगे। इंडिया गगठबंधन को जीत दिलाने के लिए और भारतीय जनता पार्टी को शिकस्त देने के लिए हमलोग हर मुमकिन कोशिश कर रहे हैं। दीपांकर भट्टाचार्या ने झारखंड में विधानसभा सीटों की दावेदारी को लेकर कहा कि उत्तरी छोटानागपुर, पलामू प्रामंडल में जितनी सीटें हैं, वहां भाकपा-माले दावेदारी करेगी। 24 और 25 सितंबर को गिरिडीह में बैठक रखी गई है

झारखंड को कार्पोरेट लूट का अड्डा बनाने की कोशिश: उन्होंने कहा कि 9 सितंबर को धनबाद के ऐतिहासिक गोल्फ ग्राउंड में हुई एकता रैली के माध्यम से वामपंथी आंदोलन में, मजदूर आंदोलन में नई ऊर्जा का संचार होगा। खासकर एक ऐसे दौर में जहां झारखंड जैसे एक औद्योगिक राज्य को कार्पोरेट लूट का अड्डा बनाने की कोशिश हो रही है। सार्वजनिक क्षेत्र को समाप्त करने के लिए नीजीकरण का बुलडोजर चलाया जा रहा है। इसलिए ये रैली हर तरह के मजदूरों के लिए एक बेहतर कदम साबित होगा। उन्होंने कहा कि 10 और 11 सितंबर को केंद्रीय कमेटी की बैठक हुई थी। जिसमें मासस के पांच नेता केंद्रीय कमेटी में शामिल किए गए। कामरेड हलधर महतो, कामरेड अरूप चरर्जी आदि शामिल हैँ। कामरेड हलधर महतो और कामरेड आनंद महतो पोलित ब्यूरो के भी सदस्य होंगे। उन्होंने लोकसभा चुनाव-2024 के परिणामों को लेकर कहा कि चुनाव आयोग अपनी चुप्पी से अपनी निष्क्रियता से सवालों के घेरे में है।
गो-रक्षा करने वालों को आतंकवाद की श्रेणी में डाले सुप्रीम कोर्टः गो-रक्षा के नाम पर हिंसा की घटनाओं को लेकर कहा कि सुप्रीम कोर्ट को स्वतः इस मामले पर संज्ञान लेते हुए इसे आतंकवाद की श्रेणी में डाल देना चाहिए। इससे संबंधित जो भी दल या संगठन काम कर रहे हैं, उन्हें भी बैन कर देना चाहिए। भट्टाचार्या ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एक भाषण का जिक्र करते हुए कहा कि मोदी जी ने कुछ दिन पहले ही कहा है कि गो-रक्षा के नाम पर काम करने वाले ज्यादातर लोग एंटीसोशल हैं। वे गो-रक्षा के नाम पर अपने अपराधों को बढ़ावा देने के लिए गो-रक्षा का चोला पहन ले रहे हैं। लेकिन इस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। हरियाणा में सब्बिर मलिक और एक 12वीं के छात्र आर्यन मिश्रा उसकी भी पीट-पीट कर हत्या कर दी गई। इसलिए इस पर कार्रवाई होनी चाहिए।

दुषकर्म के विरुद्ध चल रहे आंदोलन को समर्थनः वहीं उन्होने महिलाओं और लड़कियों के साथ हो रहे बलात्कार के मामलों को उठाते हुए उन्होंने कहा कि कोलकाता में ट्रेनी डॉक्टर के साथ जो कुकृत्य हुआ है, उसे लेकर देशभर में उबाल है। पिछले एक महीने से देशभर में और कोलकाता में आंदोलन हो रहे हैं। इसका हम समर्थन करते हैं। महिलाओं की सुरक्षा के लिए और स्वास्थ्य व्यवस्था के अंदर जो भ्रष्टाचार है, उसके खिलाफ महिलाओं और विद्यार्थियों का आंदोलन चल रहा है। ये एक बहुत बड़ा आंदोलन है। ऐसा हाल के समय में देखने को नहीं मिला है। सुप्रीम कोर्ट ने स्वतः इस मामले में संज्ञान लिया है। सीबीआई मामले की जांच कर रही है। 17 को उसे स्टेटस रिपोर्ट एक बार फिर मांगा है। लेकिन अबतक हुई जांच से कुछ भरोसा नहीं हुआ है। और ये सिर्फ बंगाल की घटना नहीं है। अभी कुछ दिन पहले मध्यप्रदेश के उज्जैन में एक लड़की के साथ बीच सड़क पर बलात्कार हुआ। यहां तो भाजपा की सरकार है और उज्जैन मुख्यमंत्री का विधानसभा केंद्र भी है। लोग भी मदद नहीं किए और सिर्फ उसका वीडियो बनाते रहे। कल की रिपोर्ट है कि इंदौर में सेना के दो अधिकारी अपने महिला मित्रों के साथ कहीं जा रहे थे उन दोनों महिलाओं का सामूहिक बलात्कार कर दिया गया। इसलिए ये मामला सिर्फ बंगाल का नहीं है बल्कि पूरे देश में महिलाओं और बेटियों की सुरक्षा का मामला है।
खासकर 2013 में वर्मा कमेटी की रिपोर्ट के बाद जो संशोधन हुआ था और सरकरों ने देश की आधी आबादी से यह वादा किया था कि कार्यस्थलों में किसी तरह से महिलाओं के ऊपर कोई हमला नहीं होगा और उसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और संपूर्ण सुरक्षित रहेंगी महिलाएं। लेकिन इसके साथ लगातार खिलवाड़ा हो रहा है, तो हम चाहते हैं कि सुप्रीम कोर्ट महिला डॉक्टरों की सुरक्षा के साथ-साथ आम महिलाओं की सुरक्षा और खासकर कार्यस्थल में यौन शोषण की जो घटनाएं हो रही हैं। इस पर रोक लगाने के लिए सार्थक कदम उठाए। सभी राज्य सरकारें इस तरह के मामलों में गंभीरता से कार्रवाई करें।