हूल दिवस पर उपद्रव के आरोप में तीन गिरफ्तार, सिदो-कान्हू की धरती पर कड़ी कार्रवाई

साहिबगंज के भोगनाडीह में प्रशासनिक कार्यक्रम के दौरान बिगड़ी विधि-व्यवस्था, भीड़ भड़काने के आरोप में ग्राम प्रधान समेत तीन लोगों की गिरफ्तारी, एसपी ने दी विस्तृत जानकारी।
साहिबगंज (झारखंड): झारखंड के साहिबगंज जिले में स्थित सिदो-कान्हू की जन्मस्थली भोगनाडीह में 30 जून को आयोजित हूल दिवस के अवसर पर हुए प्रशासनिक कार्यक्रम के दौरान विधि-व्यवस्था भंग करने और भीड़ को भड़काने के आरोप में तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया है।

जिले के एसपी अमित कुमार सिंह ने शनिवार को पुलिस लाइन स्थित अपने कार्यालय में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बताया कि मामले में बरहेट थाना कांड संख्या 103/25 के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी, जिसकी जांच में यह बात सामने आई कि कुछ लोगों ने जानबूझकर भीड़ को उकसाया और सरकारी कार्यक्रम में बाधा उत्पन्न की।

गिरफ्तार किए गए तीनों व्यक्तियों की पहचान इस प्रकार की गई है:
- बेटका मुर्मू – ग्राम प्रधान, तलबड़िया, थाना बरहेट
- नरसिंह मरांडी – ग्राम प्रधान, पथरा, थाना बोरियो
- चुनाराम बेसरा – निवासी, बोआरीजोर, जिला गोड्डा
पुलिस के अनुसार, इन तीनों पर आरोप है कि इन्होंने कार्यक्रम स्थल पर भीड़ को उग्र करने का कार्य किया, जिससे प्रशासनिक व्यवस्था में बाधा उत्पन्न हुई।
पुलिस की त्वरित कार्रवाई:
एसपी ने बताया कि इन आरोपियों को पकड़ने के लिए विशेष छापेमारी दल का गठन किया गया था। इस टीम में बरहरवा के एसडीपीओ नितिन खंडेलवाल, बरहेट थाना प्रभारी पवन कुमार, और अन्य पुलिसकर्मी शामिल थे। टीम ने तकनीकी साक्ष्यों और गुप्त सूचना के आधार पर त्वरित कार्रवाई करते हुए आरोपियों को अलग-अलग स्थानों से गिरफ्तार किया।

सिदो-कान्हू की धरती पर अशांति का प्रयास नहीं होगा बर्दाश्त:
एसपी अमित कुमार सिंह ने स्पष्ट कहा कि सिदो-कान्हू जैसे महान क्रांतिकारियों की धरती पर आयोजित हूल दिवस समारोह एक गौरवपूर्ण ऐतिहासिक आयोजन होता है। इसमें किसी प्रकार की अव्यवस्था या हिंसा की कोई जगह नहीं है। प्रशासन हर हाल में कार्यक्रम की गरिमा को बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा, “भीड़ को भड़काना, सरकारी कार्यक्रम में बाधा डालना और कानून अपने हाथ में लेना एक गंभीर अपराध है। हम ऐसे तत्वों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई करने के लिए पूरी तरह तैयार हैं।

आदिवासी नेताओं की भूमिका पर उठे सवाल:
तीनों आरोपियों में से दो वर्तमान ग्राम प्रधान हैं, जो आदिवासी समुदाय का प्रतिनिधित्व करते हैं। ऐसे में इस घटना ने एक नई बहस को जन्म दिया है कि क्या कुछ स्थानीय जनप्रतिनिधि राजनीतिक उद्देश्य से जनभावनाओं को भड़का रहे हैं? स्थानीय स्तर पर यह चर्चा जोरों पर है कि हूल दिवस जैसे आयोजन को कुछ समूह अपनी व्यक्तिगत राजनीतिक जमीन मजबूत करने के लिए अशांति का माध्यम बना रहे हैं, जबकि इसे एक एकजुटता और संघर्ष की प्रेरणा का दिन माना जाता है।
भविष्य में हो सकती हैं और गिरफ्तारियां:
पुलिस सूत्रों के अनुसार, इस मामले में अभी अन्य संदिग्धों की भी पहचान की जा रही है। घटना के दिन की वीडियो फुटेज, फोटो और सोशल मीडिया पोस्ट खंगाले जा रहे हैं ताकि कोई भी दोषी बच न सके।
हूल दिवस जैसे ऐतिहासिक और संवेदनशील मौके पर असामाजिक तत्वों द्वारा विधि-व्यवस्था को बिगाड़ने का प्रयास न केवल निंदनीय है, बल्कि झारखंड की सांस्कृतिक विरासत पर चोट है। पुलिस प्रशासन की सजगता और त्वरित कार्रवाई सराहनीय है, जो कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए दृढ़ संकल्प को दर्शाती है।
Munadi Live आपसे आग्रह करता है कि अगर आपके पास इस घटना से जुड़ी कोई भी जानकारी हो तो उसे सत्यापित रूप में संबंधित प्रशासन को जरूर दें। जनता और प्रशासन के बीच सहयोग ही बेहतर समाज की नींव है।