तमाड़ का प्रसिद्ध चैत पवनि भक्तिमय वातावरण में संपन्न, भोक्तागण की भक्ति और आस्था से गुंज उठा पंच परगना

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तमाड़ प्रतिनिधि | विशेष रिपोर्ट : झारखंड के तमाड़ क्षेत्र में स्थित पंच परगना का प्रसिद्ध कोका पवनि, भोक्ता पवनि और चैत्र पवनि इस वर्ष भी पारंपरिक उत्साह, भक्ति और श्रद्धा के साथ धूमधाम से मनाया गया। यह पारंपरिक पर्व, जो शिव और शक्ति की उपासना पर आधारित है, सात दिनों तक चलने वाला एक विशेष धार्मिक आयोजन है, जिसमें सैकड़ों श्रद्धालु भोक्ता बनकर उपवास और अनुष्ठान करते हैं।

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अर्जुनदोह नदी से शुरू हुआ पावन दुर्गा घट यात्रा

शनिवार को दोपहर में ‘दुर्गा घट’ का आयोजन हुआ, जो इस पर्व का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह पवित्र घट अर्जुनदोह नदी से पाठ भोक्ता द्वारा उठाकर राजबाड़ी स्थित मां वैष्णवी मंदिर तक लाया गया। इस यात्रा के दौरान रास्ते में भोक्ता गण की असीम भक्ति देखने को मिली, जब पाठ भोक्ता मूर्छित होकर गिरते हैं, तब साथ चल रहे भोक्तागण अपने पवित्र बेंत की ध्वनि से उन्हें होश में लाते हैं — यह दृश्य श्रद्धा, आध्यात्म और लोक परंपरा का अद्भुत समागम प्रस्तुत करता है।

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सैकड़ों कोका-कोकी के रूप में निकले युवा, गूंज उठा तमाड़

इस पावन अवसर पर सैकड़ों युवाओं ने कोका-कोकी का पारंपरिक रूप धारण कर भक्तिमय टोली में भाग लिया। इनकी टोली के साथ सैकड़ों भोक्ता पाठ भोक्ता के साथ राजबाड़ी मंदिर पहुँचे, जहाँ उन्हें पवित्र प्रसाद प्रदान किया गया। मंदिर परिसर भक्तों की जयकारों और मंत्रोच्चार से गुंजायमान हो उठा।

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रविवार को जागरण और शिव मंदिर में विशेष अनुष्ठान

रविवार की रात ‘जागरण की रात’ के रूप में मनाई जाएगी। मध्यरात्रि में पाठ भोक्ता दुर्गा घट को लेकर अन्य भोक्ताओं के साथ शिव मंदिर तक जाएंगे। कालिका घट को शिव मंदिर में स्थापित किया जाएगा और फिर पूजा-अर्चना एवं दीप प्रज्वलन का आयोजन होगा। यह दीप पूरी रात जलता रहेगा, और माहौल को आध्यात्मिक ऊर्जा से भर देगा।

मेला और सांस्कृतिक कार्यक्रमों से भरा माहौल

रात्रि को विशेष मेला और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन भी किया जाएगा, जिसमें स्थानीय लोकनृत्य, भक्ति गीत और पारंपरिक सांस्कृतिक प्रस्तुतियों से तमाड़ जीवंत हो उठेगा।

इस पर्व की आत्मा श्रद्धा, संयम और लोक परंपरा से जुड़ी है, जो न केवल धार्मिक भावना को सशक्त करती है, बल्कि सामाजिक समरसता और सांस्कृतिक धरोहर को भी मजबूत करती है। तमाड़ का यह आयोजन झारखंड की लोकसंस्कृति की जीवंत झलक प्रस्तुत करता है।

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